फैटी लिवर: सिर्फ मोटापा ही नहीं, ये कारण भी बनते हैं जिम्मेदार
फैटी लिवर अब केवल मोटे लोगों की बीमारी नहीं रही। आज के दौर में दुबले-पतले, दिखने में फिट लोग भी इस गंभीर समस्या के शिकार हो रहे हैं। बदलती जीवनशैली, खानपान की आदतें और शारीरिक गतिविधियों में कमी इसकी बड़ी वजह बनकर सामने आ रही है। हैरानी की बात यह है कि फैटी लिवर की शुरुआत में कोई खास लक्षण नहीं दिखाई देते, लेकिन समय पर ध्यान न दिया जाए तो यह लिवर सिरोसिस, लिवर फेलियर और यहां तक कि लिवर कैंसर जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है।
इस लेख में हम समझेंगे कि फैटी लिवर क्या है, इसके मुख्य कारण क्या हो सकते हैं, और इससे बचने के लिए कौन-कौन से उपाय अपनाए जा सकते हैं।
फैटी लिवर क्या होता है?लेडी हार्डिंग हॉस्पिटल के मेडिसिन विभाग में प्रोफेसर एल.एस. घोटकर बताते हैं कि जब लिवर की कोशिकाओं में सामान्य से अधिक वसा (फैट) जमा होने लगता है, तो लिवर का सामान्य कामकाज प्रभावित होने लगता है। इस स्थिति को ही फैटी लिवर कहा जाता है। इसमें रोगी को पेट के दाहिने हिस्से में दर्द, भूख में कमी, थकान और कमजोरी जैसे लक्षण महसूस हो सकते हैं।
मोटापा नहीं फिर भी क्यों होता है फैटी लिवर?1. टाइप-2 डायबिटीज
ब्लड शुगर का लगातार उच्च स्तर लिवर की कोशिकाओं में सूजन और फैट जमा करने की प्रक्रिया को बढ़ा सकता है। ऐसे मरीजों को अपनी दवाएं नियमित रूप से डॉक्टर की सलाह अनुसार लेनी चाहिए।
2. अत्यधिक शराब का सेवन
शराब सीधे लिवर की कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाती है, जिससे लिवर में फैट जमा होता है और समय के साथ लिवर सिरोसिस और कैंसर का खतरा बढ़ जाता है।
3. थायरॉयड और हार्मोनल असंतुलन
थायरॉयड की गड़बड़ी मेटाबॉलिज्म को धीमा कर देती है, जिससे वसा का सही तरीके से पाचन नहीं हो पाता और वह लिवर में जमा हो जाती है।
4. तेल-मसालेदार भोजन
तेल में तले फास्ट फूड और ज्यादा मसालेदार भोजन लिवर पर अतिरिक्त दबाव डालते हैं, जिससे फैटी लिवर की संभावना बढ़ जाती है।
5. दवाओं का साइड इफेक्ट
स्टेरॉयड, एस्पिरिन, कीमोथेरेपी या कॉर्टिकोस्टेरॉइड जैसी दवाएं लिवर पर असर डाल सकती हैं। इन दवाओं का सेवन बिना डॉक्टर की सलाह न करें।
6. परिवार में फैटी लिवर का इतिहास
अगर परिवार में किसी को फैटी लिवर की समस्या रही है, तो आनुवांशिक रूप से यह खतरा अगली पीढ़ी में भी हो सकता है।
7. प्रेग्नेंसी के आखिरी महीनों में
कुछ महिलाओं को गर्भावस्था के अंतिम चरण में फैटी लिवर की समस्या हो सकती है, जिसे Acute Fatty Liver of Pregnancy कहा जाता है।
8. शारीरिक गतिविधियों की कमी
व्यायाम की कमी और बैठकर काम करने की आदतें शरीर में जमा वसा को ऊर्जा में नहीं बदलने देतीं, जिससे यह लिवर में स्टोर हो जाता है।
फैटी लिवर से बचाव कैसे करें?-
स्वस्थ आहार अपनाएं: कम वसा, अधिक फाइबर और प्रोटीन से भरपूर भोजन लें
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नियमित व्यायाम करें: रोजाना कम से कम 30 मिनट चलना या हल्का योग करना लिवर को स्वस्थ रखने में मददगार है
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मधुमेह और थायरॉयड को नियंत्रण में रखें
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शराब और सिगरेट से दूरी बनाएं
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वजन को नियंत्रित रखें, भले ही आप दुबले हों
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डॉक्टर से नियमित लिवर फंक्शन टेस्ट करवाएं, खासकर यदि जोखिम कारक मौजूद हैं
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लगातार थकान महसूस होना
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भूख में कमी
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पेट में भारीपन या हल्का दर्द
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मिचली या हल्का उल्टी जैसा एहसास
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कभी-कभी त्वचा या आंखों का पीला पड़ना (जॉन्डिस)
अगर इनमें से कोई भी लक्षण लंबे समय तक बने रहें, तो तुरंत चिकित्सकीय परामर्श लेना जरूरी है।
मोटापा न होने के बावजूद फैटी लिवर एक गंभीर और तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्या है। इसके कई कारण हो सकते हैं – डायबिटीज, हार्मोनल असंतुलन, गलत खानपान, व्यायाम की कमी, या दवाओं के साइड इफेक्ट। समय रहते इसका इलाज और जीवनशैली में बदलाव अपनाकर आप लिवर को स्वस्थ रख सकते हैं और गंभीर बीमारियों से बच सकते हैं।
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