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इस आइलैंड पर जाने वाला आज तक नहीं लौटा वापस, वजह जानकर आप भी हो जाएंगे हैरान

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आज के डिजिटल युग में जहां हर कोई मोबाइल, इंटरनेट और बिजली जैसी आधुनिक सुविधाओं से जुड़ा है, वहीं पृथ्वी पर कुछ ऐसे भी लोग हैं जिनकी दुनिया इन सभी से बिलकुल अलग है। ऐसे लोग न तो बिजली जानते हैं, न मोबाइल फोन का अस्तित्व। ये लोग बाहरी दुनिया से पूरी तरह कटे हुए हैं और अपनी परंपराओं और जीवनशैली को सदियों से वैसे ही बनाए हुए हैं। हम बात कर रहे हैं इंडियन ओशन के नॉर्थ सेंटिनल आइलैंड में रहने वाली सेंटिनलीज जनजाति की।

सेंटिनलीज: आधुनिक समाज से बिलकुल अलग

सेंटिनलीज जनजाति दुनिया की उन सबसे दुर्लभ जनजातियों में से एक है, जो आधुनिक मानव सभ्यता से पूरी तरह अछूती है। इनका बाहरी दुनिया के साथ कोई संपर्क नहीं है और ये संपर्क की हर कोशिश को आक्रामकता से नकार देते हैं। उन्हें आधुनिकता का कोई ज्ञान नहीं है और वे अपने पारंपरिक तरीके से जीवन यापन करते हैं।

सरकार और शोधकर्ताओं ने कई बार इनसे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन हर बार उनका जवाब हिंसक ही रहा। उनका मानना है कि बाहरी लोग उनके इलाके में अनचाहे घुसपैठिए हैं, इसलिए वे उनका स्वागत नहीं करते।

संपर्क की हर कोशिश पर हमला

इतिहास में कई उदाहरण हैं जब बाहरी लोग सेंटिनलीज जनजाति से मिलने या उनसे संपर्क करने गए, तो उन्हें जान से हाथ धोना पड़ा।

  • एक बार एक भागा हुआ कैदी गलती से इस आइलैंड पर पहुंच गया था, लेकिन सेंटिनलीज ने उसे मार दिया।

  • 1981 में एक नौका गलती से आइलैंड के करीब आ गई थी, नौका पर सवार लोगों ने बताया कि किनारों पर तीर-कमान और भाले लिए लोग खड़े थे। वे बचकर वहां से निकल पाए।

  • 2004 के भूकंप और सुनामी के बाद भारत सरकार ने हेलिकॉप्टर भेजा ताकि जनजाति की स्थिति देखी जा सके, लेकिन जनजाति के लोगों ने उस हेलिकॉप्टर पर भी हमला कर दिया।

इन घटनाओं से स्पष्ट है कि ये लोग बाहरी दुनिया से पूरी तरह दूर रहना चाहते हैं।

पारंपरिक जीवनशैली और रहन-सहन

सेंटिनलीज जनजाति का जीवन प्रकृति के साथ मेल खाता है। ये खेती नहीं करते, बल्कि शिकार और जंगल से मिलने वाले संसाधनों पर निर्भर हैं। उनकी ज़िन्दगी आज भी ऐसे ही चल रही है जैसे हजारों साल पहले थी। उनके आसपास घने जंगल हैं जो इस बात का सबूत हैं कि वे आधुनिक कृषि पद्धति का उपयोग नहीं करते।

60,000 सालों का इतिहास

डेली मेल की एक रिपोर्ट के अनुसार, सेंटिनलीज जनजाति लगभग 60,000 सालों से इस आइलैंड पर रह रही है। यह एक अद्भुत तथ्य है कि इतने लंबे समय तक ये लोग आधुनिक सभ्यता के संपर्क में आए बिना अपनी संस्कृति को जीवित रख पाए हैं।

उनका बाहरी दुनिया से सम्पर्क न होना, उनकी संस्कृति और परंपराओं की सुरक्षा के लिए जरूरी माना जाता है। इसलिए सरकार और मानवाधिकार संगठन इनके क्षेत्र की सुरक्षा करते हैं और बाहरी लोगों को वहां जाने से रोकते हैं।

दुनिया का सबसे खतरनाक जनजाति

सेंटिनलीज जनजाति को दुनिया का सबसे खतरनाक और अलग-थलग रहने वाला समुदाय माना जाता है। जो भी उनके इलाके में घुसने की कोशिश करता है, उन पर वे भाले और तीर चलाते हैं। इसके चलते इस जनजाति पर कई बार विवाद भी होते रहे हैं, लेकिन इनकी रक्षा और संरक्षण को प्राथमिकता दी जाती है।

सोशल मीडिया पर लोकप्रियता

हालांकि सेंटिनलीज जनजाति का बाहरी दुनिया से संपर्क न के बराबर है, फिर भी इंटरनेट पर उनकी कुछ वीडियो और डॉक्यूमेंट्री मौजूद हैं। यूट्यूब पर एक डॉक्यूमेंट्री जिसने 2 मिलियन से ज्यादा व्यूज हासिल किए, वहां इस जनजाति के बारे में थोड़ी बहुत जानकारी मिलती है। हालांकि ये वीडियो भी उनकी गुप्तता और सुरक्षा का पूरा ध्यान रखते हुए बनाए गए हैं।

निष्कर्ष

सेंटिनलीज जनजाति आज भी पृथ्वी की उन आखिरी प्राचीन सभ्यताओं में से एक है जो पूरी तरह आधुनिकता से दूर, प्रकृति के साथ सामंजस्य बैठाकर जीवन यापन कर रही है। उनकी दुनिया में ना बिजली है, ना मोबाइल, ना इंटरनेट।

वे हमें यह सिखाते हैं कि कुछ समाज आज भी अपनी जड़ों से जुड़े हुए हैं और बाहरी दुनिया से दूरी बनाए रखना उनकी सुरक्षा और अस्तित्व के लिए कितना आवश्यक है। इसलिए हमें उनका सम्मान करना चाहिए और उनकी निजता का पूरा ध्यान रखना चाहिए ताकि वे अपनी परंपराओं के साथ इस दुनिया में सुरक्षित रह सकें।

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