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नौकरी घोटाले में बर्खास्त शिक्षक जारी रखेंगे आंदोलन

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कोलकाता, 15 जुलाई (Udaipur Kiran) ।

पश्चिम बंगाल में नौकरी के बदले घूस मामले में बर्खास्त किए गए सरकारी स्कूलों के शिक्षकों ने एक बार फिर आंदोलन की चेतावनी दी है। सोमवार को इन पूर्व शिक्षकों ने राज्य सचिवालय ‘नवान्न’ तक मार्च करने की कोशिश की, जहां वे मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मिलकर अपनी मांगें रखना चाहते थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया।

पूर्व शिक्षकों की प्रमुख मांग है कि 2016 में नियुक्त हुए दागमुक्त उम्मीदवारों की सूची सार्वजनिक की जाए और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार उन्हें पुनः परीक्षा देने के लिए अतिरिक्त पद उपलब्ध कराए जाएं। सुप्रीम कोर्ट ने तीन अप्रैल को 25,752 शिक्षकों और गैर-शिक्षकीय कर्मियों की नियुक्तियों को रद्द कर दिया था, और 17 अप्रैल को यह आदेश दिया था कि केवल दागमुक्त शिक्षक ही 31 दिसंबर तक सेवा में बने रह सकते हैं, लेकिन उन्हें दोबारा चयन परीक्षा पास करनी होगी।

पूर्व शिक्षक नेता चिन्मय मंडल ने कहा कि उनकी मानसिक और आयु-सम्बंधी स्थिति अब इतनी नहीं है कि वे 2016 जैसी नौकरी के लिए फिर से नई पीढ़ी के युवाओं के साथ प्रतिस्पर्धा कर सकें। उन्होंने कहा कि तत्काल दागमुक्त शिक्षकों की सूची जारी करनी चाहिए। तभी इस संकट का समाधान निकलेगा।

एक अन्य नेता सुमन बिस्वास ने कहा कि अब वे सरकार के साथ और कोई बैठक नहीं करेंगे और उनका आंदोलन अब केवल सड़कों पर होगा।

30 मई को पश्चिम बंगाल स्कूल शिक्षा आयोग द्वारा नई परीक्षा के लिए अधिसूचना जारी की गई थी, लेकिन उसमें यह स्पष्ट नहीं किया गया कि केवल दागमुक्त शिक्षक ही परीक्षा में बैठ सकते हैं। इससे असमंजस और बढ़ गया है। इससे पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अतिरिक्त पदों की घोषणा की थी, जिससे चयनितों की संख्या 44 हजार से अधिक हो गई है।

इस बीच, कलकत्ता हाईकोर्ट ने दस जुलाई को अपने आदेश में कहा कि जिन शिक्षकों को पहले घोटाले में संलिप्त पाया गया है, उनकी आवेदन प्रक्रिया रद्द कर दी जाए।

भ्रष्टाचार के कारण नियुक्तियों की रद्दीकरण की पीड़ा झेल रहे पूर्व शिक्षक अब फिर से आंदोलन के मूड में हैं। वे अपनी पहचान को ‘दागमुक्त’ साबित करने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं और चाहते हैं कि उन्हें फिर से नौकरी पाने का एक निष्पक्ष मौका दिया जाए। हालांकि सरकार और प्रशासन की ओर से परीक्षा के नियमों को लेकर अब भी अस्पष्टता बनी हुई है, जिससे यह मुद्दा और गंभीर होता जा रहा है।

(Udaipur Kiran) / अनिता राय

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