नई दिल्ली — सावन का महीना हिन्दू धर्म में आस्था और भक्ति से भरा होता है। इस दौरान भगवान शिव की आराधना, व्रत और पूजा-पाठ का विशेष महत्व होता है। साथ ही खानपान में भी विशेष सावधानी बरती जाती है। इस महीने में दही, बैंगन, साग और कढ़ी जैसी चीजें खाने से मना किया जाता है। बहुत से लोग इसे सिर्फ धार्मिक परंपरा मानते हैं, लेकिन आयुर्वेद और आधुनिक विज्ञान भी इसके पीछे सार्थक कारण बताते हैं।
आइए जानें कि इन चार चीजों को सावन में खाने से क्यों किया जाता है परहेज, और इसके पीछे छिपी स्वास्थ्य विज्ञान की सच्चाई क्या है।
1. दही क्यों नहीं खाते हैं सावन में?दही, गर्मियों में शरीर को ठंडक देने वाला और पाचन में सहायक होता है। लेकिन सावन में वातावरण में नमी और उमस अधिक होने के कारण दही जल्दी खट्टा हो जाता है, जिससे उसमें हानिकारक बैक्टीरिया पनप सकते हैं।
वैज्ञानिक कारण:
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बैक्टीरिया और फंगस के पनपने का खतरा ज्यादा।
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खट्टा दही पाचन तंत्र को नुकसान पहुंचा सकता है।
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दस्त, गैस, अपच और फूड पॉइजनिंग जैसी समस्याओं की संभावना बढ़ जाती है।
आयुर्वेदिक दृष्टिकोण:
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सावन में वात दोष सक्रिय होता है और दही इस दोष को बढ़ा सकता है।
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दही के बजाय छाछ या मट्ठा लेना इस मौसम में बेहतर होता है।
पालक, मेथी, सरसों जैसी हरी सब्जियां, जिनका सेवन सामान्यतः स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद माना जाता है, उन्हें भी सावन में खाने से मना किया गया है।
विज्ञान के अनुसार:
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बारिश में मिट्टी और खेतों में अधिक नमी के कारण साग में कीड़े और फंगस लगने की संभावना बढ़ जाती है।
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पत्तियों में बैक्टीरिया या कीड़ों के अंडे हो सकते हैं जो पेट संक्रमण का कारण बन सकते हैं।
आयुर्वेदिक सलाह:
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मानसून में पाचन शक्ति कमजोर हो जाती है।
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ऐसी सब्जियां अच्छी तरह धोकर और पकाकर ही खानी चाहिए या फिर सावन में पूरी तरह बचना चाहिए।
बैंगन को लेकर धार्मिक मान्यता है कि यह तामसिक प्रकृति का भोजन है, जबकि सावन में सात्विक आहार को प्राथमिकता दी जाती है।
वैज्ञानिक कारण:
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बैंगन की खेती गीली और कीटभरी मिट्टी में होती है।
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मानसून में इसमें कीटों के अंडे और बैक्टीरियल इंफेक्शन का खतरा होता है।
धार्मिक दृष्टिकोण:
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भगवान शिव को सात्विक भोजन प्रिय है, इसलिए तामसिक भोजन जैसे बैंगन को नकारा जाता है।
कढ़ी मुख्यतः दही से बनती है और इसका स्वाद खट्टा होता है। सावन में इसे खाने से भी मना किया जाता है।
विज्ञान के अनुसार:
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खट्टी चीजें पेट में कफ और एसिडिटी बढ़ा सकती हैं।
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कढ़ी जल्दी खराब हो जाती है, जिससे फूड पॉइजनिंग का खतरा होता है।
आयुर्वेद की सलाह:
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सावन में हल्का, सात्विक और सुपाच्य भोजन ही करना चाहिए।
सावन के दौरान इन चार चीजों — दही, साग, बैंगन और कढ़ी — से परहेज करने की परंपरा केवल धर्म तक सीमित नहीं है। इसके पीछे स्वस्थ जीवनशैली और मौसम की परिस्थितियों को ध्यान में रखकर बनाए गए वैज्ञानिक कारण भी हैं।
इसलिए जब अगली बार कोई कहे कि सावन में ये चीजें मत खाओ, तो जान लें कि यह सिर्फ आस्था नहीं, आपकी सेहत की भी रक्षा करता है।
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