श्योपुर: दिव्यांग आदिवासी महिला सावित्री बाई ने अपनी पुश्तैनी जमीन पर जबरन कब्जे से परेशान होकर तहसीलदार रोशनी शेख से न्याय की गुहार लगाई। महिला अपने बेटे की बहू के साथ तहसील कार्यालय पहुंची और तहसीलदार के पैरों पर गिरकर रोते हुए बोलीं, 'मैडम, हमारी जमीन बचा लीजिए, नहीं तो मैं जान दे दूंगी।' शिकायत किए आठ दिन बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई न होने से आहत महिला ने यह बात कही। तहसीलदार द्वारा कोई ठोस आश्वासन न देकर गाड़ी में बैठकर चले जाने के इस रवैये पर प्रशासनिक संवेदनशीलता पर सवाल उठ रहे हैं। इस मामले को लेकर कलेक्टर अर्पित वर्मा ने संज्ञान लिया है और तहसीलदार से जवाब तलब किया है।
बड़े अधिकारी भी सुन रहे शिकायतें
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा हर महीने समाधान ऑनलाइन कार्यक्रम के माध्यम से लोगों की समस्याओं को सुनकर तत्काल निराकरण के निर्देश दिए जाते हैं। वहीं श्योपुर कलेक्टर अर्पित वर्मा भी हर मंगलवार को जनसुनवाई कर आमजन की तकलीफें गंभीरता से सुनते हैं। इसके बावजूद कराहल तहसील कार्यालय पर शनिवार को जो दृश्य सामने आया, उसने प्रशासनिक संवेदनशीलता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया।
बेटे की बहू के साथ पहुंची थी महिला
अपनी पुश्तैनी जमीन पर जबरन कब्जे से परेशान दिव्यांग आदिवासी महिला सावित्री बाई अपने बेटे की बहू के साथ तहसील पहुंची थीं। उन्होंने तहसीलदार रोशनी शेख के पैरों पर गिरकर न्याय की गुहार लगाई। महिला का आरोप है कि शिकायत किए आठ दिन बीत चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में सावित्री बाई तहसीलदार से रोते हुए कहती दिख रही हैं, 'मैडम, हमारी जमीन बचा लीजिए, नहीं तो मैं अपनी जान दे दूंगी।'
सवालों के घेरे में रवैया
महिलाओं का कहना है कि तहसीलदार ने ठोस आश्वासन देने के बजाय गाड़ी में बैठकर कार्यालय से निकलना उचित समझा। यह रवैया उस समय सवालों के घेरे में है जब राज्य शासन और जिला प्रशासन दोनों ही जनता की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। तहसीलदार ने अब संबंधित राजस्व निरीक्षक व पटवारी को जांच के निर्देश दिए हैं। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि अगर तहसील स्तर पर ऐसी बेरुखी रही तो समाधान ऑनलाइन और जनसुनवाई जैसे कार्यक्रमों का असर जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच पाएगा।
बड़े अधिकारी भी सुन रहे शिकायतें
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव द्वारा हर महीने समाधान ऑनलाइन कार्यक्रम के माध्यम से लोगों की समस्याओं को सुनकर तत्काल निराकरण के निर्देश दिए जाते हैं। वहीं श्योपुर कलेक्टर अर्पित वर्मा भी हर मंगलवार को जनसुनवाई कर आमजन की तकलीफें गंभीरता से सुनते हैं। इसके बावजूद कराहल तहसील कार्यालय पर शनिवार को जो दृश्य सामने आया, उसने प्रशासनिक संवेदनशीलता पर प्रश्नचिन्ह लगा दिया।
बेटे की बहू के साथ पहुंची थी महिला
अपनी पुश्तैनी जमीन पर जबरन कब्जे से परेशान दिव्यांग आदिवासी महिला सावित्री बाई अपने बेटे की बहू के साथ तहसील पहुंची थीं। उन्होंने तहसीलदार रोशनी शेख के पैरों पर गिरकर न्याय की गुहार लगाई। महिला का आरोप है कि शिकायत किए आठ दिन बीत चुके हैं, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई। सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में सावित्री बाई तहसीलदार से रोते हुए कहती दिख रही हैं, 'मैडम, हमारी जमीन बचा लीजिए, नहीं तो मैं अपनी जान दे दूंगी।'
सवालों के घेरे में रवैया
महिलाओं का कहना है कि तहसीलदार ने ठोस आश्वासन देने के बजाय गाड़ी में बैठकर कार्यालय से निकलना उचित समझा। यह रवैया उस समय सवालों के घेरे में है जब राज्य शासन और जिला प्रशासन दोनों ही जनता की समस्याओं के त्वरित समाधान के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। तहसीलदार ने अब संबंधित राजस्व निरीक्षक व पटवारी को जांच के निर्देश दिए हैं। हालांकि, ग्रामीणों का कहना है कि अगर तहसील स्तर पर ऐसी बेरुखी रही तो समाधान ऑनलाइन और जनसुनवाई जैसे कार्यक्रमों का असर जमीनी स्तर तक नहीं पहुंच पाएगा।
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