यूपी के बहराइच जिले के गांवों का डर सही साबित होता जा रहा है। खूनी भेड़िए फिर से लौट आए हैं। पिछले ही साल 10 लोगों की जान इन भेड़ियों ने ले ली थी। इन भेड़ियों के लौटने के सबूत अब मिल गए हैं। इसके साथ ही चप्पे-चप्पे पर निगरानी बढ़ा दी गई है।
बहराइच जिले के गांवों में पिछले कई दिनों से आशंका जताई जा रही थी कि यहां भेड़िए लौट आए हैं। वन विभाग ने जंगली जानवरों की पहचान के लिए जगह-जगह पोस्टर भी लगा दिए थे। लेकिन कोई पुख्ता सबूत नहीं मिल पा रहा था। लेकिन अब विशेषज्ञों को भेड़िए के जो निशान मिले हैं, उससे यह बात पुख्ता हो गई है कि यहां भेड़िए लौट आए हैं। वन्यजीव संरक्षणवादियों ने पैरों के निशान, चोट के ताजा सैंपल और तस्वीरों से इसकी पुष्टि कर दी है कि ये भेड़िए ही हैं। इसके तुरंत बाद वन विभाग ने पेट्रोलिंग बढ़ा दी है।
एक शख्स ने खींची भेड़िए की तस्वीरवन्यजीव संरक्षणवादी डॉक्टर समरन के मुताबिक भेड़िए को ढूंढने के लिए हमने थरमल ड्रोन की स्कैनिंग की। लेकिन हमें वीडियो में कुछ नहीं मिला। लेकिन गांव के शख्स ने भेड़िए की तस्वीर खींची है। उसने वो तस्वीर हमारे साथ साझा की है। इसके अलावा हमने फुटप्रिंट भी देखे हैं। हमारे पास चोट के सैंपल भी हैं। हम वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से इसकी जांच करवाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यहां भेड़िए 2 बार हमला कर चुके हैं। इसलिए हमने 12 लोगों की टीमों को दिन-रात तैनात कर दिया है।
भेड़िए को पकड़ने की पूरी तैयारीगोंडा के DFO के नेतृत्व में दिन रात पूरे इलाके में पेट्रोलिंग की जा रही है। गांववालों को भी सर्तक रहने को कहा गया है। वन विभाग ने ट्रैप कैमरा, सीसीटीवी कैमरे और पिंजरे लगाए हैं। इसके अलावा गांव में कंट्रोल रूम बनाया गया है। 70 से ज्यादा जवान सीधे तौर पर इस ऑपरेशन में तैनात हैं। जबकि 100 से ज्यादा लोग मदद कर रहे हैं।
आखिर क्यों लौट रहे भेड़िए
डॉक्टर समरन ने बताया कि मानसून में नदी का जलस्तर बढ़ जाता है और तटों तक पानी आ जाता है। इस वजह से जंगली जानवर खाने की तलाश में इंसानी बस्तियों की ओर बढ़ जाते हैं। इसी वजह से पिछले कुछ सालों में जुलाई-सितंबर के बीच भेड़ियों के हमले की घटनाएं बढ़ जाती हैं। पिछले साल महसी तहसील में भेड़ियों के हमलों में कम से कम 10 लोगों की जान चली गई थी। इनमें कई बच्चे भी शामिल थे। करीब 50 लोग घायल हुए थे।
रात के अंधेरे में कर रहे थे हमलामहसी गांव में गर्मी की वजह से बहुत से लोग घर के ही बाहर सोते हैं। ऐसे में भेड़ियों का खतरा बढ़ जाता है। हाल ही में एक 12 साल के बच्चे पर हमला बोल दिया गया था, जिसमें वो बुरी तरह से घायल हो गया था। लोगों को कहा गया है कि रात के समय घर से बाहर नहीं निकलें।
बहराइच जिले के गांवों में पिछले कई दिनों से आशंका जताई जा रही थी कि यहां भेड़िए लौट आए हैं। वन विभाग ने जंगली जानवरों की पहचान के लिए जगह-जगह पोस्टर भी लगा दिए थे। लेकिन कोई पुख्ता सबूत नहीं मिल पा रहा था। लेकिन अब विशेषज्ञों को भेड़िए के जो निशान मिले हैं, उससे यह बात पुख्ता हो गई है कि यहां भेड़िए लौट आए हैं। वन्यजीव संरक्षणवादियों ने पैरों के निशान, चोट के ताजा सैंपल और तस्वीरों से इसकी पुष्टि कर दी है कि ये भेड़िए ही हैं। इसके तुरंत बाद वन विभाग ने पेट्रोलिंग बढ़ा दी है।
एक शख्स ने खींची भेड़िए की तस्वीरवन्यजीव संरक्षणवादी डॉक्टर समरन के मुताबिक भेड़िए को ढूंढने के लिए हमने थरमल ड्रोन की स्कैनिंग की। लेकिन हमें वीडियो में कुछ नहीं मिला। लेकिन गांव के शख्स ने भेड़िए की तस्वीर खींची है। उसने वो तस्वीर हमारे साथ साझा की है। इसके अलावा हमने फुटप्रिंट भी देखे हैं। हमारे पास चोट के सैंपल भी हैं। हम वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया से इसकी जांच करवाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने यह भी बताया कि यहां भेड़िए 2 बार हमला कर चुके हैं। इसलिए हमने 12 लोगों की टीमों को दिन-रात तैनात कर दिया है।
भेड़िए को पकड़ने की पूरी तैयारीगोंडा के DFO के नेतृत्व में दिन रात पूरे इलाके में पेट्रोलिंग की जा रही है। गांववालों को भी सर्तक रहने को कहा गया है। वन विभाग ने ट्रैप कैमरा, सीसीटीवी कैमरे और पिंजरे लगाए हैं। इसके अलावा गांव में कंट्रोल रूम बनाया गया है। 70 से ज्यादा जवान सीधे तौर पर इस ऑपरेशन में तैनात हैं। जबकि 100 से ज्यादा लोग मदद कर रहे हैं।
आखिर क्यों लौट रहे भेड़िए
डॉक्टर समरन ने बताया कि मानसून में नदी का जलस्तर बढ़ जाता है और तटों तक पानी आ जाता है। इस वजह से जंगली जानवर खाने की तलाश में इंसानी बस्तियों की ओर बढ़ जाते हैं। इसी वजह से पिछले कुछ सालों में जुलाई-सितंबर के बीच भेड़ियों के हमले की घटनाएं बढ़ जाती हैं। पिछले साल महसी तहसील में भेड़ियों के हमलों में कम से कम 10 लोगों की जान चली गई थी। इनमें कई बच्चे भी शामिल थे। करीब 50 लोग घायल हुए थे।
रात के अंधेरे में कर रहे थे हमलामहसी गांव में गर्मी की वजह से बहुत से लोग घर के ही बाहर सोते हैं। ऐसे में भेड़ियों का खतरा बढ़ जाता है। हाल ही में एक 12 साल के बच्चे पर हमला बोल दिया गया था, जिसमें वो बुरी तरह से घायल हो गया था। लोगों को कहा गया है कि रात के समय घर से बाहर नहीं निकलें।
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