मुंबई : साल 2006 में मुंबई की लोकल ट्रेनों में हुर सिलसिलेवार बम धमाको में 9 लोगों की जान चली गई थी। जबकि 700 से अधिक लोग चामल हो गए थे। इस भवानह घटना में जान गंवाने वाले ओमकार मिश्रा के बेटे अनिरुद्ध मिश्रा ने बॉम्बे हाईकोर्ट के हालिया फैसले पर निराशा जाहिर की है। अनिरुद्ध ने कहा कि कोर्ट का फैसला सुनकर गहरी निराशा हुई है।
इस हादसे को 19 साल बीत चुके है लेकिन आज भी जब उस दिन की याद आती है, तो दिल काप उड़ता है। मेरे पिता ही घर में कमाने जाते एकमात्र सदस्य थे। हम चार भाई-बहन ये सिर्फ एक बहन की शादी हुई थी, सकी तीन पढ़ाई कर रहे थे। नालासोपारा के रहने वाले ओमकार मिश्रा एक मल्टिलेवल मार्केटिंग कपनों से जुड़े थे। धमाके वाले दिन वे एक क्लाइट से मिलने गए थे।
कब क्या हुआ?
इस हादसे को 19 साल बीत चुके है लेकिन आज भी जब उस दिन की याद आती है, तो दिल काप उड़ता है। मेरे पिता ही घर में कमाने जाते एकमात्र सदस्य थे। हम चार भाई-बहन ये सिर्फ एक बहन की शादी हुई थी, सकी तीन पढ़ाई कर रहे थे। नालासोपारा के रहने वाले ओमकार मिश्रा एक मल्टिलेवल मार्केटिंग कपनों से जुड़े थे। धमाके वाले दिन वे एक क्लाइट से मिलने गए थे।
कब क्या हुआ?
- 11 जुलाई 2006: शाम 6:23 से 6:29 बजे के बीच लोकल ट्रेनों के प्रथम श्रेणी डिब्बों में सात बम धमाके।
- 187 लोग मारे गए, 824 से अधिक घायल। बम प्रेसर कुकर में थे, जिनमें RDX था।
- 11 जुलाई 2006 को सात अलग-अलग FIR दर्ज की गई, जिन्हें बाद में एकीकृत कर ATS को सौपा गया।
- 2006 के जुलाई से अक्टूबर बीच 13 लोग गिरफ्तार किए गए। कुछ आरोपियों को SIMI और लश्कर तैयबा से जुड़ा बताया गया।
- 15 अन्य लोग वांछित घोषित किए गए, जिनमें से कुछ कथित तौर पर पाकिस्तान में थे।
- एक आरोपी की बम लगाते समय मृत्यु हो गई और एक अन्य को मुठभेड़ मैं मार दिया गया।
- 2006 के नवंबर में ATS में चार्जशीट दाखिल की 8 साल बाद MOOCA कोर्ट ने 12 को दोषी ठहराया।
- 30 सितंबर 2015 को 5 आरोपियो कमाल अहमद अंतरातरी, मोहम्मद फैसल अताउर रहमान शेख, एहतेशाम सिद्दीकी, नवीद हुसैन खान और आसिफ खान बशीर खान को फांसी की सजा सुनाई 7 को उम्रकैद। एक आरोपी अब्दुल वाहिद दीन मोहम्मद शेख 2015 में बरी।
- 2021 में नागपुर जेल में फोरी की सजा पाए कमाल अहमद अंसारी की कोविड से मौत हो गई थी।
- जुलाई 2024 में दोषी एहतेशाम रिदीकी की याचिका के बाद, जस्टिस अनिल किलोर और जस्टिस श्थाम चंदक की विशेष वेव गठित। 6 महीने में 25 से अधिक सुनवाई हुई।
- 21 जुलाई, 2025 में बॉम्बे हाई कोर्ट ने 12 दोषियों को बरी कर दिया।
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