नौ दिवसीय शारदीय नवरात्रि की कठिन साधना और पूजा-अर्चना का समापन दुर्गा विसर्जन के साथ होता है, जिसे विजयदशमी भी कहते हैं। यह तिथि मां दुर्गा की विदाई का पर्व है, जब भक्तजन माता रानी की प्रतिमाओं और घटस्थापना (कलश) का विसर्जन करते हैं और अगले वर्ष पुनः आगमन की प्रार्थना करते हुए विदाई देते हैं।
दुर्गा विसर्जन 2025: तिथि और शुभ मुहूर्त
इस वर्ष 2025 में, दुर्गा विसर्जन का पर्व दशमी तिथि को मनाया जाएगा।
पर्व | तिथि | दशमी तिथि प्रारंभ | दशमी तिथि समाप्त |
दुर्गा विसर्जन / विजयदशमी | 02 अक्टूबर 2025, गुरुवार | 01 अक्टूबर 2025 को 07:01 PM | 02 अक्टूबर 2025 को 07:10 PM |
दुर्गा विसर्जन मुहूर्त (प्रातःकाल):
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शुभ मुहूर्त: 06:15 AM से 08:37 AM तक।
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अवधि: 02 घण्टे 22 मिनट्स।
विसर्जन का श्रेष्ठ समय: 02 अक्टूबर 2025 को प्रातः 07:00 बजे से लेकर दोपहर 12:00 बजे तक का समय माता के विसर्जन के लिए अत्यंत शुभ रहेगा।
दुर्गा विसर्जन की विधि
दशमी तिथि पर माता को विदाई देने के लिए निम्न विधि अपनाई जाती है:
संकल्प और आरती: दशमी के दिन प्रातःकाल स्नान करके व्रत-पूजन का संकल्प लें। मां दुर्गा की प्रतिमा या घटस्थापना के सामने अंतिम आरती करें।
भोग और क्षमा याचना: मां को पुष्प, रोली, अक्षत, धूप-दीप और नैवेद्य (भोग) अर्पित करें। भक्तजन हाथ जोड़कर पूजा के दौरान हुई किसी भी भूल या त्रुटि के लिए क्षमा याचना करें और अगले वर्ष पुनः आने की प्रार्थना करें।
विसर्जन: मां की प्रतिमा या कलश को किसी स्वच्छ जलाशय—जैसे गंगा, नदी, तालाब—में विसर्जित करें।
जयघोष: विसर्जन के समय भक्तगण श्रद्धापूर्वक "जय मां दुर्गे" और "अगले बरस तू जल्दी आ" का जयघोष करते हैं।
दुर्गा विसर्जन का महत्व
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पूर्ण फल की प्राप्ति: यह पर्व नवरात्रि की नौ दिनों की साधना और पूजा का पूर्ण फल प्रदान करता है।
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सकारात्मक ऊर्जा: विसर्जन के साथ भक्त के जीवन में एक नई शुरुआत और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
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सुख-समृद्धि: मां दुर्गा के आशीर्वाद से घर-परिवार में सुख, शांति और समृद्धि का वास होता है।
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जीवन का संदेश: यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि हर आरंभ का एक अंत होता है, और हर अंत के साथ एक नई शुरुआत होती है, ठीक वैसे ही जैसे मां अगले वर्ष फिर से हमारे बीच आगमन करती हैं।
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