पटनाः आरजेडी प्रमुख लालू यादव, रीतलाल यादव के चुनाव प्रचार के लिए रजामंद हैं। वे रीतलाल यादव के लिए रोड शो कर उनके लिए वोट मांगेंगे। पाटलिपुत्र की सांसद और उनकी बेटी मीसा भारती भी रोड शो में शामिल रहेंगी। अब लालू यादव के इस फैसले पर सवाल उठा रहा है कि क्या अपराध को लेकर वे दोहरी सोच रखते हैं ? अगर अनंत सिंह अपराध के आरोप में जेल के अंदर हैं तो राजद विधायक रीतलाल यादव भी अपराध के आरोप में ही जेल भेजे गये हैं। अब दोनों जेल के अंदर से ही विधानसभा का चुनाव लड़ रहे हैं। अगर अनंत सिंह गलत हैं तो रीतलाल यादव सही कैसे हो गये ?
अपराध पर बयान देना फैशन -जदयू
जदयू का कहना है कि तेजस्वी यादव का अपराध पर बयान देना, फैशन बन गया है। वे अनंत सिंह के खिलाफ तो बयान दे रहे हैं लेकिन रीतलाल यादव के बारे में कुछ नहीं कह रहे। अगर अनंत सिंह अपराधी हैं तो क्या रीतलाल यादव साधु हैं ? राजद का कहना है कि विधायक रीतलाल यादव को गलत मामले में फंसाया गया है। अनंत सिंह के समर्थक भी यही कह रहे हैं वे निर्दोष हैं और उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है। बहरहाल अब ये मामला कोर्ट और कानून के अधीन है। कौन गलत हैं, कौन सही है, यह अब कानून ही तय करेगा। लेकिन अलग-अलग दलों के दो दबंग नेताओं को लेकर राजनीति चरम पर है।
जबरन वसूली के आरोप में जेल गये विधायक
दानापुर के राजद विधायक फिलहाल जबरन वसूली के आरोप में जेल के अंदर हैं। उन पर 42 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 10 मामलों में कोर्ट ने संज्ञान में लिया है। किसी मामले में वे दोषी नहीं ठहराये गये हैं। पिछले महीने ही उन्हें भाजपा नेता सत्यनारायण सिन्हा हत्याकांड में एमपी-एमएलए कोर्ट ने जमानत दी थी। ये 2003 की घटना है। अब पटना हाईकोर्ट ने इस मामले को रिट्रायल के लिए स्पेशल कोर्ट में भेजा है। रीतलाल यादव जब जेल में थे उसी समय लालू यादव और तेजस्वी यादव ने उन्हें दानापुर से फिर टिकट देने की घोषणा की थी। जेल से पुलिस कस्टडी में लाये के बाद उन्होंने नामांकन किया था। यानी लालू यादव ने सोच समझ कर रीतलाल यादव को उम्मीदवार बनाया।
मीसा भारती ने किया था चुनाव कार्यालय का उद्घाटन
रीतलाल यादव के चुनाव कार्यालय का उद्घाटन मीसा भारती ने ही किया था। इस मौके पर उन्होंने कहा था, किसी कारण से हमारे प्रत्याशी हमारे बीच नहीं है। किस कारण से नहीं है, ये आप लोग जानते होंगे। बताने की जरूरत नहीं है। दानापुर को बचाइए। किससे बचाएइए, ये भी जानते हैं। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी रामकृपाल यादव का नाम लिये बिना उन पर जोरदार सियासी हमला किया। ये (रामकृपाल यादव) राजद में 35 वर्षों से थे। वहां उन्होंने एक भी कार्यकर्ता को आगे नहीं बढ़ने दिया। सारे पद यही लेते थे। पार्षद भी यहीं रहेंगे। एमएलए भी यही रहेंगे। एमएलसी भी यही रहेंगे। राज्यसभा भी यही जाएंगे। लोकसभा भी यही लड़ेंगे। भाजपा में आ कर भी ये वही कर रहे हैं। भाजपा के सामान्य कार्यकर्ता का हक खा रहे हैं। लोकसभा हारने के बाद विधानसभा चुनाव में उतर गये। यानी मीसा भारती ने रामकृपाल यादव को पदलोलुप नेता बताया।
मीसा भारती ने भाषण में एक बार भी रीतलाल यादव का नाम नहीं लिया
जब मीसा भारती से पूछा गया कि था राजद उम्मीदवार रीत लाल यादव तो जेल में हैं, चुनाव पर कितनी असर पड़ेगा ? तब उन्होंने जवाब दिया, कुछ तो असर पड़ेगा, जनता अपने उम्मीदवार को देखना चाहती है। लेकिन वोट पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लोकसभा चुनाव की तरह दानापुर की जनता राजद उम्मीदवार को ही वोट देगी। पहले कहा जाता था कि मीसा भारती की रीतलाल यादव से दूरी थी। लेकिन उन्होंने इन अटकलों को खत्म कर दिया। लेकिन एक बात है। इस मौके पर उन्होंने एक बार भी रीतलाल यादव का नाम नहीं लिया। कभी हमारे विधायक कहा तो कभी महागठबंधन के स्थानीय उम्मीदवार कहा।
पहले विरोध, अब समर्थन
कई आपराधिक मामलों में नाम आने के बाद रीतलाल यादव का दानापुर इलाके में दबदबा बढ़ गया था। शुरू में लालू यादव रीतलाल यादव को पसंद नहीं करते थे। 2010 के विधानसभा चुनाव में रीतलाल यादव ने राजद से टिकट लेने के लिए बहुत जोर लगाया लेकिन नहीं मिला। जब राजद ने सच्चिदानंद राय को टिकट दे दिया तो नाराज हो कर रीतलाल यादव ने निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया। चुनाव में भाजपा की आशा देवी (दिवंगत सत्यनारायण सिन्हा की पत्नी) ने रीतलाल यादव का हरा दिया। लेकिन रीतलाल ने 41 हजार से अधिक वोट लाकर दूसरा स्थान हासिल किया था। राजद तीसरे स्थान पर चला गया था।
2020 में भी पहली पसंद नहीं थे रीतलाल
2015 में लालू यादव के विरोध के बाद भी रीतलाल यादव स्थानीय कोटे से एमएलसी चुने गये। 2020 में तेजस्वी यादव रीतलाल यादव को दानापुर से टिकट नहीं देना चाहते थे लेकिन रीतलाल यादव ने किसी तरह लालू यादव को मना लिया। 2025 में तेजस्वी और लालू यादव, दोनों ने सोच समझ कर रीतलाल यादव को उम्मीदवार बनाया है। इतना ही नहीं, अब खुद लालू यादव रीतलाल यादव के लिए वोट मांग रहे हैं।
अपराध पर बयान देना फैशन -जदयू
जदयू का कहना है कि तेजस्वी यादव का अपराध पर बयान देना, फैशन बन गया है। वे अनंत सिंह के खिलाफ तो बयान दे रहे हैं लेकिन रीतलाल यादव के बारे में कुछ नहीं कह रहे। अगर अनंत सिंह अपराधी हैं तो क्या रीतलाल यादव साधु हैं ? राजद का कहना है कि विधायक रीतलाल यादव को गलत मामले में फंसाया गया है। अनंत सिंह के समर्थक भी यही कह रहे हैं वे निर्दोष हैं और उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है। बहरहाल अब ये मामला कोर्ट और कानून के अधीन है। कौन गलत हैं, कौन सही है, यह अब कानून ही तय करेगा। लेकिन अलग-अलग दलों के दो दबंग नेताओं को लेकर राजनीति चरम पर है।
जबरन वसूली के आरोप में जेल गये विधायक
दानापुर के राजद विधायक फिलहाल जबरन वसूली के आरोप में जेल के अंदर हैं। उन पर 42 आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 10 मामलों में कोर्ट ने संज्ञान में लिया है। किसी मामले में वे दोषी नहीं ठहराये गये हैं। पिछले महीने ही उन्हें भाजपा नेता सत्यनारायण सिन्हा हत्याकांड में एमपी-एमएलए कोर्ट ने जमानत दी थी। ये 2003 की घटना है। अब पटना हाईकोर्ट ने इस मामले को रिट्रायल के लिए स्पेशल कोर्ट में भेजा है। रीतलाल यादव जब जेल में थे उसी समय लालू यादव और तेजस्वी यादव ने उन्हें दानापुर से फिर टिकट देने की घोषणा की थी। जेल से पुलिस कस्टडी में लाये के बाद उन्होंने नामांकन किया था। यानी लालू यादव ने सोच समझ कर रीतलाल यादव को उम्मीदवार बनाया।
मीसा भारती ने किया था चुनाव कार्यालय का उद्घाटन
रीतलाल यादव के चुनाव कार्यालय का उद्घाटन मीसा भारती ने ही किया था। इस मौके पर उन्होंने कहा था, किसी कारण से हमारे प्रत्याशी हमारे बीच नहीं है। किस कारण से नहीं है, ये आप लोग जानते होंगे। बताने की जरूरत नहीं है। दानापुर को बचाइए। किससे बचाएइए, ये भी जानते हैं। उन्होंने भाजपा प्रत्याशी रामकृपाल यादव का नाम लिये बिना उन पर जोरदार सियासी हमला किया। ये (रामकृपाल यादव) राजद में 35 वर्षों से थे। वहां उन्होंने एक भी कार्यकर्ता को आगे नहीं बढ़ने दिया। सारे पद यही लेते थे। पार्षद भी यहीं रहेंगे। एमएलए भी यही रहेंगे। एमएलसी भी यही रहेंगे। राज्यसभा भी यही जाएंगे। लोकसभा भी यही लड़ेंगे। भाजपा में आ कर भी ये वही कर रहे हैं। भाजपा के सामान्य कार्यकर्ता का हक खा रहे हैं। लोकसभा हारने के बाद विधानसभा चुनाव में उतर गये। यानी मीसा भारती ने रामकृपाल यादव को पदलोलुप नेता बताया।
मीसा भारती ने भाषण में एक बार भी रीतलाल यादव का नाम नहीं लिया
जब मीसा भारती से पूछा गया कि था राजद उम्मीदवार रीत लाल यादव तो जेल में हैं, चुनाव पर कितनी असर पड़ेगा ? तब उन्होंने जवाब दिया, कुछ तो असर पड़ेगा, जनता अपने उम्मीदवार को देखना चाहती है। लेकिन वोट पर कोई असर नहीं पड़ेगा। लोकसभा चुनाव की तरह दानापुर की जनता राजद उम्मीदवार को ही वोट देगी। पहले कहा जाता था कि मीसा भारती की रीतलाल यादव से दूरी थी। लेकिन उन्होंने इन अटकलों को खत्म कर दिया। लेकिन एक बात है। इस मौके पर उन्होंने एक बार भी रीतलाल यादव का नाम नहीं लिया। कभी हमारे विधायक कहा तो कभी महागठबंधन के स्थानीय उम्मीदवार कहा।
पहले विरोध, अब समर्थन
कई आपराधिक मामलों में नाम आने के बाद रीतलाल यादव का दानापुर इलाके में दबदबा बढ़ गया था। शुरू में लालू यादव रीतलाल यादव को पसंद नहीं करते थे। 2010 के विधानसभा चुनाव में रीतलाल यादव ने राजद से टिकट लेने के लिए बहुत जोर लगाया लेकिन नहीं मिला। जब राजद ने सच्चिदानंद राय को टिकट दे दिया तो नाराज हो कर रीतलाल यादव ने निर्दलीय पर्चा दाखिल कर दिया। चुनाव में भाजपा की आशा देवी (दिवंगत सत्यनारायण सिन्हा की पत्नी) ने रीतलाल यादव का हरा दिया। लेकिन रीतलाल ने 41 हजार से अधिक वोट लाकर दूसरा स्थान हासिल किया था। राजद तीसरे स्थान पर चला गया था।
2020 में भी पहली पसंद नहीं थे रीतलाल
2015 में लालू यादव के विरोध के बाद भी रीतलाल यादव स्थानीय कोटे से एमएलसी चुने गये। 2020 में तेजस्वी यादव रीतलाल यादव को दानापुर से टिकट नहीं देना चाहते थे लेकिन रीतलाल यादव ने किसी तरह लालू यादव को मना लिया। 2025 में तेजस्वी और लालू यादव, दोनों ने सोच समझ कर रीतलाल यादव को उम्मीदवार बनाया है। इतना ही नहीं, अब खुद लालू यादव रीतलाल यादव के लिए वोट मांग रहे हैं।
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