Tulsi Pujan Benefits in Chaturmas : चातुर्मास की अवधि में भगवान विष्णु की पूजा का खास महत्व शास्त्रों में बताया गया है। दरअसल 4 महीने की इस अवधि में भगवान विष्णु शयन की मुद्रा में होते हैं। इन 4 महीनों में भगवान विष्णु की पूजा करने से आपको उनकी कृपा का विशेष लाभ होता है। तुलसी को विष्णुप्रिया माना गया है। चातुर्मास में तुलसी की पूजा करना भगवान विष्णु को प्रसन्न करने का प्रभावशाली माध्यम माना गया है। देवशयनी एकादशी से चातुर्मास का आरंभ हो चुका है और यह अवधि कार्तिक मास की देवउठनी एकादशी पर समाप्त होगा। चार महीने की इस अवधि में तुलसी की सेवा करने से भगवान विष्णु भी प्रसन्न होते हैं। तो आइए आपको बताते हैं चातुर्मास में रोजाना तुलसी पर दीपक जलाने के ये 5 फायदे। गुरुवार के संयोग में गुरु पूर्णिमा, घर में सत्यनारायण कथा करवाने से होंगे ये लाभ
भगवान विष्णु और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है
तुलसी माता भगवान विष्णु की प्राणप्रिया हैं। चातुर्मास में तुलसी के समक्ष घी या तिल के तेल का दीपक जलाना, विष्णु और लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त करने का माध्यम बनता है। यह उपाय कष्ट, दरिद्रता और क्लेश को दूर कर सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य का द्वार खोलता है।
घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार होता है
तुलसी स्वयं में एक ऊर्जावान वायुवृक्ष हैं, और जब उनके पास दीपक जलाया जाता है, तो वह घर की नकारात्मकता, क्लेश और मानसिक अशांति को दूर करता है। यह वातावरण को सात्त्विक और देवपूजन योग्य बनाता है, जिससे घर में शांति, मधुरता और पारिवारिक मेलजोल बना रहता है।
धन, भाग्य और स्वास्थ्य में सुधार होता है
तुलसी पर जलाया गया दीपक ग्रहों की अशुभता को शांत करता है, विशेषकर यदि यह दीपक गाय के घी से जलाया जाए। इससे बृहस्पति और शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं, जो धन, विवाह, संतान और विद्या के लिए अनुकूलता लाते हैं। नियमित दीपदान से आर्थिक स्थिरता और आरोग्य दोनों का लाभ मिलता है।
आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक जागरण होता है
चातुर्मास आत्मिक साधना का काल है। तुलसी पर दीपक जलाने से व्यक्ति का मन भक्ति और ध्यान में रमता है। यह चिंतन, मनन और आत्मशुद्धि में सहायक होता है। इससे साधक को एकाग्रता, मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक प्रगति प्राप्त होती है।
पितृदोष, बृहस्पति दोष और रोग दोषों का शमन होता है
जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष, गुरु दोष या बार-बार बीमारियों की स्थितियाँ बनी रहती हैं, उनके लिए चातुर्मास में तुलसी के सामने दीपक जलाना एक शक्तिशाली ज्योतिषीय उपाय है। यह पूर्वजों की कृपा पाने का मार्ग है और परिवार की पीढ़ियों को शांति देता है।
तुलसी पर दीपक जलाने में इन बातों का रखें ध्यान
भगवान विष्णु और लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है
तुलसी माता भगवान विष्णु की प्राणप्रिया हैं। चातुर्मास में तुलसी के समक्ष घी या तिल के तेल का दीपक जलाना, विष्णु और लक्ष्मी दोनों की कृपा प्राप्त करने का माध्यम बनता है। यह उपाय कष्ट, दरिद्रता और क्लेश को दूर कर सुख-समृद्धि और ऐश्वर्य का द्वार खोलता है।
घर में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार होता है
तुलसी स्वयं में एक ऊर्जावान वायुवृक्ष हैं, और जब उनके पास दीपक जलाया जाता है, तो वह घर की नकारात्मकता, क्लेश और मानसिक अशांति को दूर करता है। यह वातावरण को सात्त्विक और देवपूजन योग्य बनाता है, जिससे घर में शांति, मधुरता और पारिवारिक मेलजोल बना रहता है।
धन, भाग्य और स्वास्थ्य में सुधार होता है
तुलसी पर जलाया गया दीपक ग्रहों की अशुभता को शांत करता है, विशेषकर यदि यह दीपक गाय के घी से जलाया जाए। इससे बृहस्पति और शुक्र ग्रह मजबूत होते हैं, जो धन, विवाह, संतान और विद्या के लिए अनुकूलता लाते हैं। नियमित दीपदान से आर्थिक स्थिरता और आरोग्य दोनों का लाभ मिलता है।
आत्मशुद्धि और आध्यात्मिक जागरण होता है
चातुर्मास आत्मिक साधना का काल है। तुलसी पर दीपक जलाने से व्यक्ति का मन भक्ति और ध्यान में रमता है। यह चिंतन, मनन और आत्मशुद्धि में सहायक होता है। इससे साधक को एकाग्रता, मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक प्रगति प्राप्त होती है।
पितृदोष, बृहस्पति दोष और रोग दोषों का शमन होता है
जिन लोगों की कुंडली में पितृदोष, गुरु दोष या बार-बार बीमारियों की स्थितियाँ बनी रहती हैं, उनके लिए चातुर्मास में तुलसी के सामने दीपक जलाना एक शक्तिशाली ज्योतिषीय उपाय है। यह पूर्वजों की कृपा पाने का मार्ग है और परिवार की पीढ़ियों को शांति देता है।
तुलसी पर दीपक जलाने में इन बातों का रखें ध्यान
- तुलसी के पास सायं काल में दीपक जलाएं, प्रातः काल केवल जल अर्पित करें।
- दीपक में गाय का घी या तिल का तेल प्रयोग करें।
- दीपक का मुख पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखें।
- ॐ नमो भगवते वासुदेवाय या ॐ तुलस्यै नमः मंत्र का जप करें।
- दीपक के साथ ताजे पुष्प या तुलसी पत्र भी चढ़ाएं।
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