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दिल्ली में 50 साल बाद होने जा रहा है बहुत बड़ा बदलाव, सरकार ने बना लिया है मास्टर प्लान

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नई दिल्ली: हर साल बाढ़ की समस्या, रेजिडेंशल इलाकों में सीवर ब्लॉकेज/ओवरफ्लो की समस्या और मॉनसून में जलभराव की समस्या से दिल्लीवालों को निजात दिलाने के लिए ड्रेनेज मास्टर प्लान-2025 तैयार हो चुका है। अगले हफ्ते तक इसे लागू भी किया जा सकता है। नए ड्रेनेज मास्टर प्लान में नालों को 100 एमएम बारिश के पानी को कैरी करने के लिए डिजाइन किया जाएगा। ड्रेनेज मास्टर प्लान तैयार करने के लिए एक-एक कॉलोनी, कमर्शल और इंडस्ट्रियल एरिया का ड्रोन सर्वे कराया गया है। उन इलाकों में कहां क्या समस्या है, उसकी डिटेल रिपोर्ट भी तैयार की गई है।



सिंचाई व बाढ़ विभाग अफसरों के अनुसार ड्रेनेज मास्टर प्लान (जल निकासी मास्टर प्लान) तैयार करने का मेन मकसद शहर में जलभराव और बाढ़ की समस्या का स्थायी और टिकाऊ समाधान करना है। दिल्ली का पहला ड्रेनेज मास्टर प्लान 1976 में तैयार किया गया था। जिसके तहत ड्रेन अधिकतम 50 एमएम तक बारिश का पानी कैरी कर सकती हैं। इससे अधिक बारिश होने पर नालों का ओवरफ्लो होना या ब्लॉकेज तय है। यही कारण है कि पिछले कुछ सालों से तमाम कवायदों के बाद भी जलभराव की गंभीर समस्या से दिल्लीवालों को राहत नहीं मिल पा रही है। पिछले 5 सालों में किसी भी मॉनसून में 500 एमएम से कम बारिश दिल्ली में नहीं हुई है।



प्लान में नालों को किया जाएगा रिस्ट्रक्चरमौजूदा साल में अब तक 850.8 एमएम, पिछले साल 1029.9 एमएम, साल 2023 में 660.8 एमएम और साल 2022 में 516.9 एमएम बारिश हुई थी। इस समस्या के समाधान के लिए जो नया ड्रेनेज मास्टर प्लान-2025 तैयार किया गया है, नालों को इसी मास्टर प्लान के अनुसार रिस्ट्रक्चर किया जाएगा। ताकि मॉनसून के दौरान जलभराव की समस्या न हो। इसके अलावा बाढ़ के खतरे को टाला जा सके।



दिल्ली के हर एरिया की टोपोग्राफी स्टडीड्रेनेज मास्टर प्लान-2025 को तैयार के लिए दिल्ली के तमाम इलाकों का टोपोग्राफी सर्वे कराया गया है। एक-एक एरिया की डिटेल स्टडी मास्टर प्लान-2025 में है। किस एरिया में पानी निकासी के लिए कितनी लंबी लाइन डालनी है, उसकी मोटाई कितनी होनी चाहिए और कहा डालनी है, इन सभी चीजों की स्टडी है। इसके अलावा दिल्ली में कुछ साल पहले तक जितने जोहड़ थे, उन जोहड़ों की भी खोजबीन की जाएगी, ताकि ग्राउंड वॉटर रिचार्ज किया जा सके। इस मास्टर प्लान के हिसाब से जिन ड्रेन का अब कोई नामोनिशान नहीं है, उन्हें भी ढूंढने की कोशिश की जाएगी। चांदनी चौक, बल्ली मरान और पुरानी दिल्ली में ऐसे कई इलाके हैं, जिनमें पुरानी ड्रेन खो चुकी हैं। उन ड्रेन को फिर से रिवाइव करने का प्लान भी है। करीब 200 से अधिक ऐसी ड्रेन हैं, जो अब सिर्फ कागजों में हैं। मास्टर प्लान के तहत नजफगढ़, बारापुला और शाहदरा ड्रेन बेसिन की स्टडी भी कराई गई है।

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