जामताड़ा, 10 अगस्त (Udaipur Kiran) । फ़ाइलेरिया उन्मूलन अभियान (आईडीए राउंड) की रविवार को राज्य के स्वास्थ्य मंत्री डॉ इरफ़ान अंसारी ने जामताड़ा जिले से औपचारिक शुरुआत की।
उन्होंने स्वयं फाइलेरिया रोधी दवाएं खाकर और अन्य अधिकारियों को अपने समक्ष दवा खिलाकर इस जनस्वास्थ्य अभियान का शुभारंभ किया। यह अभियान 10 अगस्त से राज्य के नौ जिलों में चलेगा।
मौके पर डॉ अंसारी ने कहा कि फ़ाइलेरिया उन्मूलन केवल एक कार्यक्रम नहीं, बल्कि यह स्वस्थ झारखंड के निर्माण का मिशन है। उन्होंने आमजन से अपील किया कि वे स्वयं दवा खाएं, अपने परिजनों को खिलाएं और दूसरों को भी प्रेरित करें, ताकि झारखंड को फाइलेरिया मुक्त बनाया जा सके।
राज्य के नौ जिलों – चतरा, गोड्डा, पश्चिमी सिंहभूम, सरायकेला, हजारीबाग, जामताड़ा, पलामू, लातेहार और दुमका के 80 चिन्हित प्रखंडों में यह अभियान चलाया जा रहा है। लगभग 1.42 करोड़ की आबादी में से 1.27 करोड़ लोगों को डीईसी, अल्बेंडाजोल और आइवरमेक्टिन दवाओं का सेवन कराया जाएगा।
अपर निदेशक सह राज्य कार्यक्रम पदाधिकारी, वेक्टर जनित रोग डॉ बीरेन्द्र कुमार सिंह ने बताया कि मास ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन को सफल बनाने के लिए अन्य विभागों जैसे शिक्षा विभाग, आईसीडीएस, पंचायती राज विभाग, शहरी विकास विभाग, पेयजल और स्वच्छता विभाग, आजीविका, पीएचईडी विभागों का भी सहयोग लिया जा रहा है। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में फाइलेरिया से मुक्ति के लिए बूथ के माध्यम से और घर- घर जाकर, दो वर्ष से कम उम्र के बच्चों, गर्भवती महिलाओं और अति गंभीर रूप से बीमार व्यक्तियों को छोड़कर सभी लोगों को उम्र के अनुसार निर्धारित खुराक प्रशिक्षित स्वास्थ्यकर्मियों की ओर से अपने सामने मुफ़्त खिलाई जायेगी।
वहीं जामताड़ा के सिविल सर्जन डॉ आनंद मोहन सोरेन ने बताया कि अभियान के लिए सूक्ष्म कार्ययोजना तैयार की गई है और प्रतिदिन दवा सेवन की समीक्षा जिला व प्रखंड स्तर पर की जाएगी।
जामताड़ा के अनुमण्डल पदाधिकारी अनंत कुमार ने कहा कि जामताड़ा, केंद्र सरकार के दिशा-निर्देश और और राज्य स्तर से समन्वय बनाकर पूर्ण प्रयास कर रहा है कि जिले में फ़ाइलेरिया उन्मूलन कार्यक्रम को सफल बनाया जाये और जामताड़ा को फ़ाइलेरिया मुक्त किया जाये।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के राज्य समन्वयक डॉ अभिषेक पाल ने बताया कि फाइलेरिया दुनिया भर में दीर्घकालिक दिव्यांगता के प्रमुख कारणों में से एक है।
आमतौर पर बचपन में होने वाला यह संक्रमण लिम्फैटिक सिस्टम को नुकसान पहुंचाता है और अगर इसका इलाज न किया जाए तो इससे शारीरिक अंगों में असामान्य सूजन होती है। फाइलेरिया से पीड़ित लोगों को अक्सर सामाजिक बोझ सहना पड़ता है, जिससे उनकी आजीविका और काम करने की क्षमता भी प्रभावित होती है।
कार्यक्रम में विश्व स्वास्थ्य संगठन, पीरामल स्वास्थ्य, ग्लोबल हेल्थ स्ट्रेटजीज सहित अन्य संस्थाओं के प्रतिनिधि उपस्थित रहे।
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(Udaipur Kiran) / विकाश कुमार पांडे
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