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उत्तराखंड में कुदरत का कहर! पहाड़ टूटकर NH पर गिरा, जानिए 13 जिलों का हाल

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उत्तराखंड के खूबसूरत पहाड़ों में बारिश ने एक बार फिर तबाही मचाई है। कोटद्वार-पौड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग पर गुमखाल के निकट बैरगांव में अचानक एक भयावह घटना ने सभी को चौंका दिया। कुछ ही पलों में विशाल पहाड़ी से भारी मात्रा में मलबा और बड़े-बड़े पत्थर सड़क पर आ गिरे, जिसने इस महत्वपूर्ण मार्ग को पूरी तरह अवरुद्ध कर दिया। यह दृश्य किसी प्राकृतिक आपदा से कम नहीं था, जहां सड़क पर मलबे का ढेर और पत्थरों की बौछार ने यातायात को ठप कर दिया। स्थानीय निवासियों और यात्रियों में दहशत का माहौल है, क्योंकि बारिश के कारण भूस्खलन का खतरा और बढ़ गया है।

बारिश ने बढ़ाई मुश्किलें

लगातार हो रही मूसलाधार बारिश ने उत्तराखंड के 13 जिलों में जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर दिया है। कोटद्वार-पौड़ी मार्ग पर भूस्खलन की यह घटना बारिश के कहर का एक छोटा-सा नमूना है। सड़क पर गिरे मलबे को हटाने के लिए प्रशासन और संबंधित एजेंसियां दिन-रात जुट गई हैं। भारी मशीनों के जरिए मलबा हटाने का काम तेजी से चल रहा है, लेकिन बारिश और लगातार गिर रहे पत्थरों ने इस कार्य को और जटिल बना दिया है। इस बीच, स्थानीय लोग और यात्री वैकल्पिक मार्गों की तलाश में जुटे हैं, लेकिन पहाड़ी इलाकों में विकल्प सीमित होने के कारण उनकी मुश्किलें बढ़ गई हैं।

प्रशासन की अपील: सतर्कता ही सुरक्षा

पौड़ी पुलिस प्रशासन ने इस संकट के बीच यात्रियों से सतर्क रहने की अपील की है। खासकर बरसात के मौसम में पहाड़ी मार्गों पर भूस्खलन और मलबा गिरने का खतरा हमेशा बना रहता है। प्रशासन ने सलाह दी है कि यात्री सावधानीपूर्वक वाहन चलाएं और जहां तक संभव हो, वैकल्पिक मार्गों का उपयोग करें। इसके साथ ही, सड़क को जल्द से जल्द खोलने के लिए टीमें लगातार काम कर रही हैं। प्रशासन ने यह भी स्पष्ट किया है कि मौसम की स्थिति सामान्य होने तक यात्रियों को धैर्य बनाए रखना होगा।

उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदा का बढ़ता खतरा

उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्य में भूस्खलन और बारिश की वजह से होने वाली आपदाएं कोई नई बात नहीं हैं। हर साल मानसून के दौरान सड़कें अवरुद्ध होना, गांवों का संपर्क टूटना और यातायात में रुकावट आम बात हो जाती है। लेकिन इस बार कोटद्वार-पौड़ी राजमार्ग पर हुई यह घटना एक चेतावनी है कि हमें प्राकृतिक आपदाओं से निपटने के लिए और बेहतर तैयारी की जरूरत है। विशेषज्ञों का मानना है कि जलवायु परिवर्तन और अंधाधुंध निर्माण कार्यों ने भूस्खलन की घटनाओं को और बढ़ा दिया है।

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