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संसद केवल विधायिका नहीं, जनभावना का प्रतिबिंबः उपराष्ट्रपति

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नई दिल्ली, 27 मई . उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को एक बार फिर संसद के सर्वोच्च होने की बात दोहरायी. उन्होंने कहा कि भारतीय संसद केवल एक विधायी निकाय नहीं है, बल्कि यह 1.4 अरब लोगों की इच्छाओं का प्रतिबिंब है. यह एकमात्र वैधानिक मंच है जो जनता की भावना को पूरी प्रामाणिकता से दर्शाता है.

उन्होंने कहा, “कार्यपालिका को शासन चलाने के तरीके के बारे में प्राथमिकता प्राप्त है. न्यायपालिका को न्याय प्रणाली के संबंध में प्राथमिकता प्राप्त है, लेकिन संसद को दोनों कारणों से प्राथमिकता प्राप्त है. पहला, उसके पास कानून बनाने का अंतिम अधिकार है. दूसरा, यह कार्यपालिका को जवाबदेह बनाती है. क्योंकि शासन कुछ बुनियादी बातों से परिभाषित होता है: पारदर्शिता, जवाबदेही, और संस्थानों द्वारा हमारे विकास पथ को गति देने के लिए इष्टतम प्रदर्शन.”

उपराष्ट्रपति एवं राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने राज्यसभा इंटर्नशिप कार्यक्रम के सातवें बैच के उद्घाटन अवसर पर युवाओं को संविधान, लोकतंत्र और राष्ट्रनिर्माण के मूल्यों पर आधारित एक प्रेरणादायक संबोधन दिया.

धनखड़ ने कहा कि हर नागरिक और संस्था को अपने अधिकार संविधान की सीमाओं में रहकर ही प्रयोग करने चाहिए. संविधान ने हमें मौलिक अधिकार दिए हैं, लेकिन साथ ही कर्तव्यों का पालन भी अनिवार्य किया है. भारत उन चंद देशों में से है जहां नागरिक अपने मौलिक अधिकारों की रक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटा सकते हैं.

राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक विकास जैसे अहम मुद्दों पर उपराष्ट्रपति ने सभी राजनैतिक वर्गों से आग्रह किया कि वे दलगत राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रहित में एकजुट हों. उन्होंने कहा कि आर्थिक राष्ट्रवाद हर नागरिक की जिम्मेदारी है और इसके अंतर्गत हमें स्वदेशी अपनाना चाहिए व स्थानीय उत्पादों के लिए मुखर होना चाहिए.

उन्होंने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का उल्लेख करते हुए कहा कि इसने राष्ट्रीय सुरक्षा, अर्थव्यवस्था और जनहित के प्रति हमारे सोचने का तरीका बदल दिया है. आज हम पहले से अधिक राष्ट्रवादी हैं. उन्होंने यह भी जोड़ा कि शांति तभी स्थायी होती है जब हमारे पास ताकत हो — जिसमें तकनीकी क्षमता, परंपरागत सैन्य बल और जनसमर्थन शामिल है.

धनखड़ ने स्पष्ट किया कि भारत का जन्म 1947 में नहीं हुआ. यह एक प्राचीन राष्ट्र है जिसकी गौरवशाली परंपराएं हजारों वर्षों पुरानी हैं.

इस अवसर पर उन्होंने प्रसिद्ध नेत्र चिकित्सक एवं विद्वान डॉ. एम. एल. राजा को वर्ष 2025-26 के लिए डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन चेयर के लिए नामित किया. डॉ. राजा ने चिकित्सा के साथ-साथ इतिहास, पुरातत्व और शिलालेख विद्या में भी विशिष्ट कार्य किया है. उनके तमिल साहित्यिक योगदानों को तमिलनाडु के राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया जा चुका है.

राज्यसभा इंटर्नशिप कार्यक्रम के महत्व को रेखांकित करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह युवाओं को संसद की कार्यप्रणाली, उसके मूल्यों और लोकतांत्रिक भावना से परिचित कराने का एक अनूठा अवसर है, जो उनमें उत्तरदायित्व की भावना और राष्ट्रभक्ति की प्रेरणा जगाएगा.

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/ अनूप शर्मा

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