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वैदिक ज्योतिष के अनुसार, ग्रह नियमित अंतराल पर राशि परिवर्तन करते हैं। इसका प्रभाव सभी राशियों के जातकों पर पड़ता है। पृथ्वी पुत्र मंगल 28 जुलाई को रात्रि 8:11 बजे सिंह राशि से निकलकर कन्या राशि में प्रवेश करेंगे। इस बार मंगल 13 सितंबर तक इसी राशि में भ्रमण करेंगे।
इसी प्रकार, शनि मीन राशि में वक्री अवस्था में हैं। ऐसे में शनि और मंगल के बीच समसप्तक योग बन रहा है। इस परस्पर दृष्टि के कारण बारह राशियों में किसी न किसी के जीवन में परिवर्तन आएंगे। आइए देखें कि ये परिवर्तन कैसे होंगे।
मेष
मेष राशि के लिए मंगल छठे भाव में होगा और शनि की दृष्टि उस पर होगी। यह समसप्तक योग मिले-जुले परिणाम दे सकता है, जैसे एक ओर लाभ तो दूसरी ओर सावधानी बरतने की आवश्यकता। आयात-निर्यात, विदेशी सेवाओं या विदेशी ग्राहकों से जुड़े लोगों को काफी लाभ हो सकता है। कोर्ट-कचहरी, कर्ज या स्वास्थ्य संबंधी मामलों में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
तुला
तुला राशि की कुंडली में मंगल बारहवें भाव में गोचर कर रहा है। चूँकि मंगल आपके लिए धन और व्यापार का स्वामी है, इसलिए खर्चों में वृद्धि के संकेत हैं। जो लोग विदेश में नौकरी करने पर विचार कर रहे हैं, उन्हें सही प्रयास करने पर सकारात्मक प्रगति देखने को मिल सकती है। चूँकि शनि-मंगल एक-दूसरे के सम्मुख हैं, इसलिए मानसिक तनाव, निद्रा चक्र और कुछ लोगों को रक्तचाप या मांसपेशियों से संबंधित परेशानी का अनुभव हो सकता है।
मकर
शनि और मंगल की युति से नए सीखने के अवसर, करियर की दिशा में बदलाव और आध्यात्मिक रुझान बढ़ने की संभावना है। आयात-निर्यात से जुड़े लोगों के लिए यह समय लाभदायक है, लेकिन जोखिम को समझे बिना कदम न उठाएँ। चूँकि मंगल की चतुर्थ दृष्टि इसी भाव पर पड़ रही है, इसलिए खर्चों में वृद्धि होगी। कार्यक्षेत्र में बदलाव हो सकते हैं।
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