कोलकाता, 07 जुलाई (Udaipur Kiran) । कसबा लॉ कॉलेज में सामूहिक दुष्कर्म के मामले में पुलिस की जांच तेज हो गई है और मुख्य आरोपित मनोजीत मिश्रा को डिजिटल साक्ष्यों के आधार पर घेरने की रणनीति पर काम शुरू हो गया है। मामले की तकनीकी और साइबर जांच को मजबूती देने के लिए सरकार की ओर से विशेष सरकारी वकील के रूप में साइबर विशेषज्ञ विभास चटर्जी की नियुक्ति की गई है।
लालबाजार स्थित पुलिस मुख्यालय के सूत्रों के मुताबिक, घटना की रात मनोजीत कॉलेज परिसर में मौजूद था और पीड़िता भी वहीं थी। दोनों के मोबाइल टावर लोकेशन से इसकी पुष्टि हुई है। पुलिस ने इसके लिए टावर डंपिंग तकनीक का इस्तेमाल किया, जिससे उस क्षेत्र से किए गए इनकमिंग और आउटगोइंग कॉल्स का डेटा प्राप्त किया गया।
इसके अलावा, कॉलेज परिसर में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज भी जांच टीम के हाथ लगी है। मनोजीत का मोबाइल जब्त किया जा चुका है और उससे भी कई अहम सुराग हाथ लगे हैं।
——
गूगल लोकेटर से भी मिल सकता है अहम सुराग
साइबर विशेषज्ञ किंजल घोष का कहना है कि किसी व्यक्ति की लोकेशन साबित करने में गूगल लोकेटर मददगार हो सकता है। यदि कोई व्यक्ति लोकेशन शेयरिंग बंद भी कर दे, तब भी गूगल मैप्स के ज़रिए अक्षांश और देशांतर के माध्यम से उस स्थान का पता लगाया जा सकता है। देशभर के कई हत्या मामलों में इस तकनीक ने अहम भूमिका निभाई है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कि घटना की रात आरोपित जैब नाम का एक छात्र एक मेडिकल स्टोर से इनहेलर खरीदने गया था। उस स्टोर की सीसीटीवी फुटेज और डिजिटल पेमेंट का रिकॉर्ड भी पुलिस ने जब्त कर लिया है। इसके अलावा अन्य आरोपितों की लोकेशन और पीड़िता के मोबाइल से मिली जानकारियां भी अदालत में सबूत के तौर पर पेश की जाएंगी।
एक वरिष्ठ जांच अधिकारी ने बताया कि घटना के बाद सोशल मीडिया पर मनोजीत मिश्रा के खिलाफ अन्य शिकायतें और आरोप सामने आए हैं। अगर भविष्य में कोई नई शिकायत दर्ज होती है, तो वायरल हो चुकी तस्वीरों और वीडियो की भी फोरेंसिक जांच की जाएगी।
वकील अनिर्बाण गुहा ठाकुरता ने बताया कि जांच में दो और तकनीकों का इस्तेमाल किया जा सकता है — ‘फेब्रिकेशन’ और ‘गेट पैटर्न’। फेब्रिकेशन पद्धति में पीड़िता के नाखूनों से आरोपित के शरीर या कपड़ों के नमूने लिए जाते हैं। वहीं, गेट पैटर्न तकनीक के तहत आरोपित की चाल-ढाल को सीसीटीवी फुटेज से मिलान किया जाता है। यदि जरूरत पड़ी, तो मनोजीत पर भी यह तकनीक लागू की जा सकती है।
उन्होंने यह भी कहा कि सभी डिजिटल सबूतों को केंद्रीय फॉरेंसिक प्रयोगशाला (सीएफएसएल) भेजकर उनकी रिपोर्ट तैयार की जाएगी, जिसे अदालत में पेश किया जाएगा। ट्रायल शुरू होने पर सभी साक्ष्य अदालत में सौंपकर जांच एजेंसी को आरोपित के अपराध को साबित करना होगा।
(Udaipur Kiran) / ओम पराशर
You may also like
किसानाें काे धाेखा देने वाले व संविधान को दरकिनार करने वाले आज किस मुंह से बात करेंगे : मंत्री केदार कश्यप
सिरसा: सडक़ निर्माण व सीवरेज लाइन की मांग को लेकर दिया धरना
सोनीपत: राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर होंगा मुरथल विश्वविद्यालय का पाठयक्रम
जींद : नौ जुलाई को देशव्यापी हड़ताल को लेकर संगठनों ने शहर में निकाला जुलूस
सोनीपत:घर में आग से भारी नुक्सान