-प्रथम चरण में 4.5 करोड़ की धनराशि अवमुक्त
देहरादून, 1 अगस्त (Udaipur Kiran) । राज्य में भूस्खलन न्यूनीकरण व प्रबंधन के लिए केंद्र सरकार ने 125 करोड़ की महत्वपूर्ण परियोजना की स्वीकृति दे दी है। प्रथम चरण में 4.5 करोड़ की अग्रिम धनराशि अन्वेषण कार्यों व विस्तृत परियोजना रिपोर्ट की तैयारी के लिए अवमुक्त की गई है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी निर्देशों के क्रम में राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण व उत्तराखण्ड भूस्खलन न्यूनीकरण एवं प्रबंधन केन्द्र ने ज्य में भूस्खलन न्यूनीकरण व प्रबंधन के लिए एक प्रस्ताव केन्द्र सरकार को प्रेषित किए थे। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी व केन्द्रीय गृहमंत्री अमित शाह के निर्देशों के क्रम में राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण व केन्द्रीय गमृह मंत्रालय ने इस प्रस्ताव पर त्वरित कार्रवाई करते हुए 125 करोड़ की परियोजना को स्वीकृति दी है। मुख्यमंत्री ने इस सहयोग के लिए प्रधानमंत्री व गृहमंत्री के प्रति राज्य सरकार व प्रदेशवासियों की ओर से आभार व्यक्त किया है।
मुख्यमंत्री धामी ने मीडिया से कहा कि यह परियोजना राज्य के भूस्खलन प्रभावित क्षेत्रों में दीर्घकालिक समाधान की दिशा में एक निर्णायक पहल है। उन्होंने भूस्खलन से अत्यधिक प्रभावित पांच संवेदनशील स्थलों को प्राथमिकता के आधार पर चयन किया है।
मनसा देवी हिल बाईपास रोड, हरिद्वार
मनसा देवी पहाड़ी पर लगातार हो रहे भू-स्खलन व चट्टानों के गिरने से जनसुरक्षा को खतरा उत्पन्न हो रहा है। यह मार्ग कांवड़ यात्रा के दौरान वैकल्पिक मार्ग के रूप में उपयोग होता है। अनुमानित 50 हजार से अधिक स्थानीय नागरिक इस आपदा से प्रभावित हैं।
गलोगी जलविद्युत परियोजना मार्ग, मसूरी देहरादून-मसूरी मार्ग के किमी 25 पर स्थित यह क्षेत्र वर्षा ऋतु में लगातार भू-स्खलन से प्रभावित होता है, जिससे आवागमन बाधित होता है व सड़क संरचना को गंभीर क्षति पहुंची है।
बहुगुणा नगर भू-धंसाव क्षेत्र कर्णप्रयाग स्थित इस क्षेत्र में भूमि धसने की गंभीर घटनाओं के कारण आवासीय भवन व सड़कों को व्यापक नुकसान हुआ है। यह क्षेत्र भूगर्भीय दृष्टिकोण से अत्यधिक अस्थिर है।
चार्टन लॉज भूस्खलन क्षेत्र
नैनीताल में सितम्बर 2023 में हुए भू-स्खलन से कई घर प्रभावित हुए और अनेक परिवारों को अस्थायी रूप से विस्थापित किया गया। जल निकासी की अपर्याप्त व्यवस्था एवं लगातार बारिश इसके प्रमुख कारक रहे।
खोतिला-घटधार भूस्खलन क्षेत्र भारत-नेपाल सीमा पर स्थित यह क्षेत्र अत्यधिक वर्षा एवं भू-कटाव से प्रभावित है, जिससे सीमा क्षेत्र में गंभीर भू-क्षरण की स्थिति उत्पन्न हुई है।
(Udaipur Kiran) / विनोद पोखरियाल
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