महारानी कॉलेज परिसर में स्थित एक मजार को लेकर उठे विवाद ने अब जोर पकड़ लिया है। मंगलवार को धरोहर बचाओ संघर्ष समिति के सदस्यों ने कॉलेज के बाहर हनुमान चालीसा का पाठ कर विश्वविद्यालय प्रशासन की "सद्बुद्धि" की कामना की और मजार को हटाने की मांग दोहराई। इस दौरान समिति ने चेतावनी भी दी कि अगर जांच कमेटी का फैसला उनके पक्ष में नहीं आया, तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे।
संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि कॉलेज जैसे शैक्षणिक परिसर में धार्मिक स्थलों की मौजूदगी न केवल संस्थान की मूल भावना के खिलाफ है, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए भी गलत संदेश देती है। उन्होंने विश्वविद्यालय प्रशासन पर आरोप लगाया कि वह इस मामले को टाल रहा है और छात्रों की भावनाओं की अनदेखी कर रहा है।
कार्यकर्ताओं ने यह भी कहा कि कॉलेज परिसर ऐतिहासिक धरोहरों में शामिल है और यहां किसी भी प्रकार का अवैध निर्माण या धार्मिक प्रतीक का प्रवेश धरोहर संरक्षण अधिनियम के खिलाफ है। हनुमान चालीसा पाठ के दौरान समिति के सदस्य भगवा झंडे और पोस्टरों के साथ नारेबाजी करते रहे। उन्होंने 'जय श्रीराम' और 'धरोहर बचाओ' जैसे नारों के साथ प्रशासन के रवैये पर नाराजगी जताई।
इस पूरे विवाद पर विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से फिलहाल कोई स्पष्ट बयान सामने नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार कॉलेज प्रशासन ने मामले की जांच के लिए एक आंतरिक समिति गठित की है, जो मजार के इतिहास, कानूनी स्थिति और निर्माण काल की जांच कर रही है।
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