नई दिल्ली। अभिनेता से राजनेता बने कमल हासन को उनकी एक टिप्पणी पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने कड़ी फटकार लगाई है। जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने कड़े शब्दों में कहा है कि आप चाहे कमल हासन हों या कोई भी और, लेकिन लोगों की भावनाओं को आहत नहीं कर सकते। किसी भी नागरिक के पास जन भावनाएं आहत करने का अधिकार नहीं है। दरअसल हिंदी-तमिल भाषा विवाद में तमिल का समर्थन करते हुए कमल हासन ने हाल ही में कहा था कन्नड़ भाषा का जन्म भी तमिल भाषा से ही हुआ है। उनकी इस टिप्पणी का कन्नड़ भाषियों ने जमकर विरोध किया। कर्नाटक सरकार ने कमल हासन की फिल्म ठग लाइफ की प्रदेश में रिलीज पर रोक लगा दी। इसके बाद कमल हासन ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी।
जस्टिस एम. नागप्रसन्ना ने पूछा कि आपने किस आधार पर यह बयान दिया? क्या आप कोई इतिहासकार हैं या भाषा के जानकार हैं? उन्होंने कहा कि नागरिकों के लिए जल, जमीन और भाषा बहुत जरूरी है। भाषा के आधार पर ही राज्यों का बंटवारा हुआ है। जज ने कहा कि कर्नाटक के लोग चाहते हैं कि आप माफी मांगें लेकिन आपका रवैया माफी मांगने का नहीं है। जज ने कहा कि एक तरफ तो आप अपनी फिल्म कर्नाटक के लोगों से पैसा कमाना चाहते हैं लेकिन उनकी भावनाओं को आहत करने के लिए माफी नहीं मांग सकते। जज ने स्पष्ट कहा कि अगर आप ऐसा नहीं कर सकते तो हाईकोर्ट में याचिका दाखिल ही क्यों की?
हालांकि कमल हासन के वकील ने उनका बचाव करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल का उद्देश्य किसी की भावना को ठेस पहुंचाना नहीं था। अदालत ने फिलहाल इस पर कोई आदेश पारित नहीं किया है और कमल हासन को माफी मांगने पर विचार करने के लिए कहा है। बता दें कि भाषा विवाद में हिंदी की आलोचना करने के चलते ही तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन ने राज्यसभा चुनाव में अपनी पार्टी के कोटे से एक सीट कमल हासन की पार्टी मक्कल नीधि मैयम को दी है।
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