नागदा, 4 नवंबर (Udaipur Kiran) . Madhya Pradesh शासन की ओर से हर मंगलवार को आयोजित होने वाली जनसुनवाई इस बार एक अनोखे दृश्य की गवाह बनी. मध्य प्रदेश के उज्जैैन जिले में नागदा तहसील कार्यालय में उस समय सन्नाटा पसर गया, जब लगभग 78 वर्षीय वृद्ध अंबाराम परमार दर्जनों पुराने आवेदनों की “माला” पहनकर जनसुनवाई में पहुंचे. उनके इस प्रतीकात्मक विरोध को देखकर वहां मौजूद अधिकारी एसडीएम (राजस्व) डॉ. रंजना पाटीदार, तहसीलदार मधु नायक और अन्य कर्मचारी कुछ पल के लिए निशब्द रह गए.
पैदल तय किया 15 किमी का सफर
अंबाराम परमार, जो नागदा तहसील के अंतर्गत आने वाले भड़ला गांव के निवासी हैं, सुबह-सुबह अपने गांव से करीब 15 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर तहसील कार्यालय पहुंचे. उनके गले में बंधी थी उन सभी 25 आवेदनों की माला, जिन्हें उन्होंने पिछले एक वर्ष में अलग-अलग विषयों पर अधिकारियों को दिए थे. तहसील परिसर में पहुंचने के बाद अंबाराम करीब एक घंटे तक धरने पर बैठे रहे. इसके बाद जब जनसुनवाई कक्ष खुला, तो उन्होंने गले में लटके आवेदनों के साथ प्रवेश किया और लगभग दस मिनट तक कतार में खड़े रहकर अपनी बारी का इंतजार किया. उनकी बारी आने पर उन्होंने अधिकारियों से कहा, “मैंने एक साल में पच्चीस बार आवेदन दिए, लेकिन किसी का भी समाधान नहीं हुआ. अब मैं थक गया हूँ, पर न्याय की उम्मीद अभी भी है.”
बच्चों की पढ़ाई का दर्द, अधूरा स्कूल भवन
पत्रकारों द्वारा जब अंबाराम के गले में टंगे आवेदनों को देखा गया, तो उनमें से एक ने सबका ध्यान अपनी ओर खींच लिया, गांव के अधूरे स्कूल भवन का मामला सबके ध्यान में आया. अंबाराम ने बताया कि उनके गांव भड़ला में सरकारी प्राथमिक विद्यालय तो स्वीकृत हुआ था, लेकिन भवन का निर्माण आज तक पूरा नहीं हुआ. उन्होंने बताया, “वर्ष 2013 में मैंने अपनी निजी जमीन दान में दी थी ताकि गांव के बच्चों को पढ़ाई की सुविधा मिले. लेकिन सरकार ने अब तक भवन पूरा नहीं करवाया.”
फिलहाल, गांव के करीब 45 बच्चे उसी खेत की मेढ़ पर बनी एक झोपड़ीनुमा कक्षा में शिक्षा ग्रहण कर रहे हैं. बरसात के मौसम में यह स्थिति और भी दयनीय हो जाती है. कभी बारिश से झोपड़ी में कीचड़ भर जाता है, तो कभी जहरीले जीव-जंतु बच्चों की सुरक्षा के लिए खतरा बन जाते हैं. अंबाराम कहते हैं, “बरसों से बच्चे खेत की झोपड़ी में पढ़ रहे हैं, कभी धूप में, कभी बरसात में. स्कूल का सपना आज भी अधूरा है.”
गांव की सामाजिक स्थिति और शिक्षा की चुनौतियाँ
उल्लेखनीय है कि भड़ला गांव, नागदा-खाचरौद विकासखंड के अंतर्गत आता है और महिदपुर विधानसभा क्षेत्र में स्थित है. यह गांव मुख्यतः बागरी समाज का है, जो अनुसूचित जाति वर्ग में आता है. अधिकांश बच्चे इसी समुदाय के हैं. यही वजह है कि शिक्षा का अभाव यहां सामाजिक प्रगति में भी बाधा बना हुआ है. गांव में शासन द्वारा स्कूल भवन का निर्माण कार्य कुछ वर्ष पहले शुरू किया गया था, लेकिन वह वर्षों से अधूरा पड़ा है. अब भी बच्चे उसी झोपड़ी में पढ़ रहे हैं, जो भूमि स्वयं अंबाराम ने दान में दी थी.
जनसरोकार से जुड़े अन्य आवेदन भी गले में लटके थे
अंबाराम की “आवेदन माला” में स्कूल भवन के आवेदनों के साथ ही अन्य जनहित से जुड़े मुद्दे भी शामिल थे. इनमें प्रमुख हैं, नागदा शहर की ऐतिहासिक महाभारतकालीन टेकरी के संरक्षण की मांग, पंडित दीनदयाल उपाध्याय की प्रतिमा की स्थापना, जिसका प्रस्ताव नगर पालिका से पारित हो चुका है पर अमल नहीं हुआ. जन्मेजय बस स्टैंड पर राजा जन्मेजय का नाम स्टील से अंकित करने की मांग. तीन पुराने मंदिरों के जीर्णोद्धार की पहल. इंगोरिया क्षेत्र में लाल गेट पर राजा जन्मेजय की स्मृतियाँ उकेरने का सुझाव और नागदा की पुल की मंडी को व्यवस्थित करने से जुड़ी मांगें.
दरअसल, इन सभी विषयों पर अंबाराम ने अलग-अलग समय पर आवेदन दिए थे, लेकिन उनका कहना है कि किसी का भी सकारात्मक जवाब या कार्यवाही रिपोर्ट उन्हें नहीं मिली.
अधिकारियों की प्रतिक्रिया आई सामने, दिए गए जांच के निर्देश
जनसुनवाई के दौरान एसडीएम डॉ. रंजना पाटीदार ने बताया, “अंबाराम परमार जनसुनवाई में आए थे. उनका मुख्य मुद्दा अधूरे स्कूल भवन का था. इस संबंध में तहसीलदार मधु नायक ने तत्काल बीआरसी से बात की है. स्कूल भवन के लिए जो राशि पहले मिली थी, उसी के अनुसार निर्माण हुआ. अब शेष राशि प्राप्त हो गई है, जिससे आगे का कार्य पूरा किया जाएगा.” उन्होंने आगे कहा कि प्रशासन जनहित के हर आवेदन का समाधान प्राथमिकता से करेगा और भड़ला गांव के बच्चों की शिक्षा प्रभावित न हो, इसके लिए शीघ्र स्थायी व्यवस्था की जाएगी.
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(Udaipur Kiran) / कैलाश सनोलिया
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