गोरखपुर, 22 अगस्त (Udaipur Kiran) । महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय गोरखपुर (एमजीयूजी) के चतुर्थ स्थापना दिवस समारोह और युगपुरुष ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज एवं राष्ट्रसंत ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ जी महाराज की पावन स्मृति में सप्त दिवसीय व्याख्यानमाला का उद्घाटन शुक्रवार को हुआ।
उद्घाटन समारोह के मुख्य अतिथि महायोगी गुरु गोरखनाथ राज्य आयुष विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. के. रामचंद्रा रेड्डी ने अपने संबोधन में कहा कि एमजीयूजी न केवल पूर्वी उत्तर प्रदेश बल्कि सम्पूर्ण राष्ट्र में आयुर्वेद, नर्सिंग, पैरामेडिकल और आधुनिक चिकित्सा के क्षेत्र में नित नए प्रतिमान स्थापित कर रहा है। विश्वविद्यालय की स्थापना के विचार बिंदु नाथपंथ के मनीषियों द्वारा पूर्वी उत्तर प्रदेश में जिस प्रकार शिक्षा की अलख जगाकर समाज में व्याप्त विभिन्न कुरीतियों का मर्दन कर सामाजिक समरसता, सर्वधर्म समभाव का सूत्रपात किया, उसके प्रति समाज सदैव ऋणी रहेगा।
प्रो. रेड्डी ने कहा कि गोरक्षपीठ नाथपंथ का एक प्रधान केन्द्र है। नाथपंथ के ऋषियों द्वारा योग, आयुर्वेद के साथ-साथ समाज की विभिन्न अवस्थाओं पर जाकर सामाजिक उत्थान, सामाजिक सौहार्द के अक्षुण्ण कार्य का सूत्रपात किया है। इसी क्रम में महायोगी गोरखनाथ विश्वविद्यालय चिकित्सा की विभिन्न विधाओं में अपनी सहभागिता के लिए न केवल पूर्वी उत्तर प्रदेश में ही जाना जाता है अपितु इतने अल्प समय में पूरे विश्व पटल पर अपना स्थान प्रतिष्ठित किया है। उन्होंने कहा कि नाथपंथ का योग और आयुर्वेद पर बल देना आज के समय में और भी प्रासंगिक है, क्योंकि आधुनिक जीवनशैली से उत्पन्न रोगों के समाधान में यह परंपरा अत्यंत सहायक है जिसका प्रमाण कोराना महामारी में हम देख चुके हैं। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालय के स्थापना दिवस समारोह का आयोजन विश्वविद्यालय परिवार को ऊर्जावान कर नई स्फूर्ति प्रदान करता है। ऐसे आयोजन हमें हमारे कर्त्तव्यों के प्रति निष्ठावान बनाते हैं एवं भविष्य की योजनाओं एवं चुनौतियों के लिए प्रेरणा प्रदान करते हैं।
स्थापना दिवस उपादेयता के आकलन और भावी कार्ययोजना बनाने का अवसर : डॉ. अनुराग
उद्घाटन समारोह की अध्यक्षता कर रहे एमजीयूजी के श्री गोरखनाथ मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर के प्राचार्य डॉ. अनुराग श्रीवास्तव ने कहा कि स्थापना दिवस एवं संस्थापक स्मृति व्याख्यानमाला का आयोजन करना केवल हमारे लिए एक उत्सव ही नहीं, वरन अपनी उपादेयता के आकलन और भावी कार्ययोजना के निर्धारण का अवसर भी है। उन्होंने कहा कि पिछले चार वर्षों में विश्वविद्यालय ने गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, शोध-कार्य में निरंतर प्रगति की है। आने वाले समय में हमारा लक्ष्य है कि हम छात्रों को वैश्विक स्तर की शिक्षा उपलब्ध कराएं और समाज के वंचित वर्गों तक स्वास्थ्य सेवाएं पहुंचा कर विश्वविद्यालय के उद्देश्यों को पूर्ण कर सकें।
समारोह का शुभारंभ विश्वविद्यालय के विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती वंदना, कुलगीत एवं स्वागतगीत की प्रस्तुतियों से किया गया। स्वागत संबोधन आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य डॉ. गिरिधर वेदांतम ने किया, जबकि स्थापना दिवस एवं संस्थापक स्मृति व्याख्यानमाला के अवसर पर सात दिनों तक होने वाली विभिन्न गतिविधियों की रूपरेखा कार्यक्रम संयोजक प्रो. शशिकांत सिंह ने प्रस्तुत की। इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कृषि संकाय के डीन डॉ. विमल दूबे, आयुर्वेद कॉलेज के उप प्राचार्य डॉ. सुमित सहित विभिन्न संकायों के संकायाध्यक्ष, विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थी उपस्थित रहे।
(Udaipur Kiran) / प्रिंस पाण्डेय
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