जबलपुर: हाईकोर्ट जबलपुर ने सागर जिले की बीना से विधायक निर्मला सप्रे की विधानसभा सदस्यता मामले को लेकर विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, मप्र सरकार और सप्रे को नोटिस जारी कर जवाब-तलब किया है। कोर्ट ने विस स्पीकर से पूछा है कि दलबदल कानून के तहत 90 दिन में फैसला लेना था तो 16 महीनों का समय क्यों?
मध्य प्रदेश में MLA निर्मला सप्रे के दलबदल का अहम मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। सागर जिले की बीना विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीतकर भाजपा खेमे में सक्रिय हुईं विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता रद्द करने के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, मध्य प्रदेश सरकार, और विधायक निर्मला सप्रे को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष से विशेष तौर पर पूछा है कि दलबदल कानून के तहत 90 दिन में फैसला लेना अनिवार्य था, तो इस मामले में 16 महीनों की देरी क्यों हुई।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी
हाईकोर्ट में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार (कांग्रेस) द्वारा दायर याचिका पर सुनववाई के बाद कोर्ट ने नोटिस जारी कर विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, मप्र सरकार और विधायक निर्मला सप्रे को नोटिस जारी कर जवाब—तलब किया है। जानकारी अनुसार सिंघार ने अपनी याचिका में विधायक सप्रे द्वारा 5 मई 2024 को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मंच पर भाजपा का गमछा पहनने और पार्टी के कार्यक्रमों में सक्रिय रहने जैसे कई सबूत संलग्न किए हैं।
BJP कार्यक्रमों में सहभागिता, लेकिन कांग्रेस से इस्तीफा नहीं
विधायक सप्रे ने अब तक औपचारिक रूप से कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है, जिससे वह तकनीकी रूप से अब भी कांग्रेस विधायक हैं। माना जा रहा है कि यह दलबदल कानून और उपचुनाव से बचने की रणनीति है।
अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी
हाईकोर्ट में निर्मला सप्रे की विधायकी और सदस्यता से जुड़ी इस महत्वपूर्ण याचिका को लेकर अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी। बता दें कि इस पर प्रदेश की राजनीतिक निगाहें टिकी हुई हैं। चूंकी निर्मला सप्रे ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिए बगैर नाता तोड़ लिया है और भाजपा ज्वाइन किए बगैर वे भाजपा के तमाम मंचों और कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं, इस कारण हाईकोर्ट में अध्यक्ष की तरफ से सबमिट होने वाले जवाब पर सबकी निगाहें टिकी हैं।
मध्य प्रदेश में MLA निर्मला सप्रे के दलबदल का अहम मामला एक बार फिर सुर्खियों में आ गया है। सागर जिले की बीना विधानसभा सीट से कांग्रेस के टिकट पर जीतकर भाजपा खेमे में सक्रिय हुईं विधायक निर्मला सप्रे की सदस्यता रद्द करने के मामले में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने सख्त रुख अपनाया है। हाईकोर्ट ने इस मामले में विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, मध्य प्रदेश सरकार, और विधायक निर्मला सप्रे को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। कोर्ट ने विधानसभा अध्यक्ष से विशेष तौर पर पूछा है कि दलबदल कानून के तहत 90 दिन में फैसला लेना अनिवार्य था, तो इस मामले में 16 महीनों की देरी क्यों हुई।
नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी
हाईकोर्ट में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार (कांग्रेस) द्वारा दायर याचिका पर सुनववाई के बाद कोर्ट ने नोटिस जारी कर विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर, मप्र सरकार और विधायक निर्मला सप्रे को नोटिस जारी कर जवाब—तलब किया है। जानकारी अनुसार सिंघार ने अपनी याचिका में विधायक सप्रे द्वारा 5 मई 2024 को मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के मंच पर भाजपा का गमछा पहनने और पार्टी के कार्यक्रमों में सक्रिय रहने जैसे कई सबूत संलग्न किए हैं।
BJP कार्यक्रमों में सहभागिता, लेकिन कांग्रेस से इस्तीफा नहीं
विधायक सप्रे ने अब तक औपचारिक रूप से कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा नहीं दिया है, जिससे वह तकनीकी रूप से अब भी कांग्रेस विधायक हैं। माना जा रहा है कि यह दलबदल कानून और उपचुनाव से बचने की रणनीति है।
अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी
हाईकोर्ट में निर्मला सप्रे की विधायकी और सदस्यता से जुड़ी इस महत्वपूर्ण याचिका को लेकर अगली सुनवाई 18 नवंबर को होगी। बता दें कि इस पर प्रदेश की राजनीतिक निगाहें टिकी हुई हैं। चूंकी निर्मला सप्रे ने कांग्रेस पार्टी से इस्तीफा दिए बगैर नाता तोड़ लिया है और भाजपा ज्वाइन किए बगैर वे भाजपा के तमाम मंचों और कार्यक्रमों में सक्रिय भागीदारी निभा रही हैं, इस कारण हाईकोर्ट में अध्यक्ष की तरफ से सबमिट होने वाले जवाब पर सबकी निगाहें टिकी हैं।
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