भारत ने हाल ही में लगभग 62,000 करोड़ रुपये की लागत से 97 एलसीए (हल्के लड़ाकू विमान) तेजस मार्क 1ए लड़ाकू विमानों की खरीद को मंज़ूरी दी है। यह सौदा मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत पहल को मज़बूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम है। इससे भारतीय वायु सेना (IAF) का लड़ाकू विमान बेड़ा न केवल बड़ा होगा, बल्कि आधुनिक और स्वदेशी तकनीक से भी लैस होगा।
वर्तमान में भारतीय वायु सेना का बेड़ाभारतीय वायु सेना के पास वर्तमान में 31 लड़ाकू स्क्वाड्रन हैं, जबकि आवश्यकता 42 स्क्वाड्रन की है। प्रत्येक स्क्वाड्रन में औसतन 18 जेट होते हैं, यानी कुल मिलाकर IAF के पास लगभग 558 लड़ाकू विमान हैं। इनमें शामिल हैं...
सुखोई Su-30 MKI: 265 जेट (भारत में निर्मित, रूस से लाइसेंस प्राप्त)
मिग-21: 36 जेट (2025 में सेवानिवृत्त होने वाले)
मिग-29: 65 जेट
मिराज 2000: 44 जेट
राफेल: 36 जेट
जगुआर: 130 जेट
तेजस मार्क 1: 31 जेट (2 स्क्वाड्रन)
हालाँकि, पुराने मिग-21, मिग-23 और मिग-27 के सेवानिवृत्त होने से स्क्वाड्रनों की संख्या कम हो गई है। सितंबर 2025 में, अंतिम दो मिग-21 स्क्वाड्रन (क्रमांक 3 और 23) सेवानिवृत्त हो जाएँगे, जिससे स्क्वाड्रनों की संख्या घटकर 29 रह जाएगी।
97 एलसीए मार्क 1ए का प्रभाव97 एलसीए मार्क 1ए जेट विमानों की खरीद से भारतीय वायुसेना का तेजस बेड़ा काफी मजबूत हो जाएगा। वर्तमान में भारतीय वायुसेना के पास... 40 तेजस मार्क 1 जेट हैं (2 स्क्वाड्रन: संख्या 45 'फ्लाइंग डैगर्स' और संख्या 18 'फ्लाइंग बुलेट्स') 83 एलसीए मार्क 1ए का ऑर्डर पहले ही दिया जा चुका है (2021 में, 48,000 करोड़ रुपये का सौदा)।
नए सौदे के साथ, 97 और एलसीए मार्क 1ए जेट विमानों के जुड़ने से कुल संख्या 180 एलसीए मार्क 1ए और 40 मार्क 1 जेट हो जाएगी, यानी 220 तेजस जेट। यह भारतीय वायुसेना के बेड़े का एक प्रमुख हिस्सा होगा। ये जेट पुराने हो चुके मिग-21 विमानों की जगह लेंगे और स्क्वाड्रन की कमी को पूरा करने में मदद करेंगे।
एलसीए मार्क 1ए में 65% से ज़्यादा स्वदेशी सामग्री है। यह उन्नत एईएसए रडार, इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सूट और अस्त्र मिसाइल जैसी तकनीकों से लैस है। यह 4.5 पीढ़ी का बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान है जो हवा से हवा और हवा से ज़मीन पर हमला करने में सक्षम है।
भारतीय वायुसेना का बेड़ा कितना बड़ा होगा?97 एलसीए मार्क 1ए विमानों के शामिल होने के बाद, भारतीय वायुसेना के बेड़े में लगभग 600-620 लड़ाकू विमान होंगे, जिनमें 220 तेजस (मार्क 1 और मार्क 1ए) के साथ-साथ अन्य जेट (सु-30 एमकेआई, राफेल, मिग-29, मिराज और जगुआर) शामिल होंगे। यह 33-34 स्क्वाड्रन के बराबर होगा। हालाँकि, यह अभी भी 42 स्क्वाड्रन के लक्ष्य से कम है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) ने 2025 के अंत तक 12 LCA मार्क 1A जेट और 2029 तक 83 जेट की पूरी आपूर्ति का वादा किया है। 97 नए जेट की आपूर्ति 10 वर्षों में, यानी 2035 तक पूरी हो जाएगी।
भविष्य की योजनाएँ: 60 स्क्वाड्रन का लक्ष्यभारतीय वायुसेना ने 2047 तक अपने बेड़े को 60 स्क्वाड्रन (लगभग 1,080-1,200 जेट) तक बढ़ाने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है। भारत के दो मोर्चों - पाकिस्तान और चीन - से बढ़ते खतरों को देखते हुए यह लक्ष्य आवश्यक है। चीन के पास पाँचवीं पीढ़ी के J-20 सहित 1,900 से अधिक लड़ाकू विमान हैं, जबकि पाकिस्तान अपने JF-17 बेड़े को उन्नत कर रहा है।
इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारतीय वायुसेना की योजना...एलसीए मार्क 2: यह तेजस का उन्नत संस्करण है, जो जीई एफ414 इंजन से लैस होगा और 6,500 किलोग्राम का पेलोड ले जा सकता है। भारतीय वायुसेना 120-200 एलसीए मार्क 2 जेट विमानों का ऑर्डर देने की योजना बना रही है। इसका पहला प्रोटोटाइप 2025 के अंत या 2026 की शुरुआत में उड़ान भरेगा। इसका बड़े पैमाने पर उत्पादन 2029 से शुरू होगा। यह मिग-29, मिराज 2000 और जगुआर की जगह लेगा।
उन्नत मध्यम लड़ाकू विमान (एएमसीए): यह भारत का पाँचवीं पीढ़ी का स्टील्थ लड़ाकू विमान होगा, जिसे 2035 तक शामिल करने की योजना है। भारतीय वायुसेना 200 एएमसीए जेट (मार्क 1 और मार्क 2) खरीदना चाहती है, जो हवाई श्रेष्ठता और दूर तक मार करने के लिए होंगे। इसमें स्टील्थ, सुपर क्रूज़ और उन्नत सेंसर होंगे।
बहुउद्देशीय लड़ाकू विमान (एमआरएफए): भारतीय वायुसेना 114 नए लड़ाकू विमान खरीदने की योजना बना रही है, जिनमें राफेल, एफ-15ईएक्स, एफ/ए-18 सुपर हॉर्नेट, टाइफून और एसयू-35 जैसे विकल्प शामिल हैं। इस सौदे का उद्देश्य स्क्वाड्रन की कमी को शीघ्र पूरा करना है।
एसयू-30 एमकेआई अपग्रेड: भारतीय वायुसेना अपने 260 एसयू-30 एमकेआई जेट विमानों को उन्नत स्वदेशी एईएसए रडार, डिजिटल कॉकपिट और नए मिशन कंप्यूटर के साथ अपग्रेड करेगी। इसमें 78% स्वदेशी सामग्री होगी।
मानवरहित हवाई वाहन (यूएवी): भारतीय वायुसेना 2030 तक 30-50 ड्रोन (छोटे, मध्यम और बड़े) खरीदेगी, जैसे कि डीआरडीओ लेथल और अल्फा-एस स्वार्म ड्रोन, जो नेटवर्क-केंद्रित युद्ध के लिए होंगे।
चुनौतियाँ और समाधानउत्पादन में देरी: GE F404 इंजन की आपूर्ति में व्यवधान के कारण तेजस मार्क 1A की डिलीवरी में देरी हुई। पहला जेट मार्च 2025 तक मिलने की उम्मीद है। HAL 2025 तक 12 जेट विमानों की आपूर्ति करेगा।
स्वदेशीइंजन: तेजस वर्तमान में अमेरिकी GE F404 इंजन पर निर्भर है। भारत की कावेरी इंजन परियोजना चल रही है, लेकिन अभी पूरी तरह तैयार नहीं हुई है। HAL और GE अब भारत में F414 इंजन का संयुक्त उत्पादन करेंगे।
निजी क्षेत्र की भागीदारी: सरकार ने एक समिति गठित की है, जो तेजस और AMCA के उत्पादन में निजी क्षेत्र को शामिल करने की योजना बना रही है। इससे उत्पादन में तेज़ी आएगी और लागत कम होगी।
मेक इन इंडिया का प्रभाव97 LCA मार्क 1A सौदे से मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा। इन विमानों में 65% स्वदेशी सामग्री है। मार्क 2 में यह 70% तक होगी। इससे छोटे और मध्यम उद्यमों को रोज़गार मिलेगा और भारत एयरोस्पेस में आत्मनिर्भर बनेगा।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तेजस के प्रशिक्षक संस्करण में उड़ान भरी और इसकी प्रशंसा की, जिससे स्वदेशी तकनीक में विश्वास बढ़ा।
You may also like
थ्येनचिन में होगा एससीओ शिखर सम्मेलन
दिल्ली विधानसभा में होगी खास चर्चा, जुटेंगे देशभर के स्पीकर; विजेंद्र गुप्ता ने तैयारियों की जानकारी दी
सुप्रीम कोर्ट की झारखंड हाईकोर्ट को सलाह, 'अदालत अधीनस्थ अफसरों के लिए अभिभावक की तरह'
Shakib Al Hasan के पास इतिहास रचने का मौका, दुनिया के सिर्फ 4 खिलाड़ी ही बना पाए हैं ये बड़ा रिकॉर्ड
21वीं सदी एशिया, विशेषकर दक्षिण एशिया के लिए त्वरित विकास और पुनरुद्धार का युग : चीनी विदेश मंत्री