वॉशिंगटन। दुनिया की मशहूर टेक कंपनियों में से एक गूगल है। गूगल यूं तो कई तरह की सर्विस देती है, लेकिन इसका क्रोम वेब ब्राउजर हरदिल अजीज है। शायद ही दुनिया में इंटरनेट का इस्तेमाल करने वाला हो, जो गूगल क्रोम के जरिए वेबसाइट और खबरें वगैरा सर्च न करता हो। अब एआई सॉल्यूशन वाली एक और टेक कंपनी गूगल क्रोम को खरीदने की इच्छा रखती है। इस कंपनी के बड़े अफसर ने गूगल क्रोम को खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है।
दरअसल, अमेरिका के वॉशिंगटन में गूगल के खिलाफ एंटीट्रस्ट मामले में मुकदमा चल रहा है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस सॉल्यूशन चैटजीपीटी देने वाली कंपनी ओपन एआई OpenAI के चीफ प्रोडक्ट अफसर निक टरली ने कहा है कि अगर प्रतिस्पर्धा को बरकरार रखने के लिए गूगल को अपना क्रोम वेब ब्राउजर बेचना पड़े, तो ओपन एआई क्रोम को खरीदने में दिलचस्पी रखता है। टरली के मुताबिक ओपन एआई ने गूगल से चैटजीपीटी में गूगल सर्च एपीआई का उपयोग करने की मंजूरी मांगी थी, लेकिन गूगल ने इस आग्रह को नहीं माना। निक टरली ने ये बयान उस वक्त दिया, जब अमेरिका के न्याय विभाग ऑनलाइन सर्च में गूगल की एकछत्रता को खत्म करने के लिए कड़े कदम उठाने की बात कह रहा है। अमेरिका के एक जज ने 2024 में कहा था कि गूगल के पास ऑनलाइन सर्च और उससे जुड़े विज्ञापन का एकाधिकार है।
गूगल ने हालांकि एंटीट्रस्ट मुकदमे को लड़ते हुए भी अपने क्रोम वेब ब्राउजर को बेचने की पेशकश नहीं की है। गूगल ने कहा है कि वो कोर्ट के फैसले को बड़ी अदालत में चुनौती देने के बारे में विचार कर रहा है। गूगल के खिलाफ अमेरिका के कोर्ट में चल रहा केस उस जेनरेटिव एआई के लिए हो रही दौड़ को भी दिखाता है, जिसके जरिए टेक वर्ल्ड की बड़ी कंपनियां और स्टार्टअप तेजी से अपने एआई एप को और बेहतर बनाकर ज्यादा लोगों को अपनी तरफ खींचना चाहती हैं। अमेरिका के न्याय विभाग का आरोप है कि गूगल की सर्च मोनोपॉली उसे एआई में अनुचित लाभ दे सकती है। जबकि, गूगल का कहना है कि फेसबुक, वाट्सएप और इंस्टाग्राम वाली मूल कंपनी मेटा और माइक्रोसॉफ्ट जैसी कंपनियां जेनरेटिव एआई की प्रतिस्पर्धा में हैं।
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