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सोनीपत: सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के पुरोधा थे डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी: बड़ौली

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-राष्ट्रवाद

के प्रतीक श्यामा प्रसाद मुखर्जी को दी श्रद्धांजलि

सोनीपत, 23 जून (Udaipur Kiran) । भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष मोहनलाल बड़ौली ने डॉ.

श्यामा प्रसाद मुखर्जी के बलिदान दिवस पर सोमवार को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा

कि वे भारत की एकता, अखंडता और सांस्कृतिक राष्ट्रवाद के सच्चे पुरोधा थे। उनका जीवन

सत्ता के नहीं, सिद्धांतों के लिए समर्पित था। सोनीपत स्थित अपने कार्यालय में आयोजित श्रद्धांजलि कार्यक्रम

में बड़ौली ने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने कभी भी देश की अखंडता से समझौता नहीं किया। पश्चिम

बंगाल और जम्मू-कश्मीर जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में विभाजनकारी नीतियों का उन्होंने

कड़ा विरोध किया और सत्ता का त्याग करते हुए नेहरू मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया।

उन्होंने कहा कि डॉ. मुखर्जी ने भारतीय जनसंघ की स्थापना कर

देश को राष्ट्रहित सर्वोपरि मानने वाला राजनीतिक विकल्प दिया। एक देश में दो

विधान, दो प्रधान और दो निशान नहीं चलेंगे उनका केवल उद्घोष नहीं, बल्कि राष्ट्र

की एकता के लिए अटूट संकल्प था।

प्रदेशाध्यक्ष ने कहा कि आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के

नेतृत्व में जब अनुच्छेद 370 को समाप्त किया गया, तो वह केवल संवैधानिक बदलाव नहीं,

बल्कि डॉ. मुखर्जी के बलिदान को सच्ची श्रद्धांजलि है। कार्यक्रम में पूर्व मंत्री कविता जैन, वरिष्ठ नेता तरुण देवीदास,

पार्षद सुरेन्द्र मदान सहित अनेक कार्यकर्ता उपस्थित रहे। सभी ने डॉ. मुखर्जी के राष्ट्रवादी

विचारों और त्यागमयी जीवन को नमन किया। उनका आदर्श भावी पीढ़ियों को सदैव प्रेरणा देता

रहेगा।

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(Udaipur Kiran) शर्मा परवाना

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