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गन नहीं फटी तो झांका… कार्निया को चीरता हुआ निकला कार्बाइड, सस्ती बंदूक मचा रही तबाही, सैकड़ों की आंखें खराब

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भोपाल: राजधानी में दिवाली के दौरान ' देसी पटाखा गन ' के इस्तेमाल से बच्चों की आंखों में गंभीर चोटें लगने के 122 मामले सामने आए हैं, जिनमें से 36 भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज में दर्ज हुए। यह गन घरेलू तरीके से बनाई जाती है और 100-200 रुपये में बिक रही है, जिससे सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो के कारण इसका क्रेज बढ़ा है। कैल्शियम कार्बाइड पानी के संपर्क में आने पर एसीटिलीन गैस बनाता है, जो विस्फोट के साथ जलकर आंखों, त्वचा और चेहरे को झुलसा देती है।

कार्निया हो रहीं क्षतिग्रस्त
दिवाली की रात सात साल के अलजैन की आंख में 'देसी पटाखा गन' चलाते समय कार्बाइड के बारीक टुकड़े घुस गए, जिसके कारण उसकी आंख की रोशनी को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। डॉक्टरों के मुताबिक, इस गन से आंखों की कॉर्निया बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो रही है।


आंखों के अंदर पहुंच रहा कार्बाइड

डॉक्टरों के मुताबिक, आंख में कार्बाइड के बारीक टुकड़े अंदर तक घुस गए थे। डेढ़ घंटे चले ऑपरेशन में उन्हें निकाल तो दिया गया, लेकिन अब भी उसकी आंख की रोशनी को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। यह गन सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो देखकर दिवाली का नया ट्रेंड बन गई है, लेकिन अब यह बच्चों की आंखों से रोशनी और परिवारों से खुशियां छीन रही है। इस गन को घरेलू तरीके से बनाया जाता है और यह 100-200 रुपये में बिक रही है।

भोपाल में सबसे ज्यादा मामले
19 से 21 अक्टूबर शाम 7 बजे तक 122 मामले अलग-अलग अस्पतालों से सामने आ चुके हैं। इनमें से सबसे ज्यादा 36 केस भोपाल के गांधी मेडिकल कॉलेज (जीएमसी) में दर्ज हुए। विदिशा मेडिकल कॉलेज में 12 और सागर मेडिकल कॉलेज में 3 और इंदौर में 3 केस आए। बाकी केस भोपाल के सरकारी अस्पतालों और क्लीनिकों में दर्ज हुए हैं।

ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर
गांधी मेडिकल कॉलेज के नेत्र विभाग में डॉ. एसएस कुबरे और डॉ. अदिति दुबे समेत 5 रेजिडेंट डॉक्टरों की टीम इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात है। टीम से मिली जानकारी के अनुसार, इस गन से आंखों की कॉर्निया बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो रही है।

आंख रगड़ने से और परेशानी
डॉ. रौनक अग्रवाल ने बताया कि यदि किसी व्यक्ति की आंख में इस गन के कारण चोट लगी, तो उसे आंख रगड़नी नहीं चाहिए। आंख रगड़ने से कार्बाइड के कण अंदर घुस जाते हैं, जिससे स्थायी नुकसान हो सकता है। इसमें सबसे बड़ा खतरा कॉर्निया के क्षतिग्रस्त होने का है। कई केस में इमरजेंसी सर्जरी ही विकल्प बनती है।

केस 1- गन नहीं फटी, देखा तो धमाका हो गयाभोपाल के पॉलीटेक्निक क्षेत्र में रहने वाले अलजैन की मां रेश्मा ने बताया कि यह गन हमने पटाखा मार्केट से खरीदी थी। वो चलाते-चलाते रुक गई। अलजैन ने उसकी नाल में झांका, तभी यह फट गई। आंख से खून निकलने लगा, हम घबरा गए। तुरंत उसे लेकर जीएमसी पहुंचे। डॉक्टरों ने कहा कि आंख में अंदर तक कार्बाइड के टुकड़े हैं।

केस 2- 48 घंटे बाद भी आंखों के सामने ‘सफेदी’नेत्र विभाग में भर्ती एक अन्य मरीज प्रशांत पुराने भोपाल के रहने वाले हैं। उन्होंने बताया कि डॉक्टरों ने आंखों में घुसे कार्बाइड के टुकड़े हटा दिए हैं, लेकिन अब भी आंख से सिर्फ सफेद धुंध दिखाई दे रही है। प्रशांत अब साफ देख पाएंगे या नहीं इस बात को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।

सस्ती देसी गन बनी खतरनाक ट्रेंड
बाजार में 100 से 200 रुपए में मिलने वाली यह गन अब ‘खतरनाक ट्रेंड’ बन चुकी है। डॉ. एसएस कुबरे ने बताया कि इसमें भरा कैल्शियम कार्बाइड पानी के संपर्क में आने पर एसीटिलीन गैस (Acetylene Gas) बनाता है। यह गैस विस्फोट के साथ जलती है और कुछ ही सेकंड में आंखों, त्वचा और चेहरे को झुलसा देती है।

प्रशासन की सख्ती, 19 गन जब्त
बैरासिया में प्रशासन ने 19 कार्बाइड पाइप गन जब्त की हैं। एसडीएम रवीश कुमार श्रीवास्तव के निर्देश पर चार जांच टीमें बनाई गई हैं। इन टीमों ने गोविंदपुरा और जंबूरी मैदान क्षेत्र में जांच शुरू कर दी है। टीमें लगातार बाजारों की निगरानी कर रही हैं। भोपाल में टीमों की तैनाती इस प्रकार है: जंबूरी मैदान और आनंद नगर – पटवारी सुरेंद्र यादव, आशीष मिश्रा टीआईटी गोविंदपुरा – महेश राजन, विमलेश गुप्ता करोंद कलां – फजल अब्बास, लेखराज लोधी छोला क्षेत्र – नीरज विश्वकर्मा, रविंद्र मार्को।
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