नई दिल्लीः नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने वजीराबाद में कचरा भरने की वजह से नष्ट हो रहे एक वेटलैंड से जुड़ी खबर का संज्ञान लिया है। ट्रिब्यूनल ने नोटिस जारी कर सरकार से इस पर जवाब मांगा है। एनजीटी अध्यक्ष जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और एग्जीक्यूटिव मेंबर डॉक्टर ए. सेंथिल वेल की बेंच ने दिल्ली पल्यूशन कंट्रोल कमिटी, दिल्ली डिवेलपमेंट अथॉरिटी, सेंट्रल पल्यूशन कंट्रोल बोर्ड, नॉर्थ दिल्ली के डिस्ट्रिक्ट मजिस्ट्रेट और एमसीडी कमिश्नर को निर्देश दिया कि वे मामले में 27 अक्टूबर को अगली सुनवाई से कम से कम एक हफ्ते पहले इस मुद्दे पर अपने-अपने जवाब दाखिल कर दें।
2 साल में तालाब को कचरे से भर दिया गया
मामला उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद के पास एक वेटलैंड (झड़ोदा तालाब) के लुप्त होने से जुड़ा है। यहां कभी जलीय वनस्पतियों और जीवों के एक समृद्ध इकोसिस्टम था। न्यूज रिपोर्ट में बताया गया था कि पिछले दो साल में तालाब को कचरे से भर दिया गया है। खबर के हवाले से ट्रिब्यूनल ने आगे कहा कि 2023 की शुरुआत में एक खबर में बताया गया था कि भलस्वा लैंडफिल के कूड़े का इस्तेमाल वजीराबाद और तिमारपुर इलाके में वेटलैंड को भरने के लिए किया जा रहा है। उस समय, झड़ोदा तालाब का कुछ हिस्सा भरा हुआ था।
NGT ने मांगा जवाब
हालांकि, हाल ही में साइट के दौरे के दौरान, इलाके को पूरी तरह से पटा हुआ और समतल पाया गया। ट्रिब्यूनल ने गौर किया कि साइट पर अभी भी जैविक गतिविधि के संकेत दिखाई देते हैं। इसमें फ्राग्माइट्स ऑस्ट्रेलिस, फ्राग्माइट्स कर्क, टाइफा लैटिफोलिया, टाइफा एंगुस्टिफोलिया और पास्पलम जैसी घास प्रजातियों और भारतीय मूरहेन, लिटिल ग्रेब और स्पॉट-बिल्ड डक सहित पक्षी प्रजातियों की मौजूदगी शामिल है।
वेटलैंड अधिसूचित नहीं किए गए
ट्रिब्यूनल ने इस बात पर भी गौर किया कि वेटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 के 2020 में प्रभावी होने के बावजूद, दिल्ली में एक भी वेटलैंड को आधिकारिक तौर पर अधिसूचित नहीं किया गया है। खबर में बताया गया कि दिल्ली वेटलैंड अथॉरिटी के रिकॉर्ड के अनुसार, यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क के भीतर सिर्फ दो वेटलैंड सूचीबद्ध हैं।
2 साल में तालाब को कचरे से भर दिया गया
मामला उत्तरी दिल्ली के वजीराबाद के पास एक वेटलैंड (झड़ोदा तालाब) के लुप्त होने से जुड़ा है। यहां कभी जलीय वनस्पतियों और जीवों के एक समृद्ध इकोसिस्टम था। न्यूज रिपोर्ट में बताया गया था कि पिछले दो साल में तालाब को कचरे से भर दिया गया है। खबर के हवाले से ट्रिब्यूनल ने आगे कहा कि 2023 की शुरुआत में एक खबर में बताया गया था कि भलस्वा लैंडफिल के कूड़े का इस्तेमाल वजीराबाद और तिमारपुर इलाके में वेटलैंड को भरने के लिए किया जा रहा है। उस समय, झड़ोदा तालाब का कुछ हिस्सा भरा हुआ था।
NGT ने मांगा जवाब
हालांकि, हाल ही में साइट के दौरे के दौरान, इलाके को पूरी तरह से पटा हुआ और समतल पाया गया। ट्रिब्यूनल ने गौर किया कि साइट पर अभी भी जैविक गतिविधि के संकेत दिखाई देते हैं। इसमें फ्राग्माइट्स ऑस्ट्रेलिस, फ्राग्माइट्स कर्क, टाइफा लैटिफोलिया, टाइफा एंगुस्टिफोलिया और पास्पलम जैसी घास प्रजातियों और भारतीय मूरहेन, लिटिल ग्रेब और स्पॉट-बिल्ड डक सहित पक्षी प्रजातियों की मौजूदगी शामिल है।
वेटलैंड अधिसूचित नहीं किए गए
ट्रिब्यूनल ने इस बात पर भी गौर किया कि वेटलैंड्स (संरक्षण और प्रबंधन) नियम, 2017 के 2020 में प्रभावी होने के बावजूद, दिल्ली में एक भी वेटलैंड को आधिकारिक तौर पर अधिसूचित नहीं किया गया है। खबर में बताया गया कि दिल्ली वेटलैंड अथॉरिटी के रिकॉर्ड के अनुसार, यमुना बायोडायवर्सिटी पार्क के भीतर सिर्फ दो वेटलैंड सूचीबद्ध हैं।
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