केंद्र सरकार के लगभग 50 लाख कर्मचारियों और 69 लाख पेंशनधारकों के लिए खुशखबरी है। सरकार ने 8वें केंद्रीय वेतन आयोग (8th Central Pay Commission) के टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) को मंजूरी दे दी है। इसके साथ ही वेतन और पेंशन में बड़े बदलाव की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इस आयोग की कमान पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई के हाथों में होगी। आयोग को अपनी रिपोर्ट 18 महीनों में सौंपनी है, और इसकी सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकती हैं। सूचना और प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि कार्यान्वयन की सटीक तारीख अंतरिम रिपोर्ट के बाद तय होगी, लेकिन संभावना है कि यह 1 जनवरी 2026 से शुरू हो जाए। यह घोषणा बिहार विधानसभा चुनाव (6 और 11 नवंबर) से ठीक पहले आई है, जिससे यह खबर और भी सुर्खियों में है। इसका असर करोड़ों कर्मचारियों और पेंशनर्स पर पड़ेगा।
टर्म्स ऑफ रेफरेंस (ToR) क्या है?ToR को आसान भाषा में आयोग का नियम-पुस्तक कह सकते हैं। यह तय करता है कि आयोग को किन मुद्दों पर काम करना है, किन बातों पर ध्यान देना है और कितने समय में अपनी सिफारिशें देनी हैं। 8वें वेतन आयोग के लिए ToR को केंद्र सरकार ने कई मंत्रालयों, राज्य सरकारों और कर्मचारी यूनियनों से सलाह-मशविरा करके तैयार किया है।
8वां वेतन आयोग किन बातों पर देगा ध्यान?आयोग कई अहम मुद्दों पर काम करेगा। इसमें देश की आर्थिक स्थिति और राजकोषीय अनुशासन (Fiscal Discipline) को ध्यान में रखा जाएगा। साथ ही, यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सरकार के पास कल्याणकारी और विकास योजनाओं के लिए पर्याप्त धन रहे। गैर-अंशदायी पेंशन योजनाओं की लागत का भी आकलन होगा। इसके अलावा, आयोग यह देखेगा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों के वेतन और कामकाजी परिस्थितियों की तुलना पब्लिक सेक्टर (PSU) और प्राइवेट सेक्टर से कैसे की जाए। साथ ही, राज्य सरकारों पर इसका वित्तीय असर भी जांचा जाएगा, क्योंकि ज्यादातर राज्य केंद्र की सिफारिशों को अपनाते हैं। कुल मिलाकर, आयोग का मकसद कर्मचारियों को उचित वेतन देना और सरकार की वित्तीय जिम्मेदारी को बनाए रखना है।
आयोग में कौन-कौन है शामिल?आयोग की अध्यक्षता पूर्व सुप्रीम कोर्ट जज न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई करेंगी। वह वर्तमान में भारतीय प्रेस परिषद की अध्यक्ष हैं और पहले जम्मू-कश्मीर परिसीमन आयोग और उत्तराखंड समान नागरिक संहिता समिति की अध्यक्षता कर चुकी हैं। इसके अलावा, भारतीय प्रबंधन संस्थान (IIM) बेंगलुरु के प्रोफेसर पुलक घोष पार्ट-टाइम सदस्य होंगे, और पेट्रोलियम सचिव पंकज जैन सदस्य सचिव की भूमिका निभाएंगे।
कब आएगी सिफारिशें और क्या होगा आगे?अगर सब कुछ तय समय पर हुआ, तो आयोग की सिफारिशें 1 जनवरी 2026 से लागू हो सकती हैं। यह वही 10 साल का चक्र है, जो पहले से चल रहा है। 7वां वेतन आयोग 2014 में बना था और उसकी सिफारन्में 1 जनवरी 2016 से लागू हुई थीं। तब तक कर्मचारियों को हर छह महीने में महंगाई भत्ता (DA) में बढ़ोतरी मिलती रहेगी।
कर्मचारियों और पेंशनर्स को क्या मिलेगा फायदा?8वें वेतन आयोग से वेतन में बढ़ोतरी, भत्तों में बदलाव, पेंशन और अन्य लाभों में सुधार की उम्मीद है। चूंकि राज्य सरकारें भी आमतौर पर केंद्र की सिफारिशों को अपनाती हैं, इसलिए देशभर में वेतनमान बढ़ने की संभावना है। हालांकि, वेतन में कितने प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी, यह आयोग की अंतिम रिपोर्ट के बाद ही साफ होगा। लेकिन ToR की मंजूरी से यह पक्का है कि प्रक्रिया अब औपचारिक रूप से शुरू हो चुकी है।
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