जयपुर की पूर्व मेयर मुनेश गुर्जर को उनके तीसरे निलंबन मामले में राजस्थान हाईकोर्ट से झटका लगा है। जस्टिस अनूप ढंड की एकलपीठ ने मुनेश गुर्जर की ओर से दायर याचिका को खारिज करते हुए स्पष्ट निर्देश दिए कि राज्य सरकार इस मामले में विभागीय जांच समय पर पूरी करे।
पूर्व मेयर मुनेश गुर्जर ने अपने निलंबन को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें उन्होंने दावा किया कि सरकार ने राजनीतिक दुर्भावना के तहत कार्रवाई की है और उनके खिलाफ तीसरा निलंबन मनमाने तरीके से किया गया है। लेकिन अदालत ने उनकी दलीलों को खारिज करते हुए उन्हें कोई राहत देने से इनकार कर दिया।
न्यायालय ने विभागीय जांच को समयबद्ध करने के दिए निर्देश
अदालत ने सरकार को निर्देश दिया है कि विभागीय जांच को लंबित न रखा जाए और समयबद्ध तरीके से पूरी की जाए, ताकि मामले में निष्पक्ष और उचित निर्णय हो सके। अदालत का यह फैसला इस दृष्टि से महत्वपूर्ण है कि लंबे समय से निलंबन की स्थिति में फंसे अधिकारी या जनप्रतिनिधि विभागीय जांच के लंबा खिंचने की शिकायत करते रहे हैं।
तीन बार निलंबित हो चुकी हैं मुनेश गुर्जर
गौरतलब है कि कांग्रेस से जुड़ी मुनेश गुर्जर पहले भी दो बार निलंबन का सामना कर चुकी हैं। यह तीसरा मौका है जब उन्हें निलंबित किया गया है। उन पर नगर निगम में कार्यकाल के दौरान वित्तीय अनियमितताओं और प्रशासनिक लापरवाही जैसे गंभीर आरोप लगाए गए थे।
राजनीतिक रंग भी ले सकता है मामला
इस फैसले के बाद प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच सकती है। कांग्रेस खेमे से जुड़े कई नेताओं ने पहले ही सरकार पर राजनीतिक बदले की भावना से कार्रवाई करने का आरोप लगाया था। वहीं, सरकार का पक्ष है कि निलंबन पूरी तरह नियमों के तहत और जांच प्रक्रिया के आधार पर हुआ है।
भविष्य की राह कठिन
हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बाद मुनेश गुर्जर की कानूनी और राजनीतिक राह अब और कठिन होती दिखाई दे रही है। हालांकि, यह देखना दिलचस्प होगा कि विभागीय जांच में उनके खिलाफ लगे आरोप सिद्ध होते हैं या नहीं।
अब सारी निगाहें राज्य सरकार और संबंधित जांच एजेंसियों पर टिकी हैं, जो इस मामले को कितनी पारदर्शिता और समयबद्धता से अंजाम देती हैं। वहीं मुनेश गुर्जर और उनके समर्थकों की अगली रणनीति भी आने वाले दिनों में स्पष्ट होगी।
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