नई दिल्ली: चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान मंगलवार को मनोहर पर्रिकर इंस्टीट्यूट फॉर डिफेंस स्टडीज एंड एनालिसिस (MP-IDSA) पहुंचे। यहां एक कार्यक्रम में सीडीएस चौहान ने डिफेंस और सिक्योरिटी पर अपनी राय रखी। सीडीएस चौहान ने कहा कि आज युद्ध में तेजी से हो रही टेक्नोलॉजिकल तरक्की की वजह से एक बड़ा बदलाव देखने को मिल रहा है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि युद्ध में कोई उप-विजेता नहीं होता।
युद्ध देशों के भविष्य, अस्तित्व का सवाल
जनरल चौहान ने कहा कि युद्ध पूरी तरह से मैनेजमेंट के बारे में है, युद्ध में कोई रनर-अप नहीं होता। बहादुर कोशिशों के लिए कोई सिल्वर मेडल या सांत्वना पुरस्कार या बहुत बहादुरी भरे प्रयासों के लिए कोई इनाम नहीं होता। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह के संघर्ष में दांव हमेशा ऊंचे होते हैं, और यह देशों का भविष्य, या देशों के अस्तित्व का सवाल होता है। सीडीएस चौहान ने कहा कि यह कड़वी सच्चाई सदियों से मिलिट्री कमांडरों को अपने दुश्मनों पर हर संभव फायदा उठाने के लिए प्रेरित करती रही है।
युद्ध में जीत रणनीति पर निर्भर
सीडीएस चौहान ने काह कि युद्ध और युद्ध में जीत मूल रूप से रणनीति पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि मोटे तौर पर, अगर आप अतीत को देखें, तो रणनीति काफी हद तक भूगोल से तय होती थी, लेकिन धीरे-धीरे, टेक्नोलॉजी का एलिमेंट हावी हो रहा है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने कहा कि टेक्नोलॉजी अब भूगोल पर भारी पड़ रही है। लड़ाइयां, अभियान, और इसलिए युद्ध बेहतर रणनीति और टैक्टिक्स के इस्तेमाल से जीते गए हैं।
उन्होंने कहा कि पुराने और मध्ययुगीन समय में, इलाका अपनाई जाने वाली टैक्टिक्स को प्रभावित करता था। भूगोल ने लड़ाइयों, अभियानों और संघर्षों के नतीजे तय करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जो कमांडर भूगोल को समझते थे, वे हमेशा इसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर पाते थे।
मिलिट्री मामलों में तीसरी क्रांति
युद्ध के विकास के बारे में बताते हुए जनरल चौहान ने कहा कि जब तक हम पहले विकास की बात करते हैं, तब तक इसमें भूगोल और टेक्नोलॉजी दोनों का बराबर हाथ होता है। उन्होंने कहा कि दुनिया अब "मिलिट्री मामलों में तीसरी क्रांति" देख रही है। सीडीएस ने इसे, 'कन्वर्जेंस वॉरफेयर' का नाम दिया। उन्होंने कहा कि मैं इस खास क्रांति को कन्वर्जेंस वॉरफेयर के तौर पर फॉलो कर रहा हूं। यह काइनेटिक और नॉन-काइनेटिक, कॉन्टैक्ट और नॉन-कॉन्टैक्ट लड़ाइयों का मेल है।
युद्ध देशों के भविष्य, अस्तित्व का सवाल
जनरल चौहान ने कहा कि युद्ध पूरी तरह से मैनेजमेंट के बारे में है, युद्ध में कोई रनर-अप नहीं होता। बहादुर कोशिशों के लिए कोई सिल्वर मेडल या सांत्वना पुरस्कार या बहुत बहादुरी भरे प्रयासों के लिए कोई इनाम नहीं होता। उन्होंने कहा कि किसी भी तरह के संघर्ष में दांव हमेशा ऊंचे होते हैं, और यह देशों का भविष्य, या देशों के अस्तित्व का सवाल होता है। सीडीएस चौहान ने कहा कि यह कड़वी सच्चाई सदियों से मिलिट्री कमांडरों को अपने दुश्मनों पर हर संभव फायदा उठाने के लिए प्रेरित करती रही है।
#WATCH | Delhi: CDS Gen Anil Chauhan says, "War is all about winning. There are no runners-up in war. There are no silver medals for the valiant efforts or consolation prizes for very brave attempts. This harsh reality has been driving military commanders throughout ages to seek… pic.twitter.com/7X7KYD6SoH
— ANI (@ANI) November 11, 2025
युद्ध में जीत रणनीति पर निर्भर
सीडीएस चौहान ने काह कि युद्ध और युद्ध में जीत मूल रूप से रणनीति पर निर्भर करती है। उन्होंने कहा कि मोटे तौर पर, अगर आप अतीत को देखें, तो रणनीति काफी हद तक भूगोल से तय होती थी, लेकिन धीरे-धीरे, टेक्नोलॉजी का एलिमेंट हावी हो रहा है। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ ने कहा कि टेक्नोलॉजी अब भूगोल पर भारी पड़ रही है। लड़ाइयां, अभियान, और इसलिए युद्ध बेहतर रणनीति और टैक्टिक्स के इस्तेमाल से जीते गए हैं।
उन्होंने कहा कि पुराने और मध्ययुगीन समय में, इलाका अपनाई जाने वाली टैक्टिक्स को प्रभावित करता था। भूगोल ने लड़ाइयों, अभियानों और संघर्षों के नतीजे तय करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और जो कमांडर भूगोल को समझते थे, वे हमेशा इसका इस्तेमाल अपने फायदे के लिए कर पाते थे।
मिलिट्री मामलों में तीसरी क्रांति
युद्ध के विकास के बारे में बताते हुए जनरल चौहान ने कहा कि जब तक हम पहले विकास की बात करते हैं, तब तक इसमें भूगोल और टेक्नोलॉजी दोनों का बराबर हाथ होता है। उन्होंने कहा कि दुनिया अब "मिलिट्री मामलों में तीसरी क्रांति" देख रही है। सीडीएस ने इसे, 'कन्वर्जेंस वॉरफेयर' का नाम दिया। उन्होंने कहा कि मैं इस खास क्रांति को कन्वर्जेंस वॉरफेयर के तौर पर फॉलो कर रहा हूं। यह काइनेटिक और नॉन-काइनेटिक, कॉन्टैक्ट और नॉन-कॉन्टैक्ट लड़ाइयों का मेल है।
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