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Panic Attack : पैनिक अटैक क्यों होता है और इसे तुरंत कैसे रोका जाए? जानें साइकेट्रिस्ट की राय

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Panic Attack : पहली बात तो साफ कर लें: पैनिक अटैक का मतलब ये नहीं कि आप “पागल” हो रहे हैं। न ही ये सिर्फ “ज्यादा रिएक्शन” देना है। ये तो आपके शरीर का एक जोरदार फिजियोलॉजिकल हमला है। एक पल में आप बिल्कुल ठीक हैं, और अगले ही पल आपके दिल की धड़कन तेज हो जाती है, सीने में जकड़न महसूस होती है, सांसें उखड़ने लगती हैं, हथेलियां पसीने से तर हो जाती हैं, और ऐसा लगता है जैसे पूरी दुनिया सिमट रही हो।

ये है कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन का खतरनाक कॉकटेल, जो आपके शरीर के इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम को हाईजैक कर लेता है। लेकिन एक बात जो ज्यादातर लोग मिस कर देते हैं: पैनिक अटैक वो तेज चीख है, जो तनाव की फुसफुसाहट से शुरू होती है। सीनियर साइकियाट्रिस्ट डॉ. तरुण सहगल के मुताबिक, इसे हैंडल करने के तरीके मौजूद हैं।

पैनिक अटैक आखिर है क्या?

पैनिक अटैक एक अचानक और तेज डर या बेचैनी का दौर है, जो मिनटों में अपने चरम पर पहुंच जाता है। ये आपके शरीर का फाइट-ऑर-फ्लाइट रिस्पॉन्स है, जो बिना किसी वास्तविक खतरे के भी ट्रिगर हो जाता है।

इसके आम लक्षण हैं:

  • दिल की धड़कन तेज होना या पल्पिटेशन
  • सांस लेने में दिक्कत
  • सीने में दर्द या दबाव
  • चक्कर आना या सिर हल्का होना
  • हाथों या चेहरे में सुन्नपन या झनझनाहट
  • कंट्रोल खोने या मरने का डर
  • खुद से या आसपास से डिस्कनेक्ट होने का अहसास

ये नहीं है:

  • ये हार्ट अटैक नहीं है (हालांकि ऐसा लग सकता है)
  • ये कमजोरी या ध्यान खींचने की कोशिश नहीं
  • ये हमेशा दूसरों को दिखाई नहीं देता
पैनिक और तनाव: एक ही सिक्के के दो पहलू

सच बात ये है: पैनिक अटैक अचानक से नहीं आते। ये अक्सर लंबे समय तक अनदेखा किए गए तनाव का आखिरी विस्फोट होते हैं, जो दिन, हफ्तों या सालों में जमा होता है। आपको लगता है कि आप “मैनेज” कर रहे हैं। आप डेडलाइंस पूरी करते हैं, न्यूज स्क्रॉल करते हैं, रील्स में डूबते हैं, मीटिंग्स में मुस्कुराते हैं, लेकिन अंदर से डूब रहे होते हैं। लेकिन आपका नर्वस सिस्टम हिसाब रखता है।

तनाव एक धीमी आग है। पैनिक तब होता है, जब ये आग बर्तन से बाहर लपटें मारने लगे।

सबसे बुरी बात? हम तनाव को तब तक ट्रैक नहीं करते, जब तक ये इतना तेज न हो जाए कि हमें हिला दे। यही वजह है कि पैनिक अटैक एक धोखे की तरह लगता है, क्योंकि हमें इसका अंदाजा ही नहीं होता।

क्या आप पैनिक अटैक के शिकार हो सकते हैं?

अगर नीचे दी गई बातें आप पर लागू होती हैं, तो पैनिक अटैक का खतरा बढ़ जाता है:

  • आप या आपके परिवार में पहले से एंग्जायटी, ट्रॉमा या मूड डिसऑर्डर की हिस्ट्री
  • हाई-स्ट्रेस माहौल: प्रोफेशनल या पर्सनल
  • थायरॉइड या ब्लड शुगर में उतार-चढ़ाव जैसी मेडिकल कंडीशन्स
  • लंबे समय तक नींद की कमी
  • सोशल मीडिया, न्यूज या कैफीन से ओवरस्टिमुलेशन
पैनिक अटैक होने पर क्या करें?

पैनिक अटैक के दौरान आप लॉजिक से काम नहीं ले सकते। आपका दिमाग पहले से ही सर्वाइवल मोड में होता है। आपको तुरंत फिजिकल तरीकों की जरूरत होती है, जो इस सर्पिल को तोड़ सकें।

ये तरीके काम करते हैं:

  • 4-7-8 ब्रीदिंग: 4 सेकंड तक सांस लें, 7 सेकंड तक रोकें, और 8 सेकंड तक सांस छोड़ें। ये दिल की धड़कन को धीमा करता है और पैरासिम्पैथेटिक नर्वस सिस्टम को एक्टिवेट करता है।
  • ठंडे पानी का झटका: अपने चेहरे पर ठंडा पानी छिड़कें या बर्फ का टुकड़ा पकड़ें। ये आपके सिस्टम को वापस वर्तमान में लाता है।
  • ग्राउंडिंग टेक्नीक: 5 चीजें जो आप देख सकते हैं, 4 जो छू सकते हैं, 3 जो सुन सकते हैं, 2 जो सूंघ सकते हैं, और 1 जो टेस्ट कर सकते हैं, उनका नाम लें। ये आपको रियलिटी में वापस खींचता है।
  • टहलें: कमरे में ही टहलना शुरू करें। मूवमेंट एड्रेनालाईन को बर्न करता है और शरीर को फ्रीज मोड से बाहर निकालता है।
  • पैनिक की बायोकेमिस्ट्री

    पैनिक सिर्फ मेंटल नहीं, बल्कि बायोकेमिकल भी है। आपका दिमाग और शरीर सर्वाइवल हार्मोन्स से भर जाता है:

    • एड्रेनालाईन: इमरजेंसी रिस्पॉन्स लॉन्च करता है
    • कोर्टिसोल: तनाव की स्थिति को बनाए रखता है
    • नॉरपाइनफ्रिन: अलर्टनेस बढ़ाता है, मांसपेशियों को टाइट करता है
    • GABA: शांत करने वाला न्यूरोट्रांसमिटर, जो अक्सर एंग्जायटी में कम होता है

    लक्ष्य सिर्फ लक्षणों को दबाना नहीं, बल्कि नर्वस सिस्टम को री-बैलेंस करना है। जागरूकता, प्रैक्टिस और कभी-कभी क्लिनिकल मदद से।

    पैनिक से बचाव के लंबे समय के उपाय

    ये पैनिक से बचने की बात नहीं, बल्कि आपके सिस्टम को इसके लिए मजबूत करने की है।

    1. ब्रीदिंग टेक्नीक्स

    • बॉक्स ब्रीदिंग: 4 सेकंड तक सांस लें, रोकें, छोड़ें, और फिर रोकें।
    • अनुलोम विलोम: नाक के दोनों छिद्रों से बारी-बारी सांस लेकर दिमाग को शांत करें।

    2. योगा

    • बालासन (चाइल्ड्स पोज)
    • विपरीत करणी (लेग्स अप द वॉल)
    • सेतु बंधासन (ब्रिज पोज)

    3. CBT (कॉग्निटिव बिहेवियरल थेरेपी)

    • अपनी चिंता भरी सोच को लिखें और उन्हें चैलेंज करें।
    • पूछें: क्या ये वास्तविक खतरा है या सिर्फ डर?
    • अपनी आंतरिक सोच को बदलें।

    4. टैक्टाइल एंकर

    • जेब में एक सिक्का, पत्थर या कोई टेक्सचर्ड चीज रखें। पैनिक बढ़ने पर उसे पकड़ें, उसका वजन महसूस करें।
    आयुर्वेदिक सहायक

    लंबे समय तक एंग्जायटी मैनेज करने के लिए आयुर्वेद शानदार सपोर्ट देता है। किसी क्वालिफाइड प्रोफेशनल की सलाह से:

    • अश्वगंधा: कोर्टिसोल कम करता है, मूड स्टेबल करता है।
    • ब्राह्मी: दिमाग को शांत और क्लैरिटी देता है।
    • जटामांसी: गहरे आराम के लिए नर्व टॉनिक।
    • शंखपुष्पी: बेचैनी कम करता है, मेमोरी बढ़ाता है।
    • तगर (इंडियन वैलेरियन): हल्का सेडेटिव, नींद में मदद करता है।
    विशेषज्ञ की अंतिम सलाह

    डॉ. तरुण के मुताबिक, “आजकल प्रेशर कुकर में जीना सामान्य हो गया है, लेकिन ये नॉर्मल नहीं है। पैनिक अटैक आपके सिस्टम का ओवरलोड के खिलाफ विद्रोह है। यही वजह है कि मैंने SOLH की सह-स्थापना की, जो AI-पावर्ड स्ट्रेस मैनेजमेंट इकोसिस्टम है और आपकी जरूरतों के हिसाब से पर्सनलाइज्ड रिकवरी और स्ट्रेस मैनेजमेंट स्ट्रैटजीज देता है।”

    डिस्क्लेमर: इस लेख में दी गई टिप्स और सुझाव सिर्फ सामान्य जानकारी के लिए हैं और इन्हें प्रोफेशनल मेडिकल सलाह के तौर पर नहीं लिया जाना चाहिए। कोई भी फिटनेस प्रोग्राम शुरू करने या डाइट में बदलाव करने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर या डायटीशियन से सलाह लें।

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