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UPI पेमेंट पर लगी अचानक रोक! जानें किस शहर में अब सिर्फ कैश से खरीदारी

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UPI Payment Ban : बेंगलुरु, जिसे भारत की सिलिकॉन वैली और डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) का गढ़ माना जाता है, अब एक अजीब बदलाव के दौर से गुजर रहा है। शहर की सड़कों पर अब वो रंग-बिरंगे QR कोड गायब होने लगे हैं  उनकी जगह दुकानों पर हाथ से लिखे नोट या प्रिंटआउट लटक रहे हैं, जिन पर साफ लिखा है- “केवल नकद, UPI नहीं!” छोटे दुकानदार, जो कभी यूपीआई (UPI) के दीवाने थे, अब इससे किनारा कर रहे हैं। आखिर डिजिटल इंडिया का चैंपियन शहर कैश की ओर क्यों लौट रहा है?

छोटे व्यापारियों की मजबूरी

बेंगलुरु के छोटे दुकानदारों का कहना है कि यूपीआई पेमेंट (Digital Payment) अब उनके लिए परेशानी का सबब बन गया है। होरमावु के एक चाय वाले, शंकर ने बताया, “मेरा छोटा-सा कारोबार है, दिनभर में मुश्किल से 3,000 रुपये का मुनाफा होता है। यूपीआई से पेमेंट लेने का मतलब है बैंक खाते की जांच और टैक्स की चपेट में आना।”

कई दुकानदारों ने तो यूपीआई ऐप्स का इस्तेमाल ही बंद कर दिया है। वजह? जीएसटी विभाग के नोटिस, जो छोटे व्यापारियों के लिए मुसीबत बन गए हैं।

जीएसटी नोटिस का डर

बेंगलुरु में सड़क किनारे रेहड़ी-पटरी वालों से लेकर छोटी दुकानों तक, हजारों व्यापारियों को जीएसटी विभाग से भारी-भरकम नोटिस मिल रहे हैं। कुछ नोटिस तो लाखों रुपये के हैं। बेंगलुरु स्ट्रीट वेंडर्स एसोसिएशन के विनय के. श्रीनिवास बताते हैं, “जीएसटी अधिकारियों की सख्ती और टैक्स नोटिस का डर व्यापारियों को डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) से दूर कर रहा है। कईयों को लगता है कि नकद लेन-देन से वे टैक्स की नजरों से बच सकते हैं।” इस डर का असर यह है कि दुकानदार अब कैश को प्राथमिकता दे रहे हैं, जिससे डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) की रफ्तार पर ब्रेक लग रहा है।

जीएसटी नियम क्या कहते हैं?

जीएसटी कानून (GST Law) के मुताबिक, अगर किसी व्यापारी की सालाना आय 40 लाख रुपये से ज्यादा है, तो उसे जीएसटी रजिस्ट्रेशन (GST Registration) कराना अनिवार्य है। सर्विस आधारित कारोबार के लिए यह सीमा 20 लाख रुपये है। कमर्शियल टैक्स डिपार्टमेंट का कहना है कि 2021-22 से अब तक के यूपीआई ट्रांजेक्शन डेटा के आधार पर कई व्यापारियों ने 40 लाख रुपये से ज्यादा की कमाई की, लेकिन न रजिस्ट्रेशन कराया, न टैक्स भरा।

ऐसे में विभाग ने नोटिस जारी किए हैं। व्यापारियों का कहना है कि जटिल नियम और सख्ती ने उन्हें डिजिटल पेमेंट (Digital Payment) से दूर कर दिया है।

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