प्रयागराज, 28 अप्रैल . इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के आरोप में तीन साल से अधिक देरी से दर्ज प्राथमिकी से सम्बंधित मुकदमे में चल रही अदालती कार्यवाही पर रोक लगा दी है. साथ ही पीड़िता और राज्य सरकार से जवाब तलब किया है. आजमगढ़ के अशोक मौर्य की याचिका पर यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा ने दिया.
याची के अधिवक्ता का कहना था कि याची के विरुद्ध आजमगढ़ के महराजगंज थाने में दुष्कर्म और जान से मारने की धमकी देने का मुकदमा दर्ज़ है. जिसमें पुलिस ने आरोप पत्र दाखिल कर दिया है और अदालत ने संज्ञान लेकर याची को सम्मन जारी किया है.
अधिवक्ता का कहना था कि 9 मार्च 2021 की घटना की प्राथमिकी करीब तीन साल की देरी से अगस्त 2024 में दर्ज़ कराई गई. पीड़िता ने इस विलम्ब का कोई स्पष्टीकरण न तो प्राथमिकी में दिया है और न ही पुलिस और मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने बयान में दिए. अधिवक्ता का कहना था कि याची से 1.70 लाख रूपये की मांग की गई जो वह पूरी नहीं कर सका तो पीड़िता ने प्राथमिकी दर्ज करा दी.
सुप्रीम कोर्ट ने शिवेंद्र प्रताप सिंह ठाकुर केस में अत्यधिक विलम्ब के आधार पर आरोपित को राहत का हकदार पाया है. कोर्ट ने मामले को विचारणीय मानते हुए अगले आदेश तक के लिए मुकदमे की कार्यवाही पर रोक लगा दी है.
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/ रामानंद पांडे
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