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प्रमुख सचिव राजस्व उप्र बतायें, उच्चतम न्यायालय के निर्देश का पालन क्यों नहीं किया गया

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–कोर्ट ने जमीन की अदला-बदली की सरकार के शक्ति की प्रक्रिया गत खामियां दूर करने का दिया निर्देश –राजस्व संहिता संशोधित होने तक जमीन की अदला-बदली की शक्ति के इस्तेमाल पर लगी है रोक

प्रयागराज, 23 अगस्त (Udaipur Kiran) । इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने प्रमुख सचिव राजस्व उप्र को एक हफ्ते में हलफनामा दाखिल कर स्पष्टीकरण देने का निर्देश दिया है कि उच्चतम न्यायालय के बाबा सुक्खू मां प्रभु देवी इंटर कालेज केस में दिए गये निर्देश का पालन क्यों नहीं किया गया। सुप्रीम कोर्ट ने राजस्व संहिता की धारा 101(2)को संशोधित करने तक इसके पावर इस्तेमाल करने पर रोक लगा रखी है।

यह आदेश न्यायमूर्ति जे जे मुनीर ने फतेहपुर बिंदकी के मयूर सिंह ठाकुर की जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए दिया है। कोर्ट के आदेश पर एस डी एम बिंदकी ने जबाव दाखिल किया और बताया कि जनरल क्लाजेज एक्ट की धारा 21 व राजस्व संहिता की धारा 219 के तहत राज्यपाल को अधिसूचना जारी करने की शक्ति प्राप्त है। और धारा 101(2) के तहत कमिश्नर को यही शक्ति है।

कोर्ट ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने प्रक्रिया गत बदलाव लाने का आदेश दिया है और तब तक इन धाराओं की शक्ति प्रयोग पर रोक लगा रखी है। इन धाराओं में सरकार को जमीन की अदला-बदली का अधिकार दिया गया है।

मालूम हो कि फतेहपुर के तहसील बिंदकी के ग्राम पहुर में डालमिया भारत ग्रीन विज़न लिमिटेड की सीमेंट फैक्ट्री के लिए गाँवसभा की भूमि चकमार्ग, नाली आदि का विनिमय करने का आदेश दिया गया है। उपजिलाधिकारी बिंदकी के द्वारा प्रस्ताव पारित किया गया था एवं जिलाधिकारी फतेहपुर द्वारा अनुमोदन भी कर दिया गया था ।

डालमिया भारत ग्रीन विज़न लिमिटेड बिना किसी कानूनी अधिकार के सरकारी जमीनों में बाउंड्री वाल खड़ा कर रास्ता नाली अवरोधित कर दिया है। जिससे गांव पहुर के किसान अपनी जमीनों में पहुंच पाने से वंचित हो गए हैं। जिस पर जनहित याचिका योजित कर डालमिया भारत के द्वारा सरकारी जमीनों में अवैध अतिक्रमण को हटाने एवं न्यायालय के निर्देशों का पालन कराने की मांग की गई है। याचिका की अगली सुनवाई 29 अगस्त को होगी।

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(Udaipur Kiran) / रामानंद पांडे

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