राजस्थान के सीकर जिले में स्थित खाटू श्याम मंदिर भक्तों के लिए आस्था का प्रमुख केंद्र है। हर साल लाखों श्रद्धालु बाबा श्याम के दर्शन के लिए यहां पहुंचते हैं। लेकिन हाल ही में एक महिला के साथ हुई घटना ने न केवल मानवता पर सवाल उठाए, बल्कि पर्यटकों और श्रद्धालुओं के लिए बुनियादी सुविधाओं की कमी को भी उजागर किया। एक महिला को अपनी मां की आपातकालीन स्थिति में होटल के टॉयलेट का इस्तेमाल करने के लिए 805 रुपये की भारी-भरकम राशि चुकानी पड़ी। आइए, इस घटना को विस्तार से समझते हैं और जानते हैं कि आखिर क्या हुआ।
मंदिर दर्शन का सपना और आपात स्थिति
दिल्ली की एक पत्रकार मेघा उपाध्याय अपनी मां की लंबे समय से चली आ रही इच्छा को पूरा करने के लिए परिवार के साथ खाटू श्याम मंदिर पहुंची थीं। सुबह 6 बजे होटल से निकलकर उन्होंने 7 बजे तक मंदिर में दर्शन कर लिए। सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन अचानक उनकी मां को मिचली, पेट दर्द और उल्टी जैसी गंभीर समस्या शुरू हो गई। मंदिर परिसर में कोई साफ-सुथरा टॉयलेट उपलब्ध नहीं था, जिसके कारण परिवार को पास के एक होटल में जाना पड़ा। वहां उन्होंने रिसेप्शन पर गुहार लगाई कि उनकी मां की हालत गंभीर है और उन्हें तुरंत टॉयलेट की जरूरत है। लेकिन होटल स्टाफ ने बिना किसी सहानुभूति के 805 रुपये की मांग कर दी।
होटल का रवैया: मानवता पर सवाल
परिवार ने कई बार समझाने की कोशिश की कि यह एक आपात स्थिति है, लेकिन होटल कर्मचारियों ने उनकी बात अनसुनी कर दी। मजबूरी में परिवार को 805 रुपये का भुगतान करना पड़ा, जिसके बदले उन्हें एक रसीद दी गई। मेघा ने इस घटना को सोशल मीडिया पर साझा करते हुए लिखा, “क्या यही मानवता है? मेरी मां बीमार थीं, और हमें सिर्फ 6 मिनट के लिए टॉयलेट चाहिए था।” उनकी यह पोस्ट लिंक्डइन पर वायरल हो गई, जिसके बाद लोगों ने इस घटना पर तरह-तरह की प्रतिक्रियाएं दीं। कुछ ने इसे सराय अधिनियम 1867 का उल्लंघन बताया, जो होटलों को बुनियादी सुविधाएं मना करने से रोकता है, तो कुछ ने इसे पूंजीवाद का चरम उदाहरण करार दिया।
सोशल मीडिया पर बहस और कानूनी सवाल
मेघा की पोस्ट ने सोशल मीडिया पर एक बड़ी बहस छेड़ दी। कई यूजर्स ने होटल के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की सलाह दी, यह कहते हुए कि बिल गलत है और शिकायत दर्ज करनी चाहिए। एक यूजर ने लिखा, “यह न केवल अनैतिक है, बल्कि कानून का भी उल्लंघन है। होटल को ऐसी स्थिति में मुफ्त सुविधा देनी चाहिए थी।” वहीं, कुछ लोगों ने तर्क दिया कि होटल ने शायद सफाई के खर्च के नाम पर इतनी बड़ी राशि वसूली। लेकिन सवाल यह है कि क्या आपात स्थिति में भी मानवीय संवेदना को दरकिनार किया जा सकता है? यह घटना सार्वजनिक स्थानों पर टॉयलेट सुविधाओं की कमी और उनकी महंगी कीमतों की समस्या को भी सामने लाती है।
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