अहमदाबाद/नई दिल्ली: गुजरात के अहमदाबाद में 27 जून को निकली भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा में तीन हाथी बेकाबू हो गए थे, हालांकि पुलिस और फॉरेस्ट के अधिकारियों ने तुरंत ही स्थिति पर काबू पा लिया था और भगदड़ के बड़े खतरे को टाल दिया था। इस घटना के बाद उद्योगपति अनंत अंबानी के वन्यजीव पुनर्वास केंद्र वनतारा ने अपने पशु चिकित्सकों, वरिष्ठ महावतों और विशेष रूप से सुसज्जित एंबुलेंस को भेजा था, ताकि अहमदाबाद रथयात्रा के दौरान के दौरान उग्र हुए हाथियों को काबू में करने और उनकी मदद की जा सके। सरकार ने भी जामनगर स्थित इस केंद्र से मदद मांगी थी। इसके बाद हाथियों को वनतारा रवाना किया गया था ताकि उनका वहां पर अच्छे तरीके से मानसिक इलाज किया जा सके।
वनतारा की टीम बनी 'संकटमोचक'
वनतारा की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस घटना में शोभायात्रा में शामिल हाथी घबराए हुए दिखाई दिए, जिसके कारण वहां मौजूद लोगों में अफरा-तफरी और चिंता की स्थिति पैदा हो गई। साथ ही भीड़ भरे माहौल में जानवरों की आवाजाही को लेकर भी चिंताएं पैदा हो गईं। घटना के बाद राज्य के वन अधिकारियों ने जामनगर स्थित एकीकृत वन्यजीव बचाव और पुनर्वास केंद्र वनतारा से सहायता मांगी थी। गुजरात में मुख्य वन संरक्षक डॉ. के. रमेश ने कहा कि उनकी टीम ने तेजी से और पेशेवर तरीके से काम किया, हाथियों की स्थिति का आकलन करने और उनके सुरक्षित पुनर्वास के लिए हमारे अधिकारियों और स्थानीय पशु संचालकों के साथ मिलकर काम किया।
जगन्नाथ मंदिर ने कहा थैंक यू
के रमेश ने बताया कि वनतारा की टीम ने प्रभावित हाथियों को तत्काल चिकित्सा देखभाल, सहायता प्रदान की। उन्होंने कहा कि अब वनतारा के केंद्र में जानवरों की निरंतर देखभाल की जा रही है। रथ यात्रा के दौरान हुई घटना के बाद वनतारा ने काफी त्वरित एक्शन लिया था। पशु चिकित्सकों, वरिष्ठ महावतों और विशेष रूप से सुसज्जित हाथी एंबुलेंस की एक आपातकालीन टीम को घटनास्थल पर भेजी थी। श्री जगन्नाथ मंदिर न्यास समिति के न्यासी महेंद्र झा ने कहा कि हस्तक्षेप की वजह से हाथियों के लिए समय पर चिकित्सा देखभाल और पुनर्वास सुनिश्चित हो सकी। उन्होंने कहा कि हम पशु कल्याण के लिए वनतारा के समर्पण की सराहना करते हैं। उनके समय पर हस्तक्षेप ने हाथियों को समय पर देखभाल और पुनर्वास सुनिश्चित किया, जिसकी उन्हें तत्काल आवश्यकता थी। उन्होंने उस दावे का भी खंडन किया कि हाथी को किसी तरह से पीटा गया। (एजेंसी इनपुट के साथ)
वनतारा की टीम बनी 'संकटमोचक'
वनतारा की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया है कि इस घटना में शोभायात्रा में शामिल हाथी घबराए हुए दिखाई दिए, जिसके कारण वहां मौजूद लोगों में अफरा-तफरी और चिंता की स्थिति पैदा हो गई। साथ ही भीड़ भरे माहौल में जानवरों की आवाजाही को लेकर भी चिंताएं पैदा हो गईं। घटना के बाद राज्य के वन अधिकारियों ने जामनगर स्थित एकीकृत वन्यजीव बचाव और पुनर्वास केंद्र वनतारा से सहायता मांगी थी। गुजरात में मुख्य वन संरक्षक डॉ. के. रमेश ने कहा कि उनकी टीम ने तेजी से और पेशेवर तरीके से काम किया, हाथियों की स्थिति का आकलन करने और उनके सुरक्षित पुनर्वास के लिए हमारे अधिकारियों और स्थानीय पशु संचालकों के साथ मिलकर काम किया।
जगन्नाथ मंदिर ने कहा थैंक यू
के रमेश ने बताया कि वनतारा की टीम ने प्रभावित हाथियों को तत्काल चिकित्सा देखभाल, सहायता प्रदान की। उन्होंने कहा कि अब वनतारा के केंद्र में जानवरों की निरंतर देखभाल की जा रही है। रथ यात्रा के दौरान हुई घटना के बाद वनतारा ने काफी त्वरित एक्शन लिया था। पशु चिकित्सकों, वरिष्ठ महावतों और विशेष रूप से सुसज्जित हाथी एंबुलेंस की एक आपातकालीन टीम को घटनास्थल पर भेजी थी। श्री जगन्नाथ मंदिर न्यास समिति के न्यासी महेंद्र झा ने कहा कि हस्तक्षेप की वजह से हाथियों के लिए समय पर चिकित्सा देखभाल और पुनर्वास सुनिश्चित हो सकी। उन्होंने कहा कि हम पशु कल्याण के लिए वनतारा के समर्पण की सराहना करते हैं। उनके समय पर हस्तक्षेप ने हाथियों को समय पर देखभाल और पुनर्वास सुनिश्चित किया, जिसकी उन्हें तत्काल आवश्यकता थी। उन्होंने उस दावे का भी खंडन किया कि हाथी को किसी तरह से पीटा गया। (एजेंसी इनपुट के साथ)
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