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बिहार विधानसभा चुनाव से पहले सत्ताधारी जेडीयू को झटका, कद्दावर नेता ने छोड़ा नीतीश का साथ

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मुजफ्फरपुर: बिहार विधानसभा चुनाव नजदीक आते ही, नेताओं का दल बदलना शुरू हो गया है। शनिवार को जदयू के पूर्व जिला अध्यक्ष रंजीत सहनी ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने पार्टी के प्रदेश और राष्ट्रीय अध्यक्ष को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दी। रंजीत सहनी ने बताया कि वो अब जदयू में नहीं रहेंगे। उन्होंने पार्टी छोड़ने का कारण बताते हुए कहा कि जदयू अब अपने सिद्धांतों पर नहीं चल रही है और कुछ लोग मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को गुमराह कर रहे हैं।





मुजफ्फरपुर में जेडीयू को झटकाबिहार की राजनीति में जेडीयू को झटका लगा है। पुराने दिग्गज नेता रंजीत सहनी ने 15 साल पुराना संबंध तोड़ दिया। जेडीयू से इस्तीफा दे दिया। रंजीत सहनी ने कहा कि अपना 15 साल पार्टी को दिया। पार्टी के भरोसे पर हमने जेडीयू के जिला अध्यक्ष पद पर रहा। अब जेडीयू के सलाहकार पद से भी इस्तीफा दिया। उन्होंने कहा कि जेडीयू अब नीतीश कुमार नहीं चला रहे, अब इस पार्टी को कोई और लोग हड़प लिया है। अब पहले वाली जेडीयू पार्टी नहीं रही। रंजीत सहनी ने जेडीयू के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया।



रंजीत सहनी का पार्टी से इस्तीफामुजफ्फरपुर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में उन्होंने कहा कि हमने जेडीयू पार्टी से इस्तीफा दिया है। जब तक नीतीश कुमार पार्टी चला रहे थे, तब तक पार्टी ठीक से चल रही थी लेकिन अब पार्टी को कोई और चला रहा है। इस कारण पार्टी के सभी पदों से सैकड़ों समर्थकों के साथ पार्टी छोड़ा दिया। उन्होंने कहा कि हम लोग सामाजिक आदमी हैं, किसी भी पार्टी में अभी नहीं जा रहा हूं, अगर कोई पार्टी को जॉइन करता हूं, तो प्रेस को जरूर बताऊंगा।

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फिलहाल निषाद संघर्ष मोर्चा में ऐक्टिवरंजीत सहनी ने बताया कि वो जदयू के प्राथमिक और सक्रिय सदस्य थे। साथ ही, प्रदेश जदयू राजनीतिक सलाहकार समिति से भी इस्तीफा दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि वो अभी किसी दल में नहीं जाएंगे। अपने समर्थकों के साथ बैठक करके फैसला लेंगे। फिलहाल, वो निषाद संघर्ष मोर्चा के साथ मिलकर समाज के लिए काम करेंगे। रंजीत सहनी ने प्रदेश अध्यक्ष उमेश सिंह कुशवाहा को भेजे इस्तीफे में पार्टी छोड़ने की वजह बताई है। उन्होंने कहा, 'अब जदयू अपनी घोषित नीतियों और नैतिक मूल्यों पर नहीं चल रही है।' उन्होंने आरोप लगाया कि दो-चार लोग मिलकर मुख्यमंत्री को पूरी तरह भ्रमित कर अपना और अपने परिवार का हित साधने में लगे हैं, जिससे जदयू कमजोर हो गई है।

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