पटना: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए फारबिसगंज चुनावी आगाज का पसंदीदा स्थल बन गया है। अररिया के फारबिसगंज के हवाई फील्ड मैदान से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने छठी बार भाषण दिया। सवाल यह है कि पीएम मोदी के भाषण से क्या बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में हारी हुई सीटों में NDA की जीत का रंग भरेगा। अररिया जिले की 6 सीटों की स्थिति यह है कि साल 2020 में मात्रा चार पर ही NDA की जीत हुई थी। क्या इस बार NDA अररिया जिले में विधानसभा की जंग में 6 में से 6 सीटों पर जीत का परचम लहरा पाएगा?
क्या है अररिया की 6 विधानसभा सीटों की स्थिति?
अररिया जिला में विधानसभा की कुल छह सीटें हैं। इनमें नरपतगंज,फारबिसगंज और सिकटी पर बीजेपी का कब्जा है। वही जदयू का रानीगंज पर कब्जा है। महागठबंधन की तरफ से कांग्रेस ने अररिया की सीट जीती थी और जोकीहाट विधानसभा सीट एआईएमआईएम के हाथ आई थी। हालांकि बाद में विधायक ने राजद का दामन थाम लिया था। अब समझिए सीट दर सीट समीकरण...
पहली सीट- नरपतगंज विधानसभा
नरपतगंज विधानसभा बीजेपी की सीटिंग सीट है। यहां से इस बार बीजेपी ने जयप्रकाश यादव के बदले देवंती देवी को उतारा हैं जबकि राजद ने भी प्रत्याशी बदल कर मनीष यादव को चुनावी रण में उतारा है। यहां पिछले चुनाव यानी 2020 में बीजेपी ने 29 हजार से ज्यादा वोटों से सीट जीती थी। यहां परिणाम बदलने हैं तो राजद के उम्मीदवार मनीष यादव को एक लंबा गैप भरना होगा।
दूसरी सीट- रानीगंज(सु) विधानसभा
रानीगंज विधानसभा का चुनाव एक बार फिर पुराने महारथियों के बीच है। 2020 में जदयू के अचमिच ऋषिदेव ने राजद के अविनाश मंगलम को लगभग 6 हजार वोटों से हराया था। यहां बदलाव के लिए राजद को जीत के अंतर के खिलाफ संघर्ष करना होगा।
तीसरी सीट- फारबिसगंज विधानसभा
फारबिसगंज विधानसभा की जंग में महागठबंधन उम्मीदवार बदल कर शामिल हुआ है। बीजेपी ने तो एक बार फिर विद्यासागर केसरी पर ही दांव लगाया है। कांग्रेस ने इस बार मनोज विश्वास को चुनावी जंग में उतारा है। कांग्रेस को पिछले चुनाव में मिली हार को बदलने के लिए लगभग 22 हजार वोटों की दूरी पाटनी होगी।
चौथी सीट- अररिया विधानसभा
अररिया की जंग में इस बार भी पुराने उम्मीदवार के बीच सत्ता की जंग है। पिछले चुनाव में कांग्रेस के आबिदुर रहमान ने जेडीयू की शगुफ्ता अजीम को हराया था। इस हार को जीत में बदलने के लिए शगुफ्ता अजीम को लगभग 48 हजार वोटों की दूरी पाटनी होगी।
पांचवी सीट- सिकटी विधानसभा
2020 की चुनावी जंग में बीजेपी के विजय मंडल ने राजद के शत्रुघ्न सुमन को लगभग 14 हजार वोटों से हराया था। इस बार बीजेपी ने तो विजय मंडल को ही चुनावी जंग में उतारा है पर महागठबंधन ने जीत की जिम्मेदारी वी आई पी के हरिनारायण प्रमाणिक को दी है।
छठी सीट- जोकीहाट विधानसभा
जोकीहाट में एआईएमआईएम के शाहनवाज आलम ने राजद के सरफराज आलम को 2020 चुनाव में हराया था। हालांकि बाद में शाहनवाज ने राजद का दामन थाम लिया। इस बार राजद ने शाहनवाज आलम पर ही भरोसा किया है। जदयू ने मंजर आलम को खड़ा कर जंग जीतने की रणनीति बनाई है।
क्या है टारगेट?
इस बार NDA सिकटी और अररिया विधानसभा की जंग जीतने के लिए रणनीति भी बना रही है। इस जंग को जीतने के लिए NDA ने अपने रणनीतिकार और सिकटी से उम्मीदवार विजय कुमार मंडल को जिम्मेदारी दी है। वहीं अररिया विधानसभा की जंग जीतने की जिम्मेवारी एक बार फिर जदयू ने शगुफ्तता को सौंपी है। देखना यह है कि मोदी मिशन का अररिया जिले की सभी 6 विधानसभा सीटों पर प्रभाव क्या पड़ता है?
क्या है अररिया की 6 विधानसभा सीटों की स्थिति?
अररिया जिला में विधानसभा की कुल छह सीटें हैं। इनमें नरपतगंज,फारबिसगंज और सिकटी पर बीजेपी का कब्जा है। वही जदयू का रानीगंज पर कब्जा है। महागठबंधन की तरफ से कांग्रेस ने अररिया की सीट जीती थी और जोकीहाट विधानसभा सीट एआईएमआईएम के हाथ आई थी। हालांकि बाद में विधायक ने राजद का दामन थाम लिया था। अब समझिए सीट दर सीट समीकरण...
पहली सीट- नरपतगंज विधानसभा
नरपतगंज विधानसभा बीजेपी की सीटिंग सीट है। यहां से इस बार बीजेपी ने जयप्रकाश यादव के बदले देवंती देवी को उतारा हैं जबकि राजद ने भी प्रत्याशी बदल कर मनीष यादव को चुनावी रण में उतारा है। यहां पिछले चुनाव यानी 2020 में बीजेपी ने 29 हजार से ज्यादा वोटों से सीट जीती थी। यहां परिणाम बदलने हैं तो राजद के उम्मीदवार मनीष यादव को एक लंबा गैप भरना होगा।
दूसरी सीट- रानीगंज(सु) विधानसभा
रानीगंज विधानसभा का चुनाव एक बार फिर पुराने महारथियों के बीच है। 2020 में जदयू के अचमिच ऋषिदेव ने राजद के अविनाश मंगलम को लगभग 6 हजार वोटों से हराया था। यहां बदलाव के लिए राजद को जीत के अंतर के खिलाफ संघर्ष करना होगा।
तीसरी सीट- फारबिसगंज विधानसभा
फारबिसगंज विधानसभा की जंग में महागठबंधन उम्मीदवार बदल कर शामिल हुआ है। बीजेपी ने तो एक बार फिर विद्यासागर केसरी पर ही दांव लगाया है। कांग्रेस ने इस बार मनोज विश्वास को चुनावी जंग में उतारा है। कांग्रेस को पिछले चुनाव में मिली हार को बदलने के लिए लगभग 22 हजार वोटों की दूरी पाटनी होगी।
चौथी सीट- अररिया विधानसभा
अररिया की जंग में इस बार भी पुराने उम्मीदवार के बीच सत्ता की जंग है। पिछले चुनाव में कांग्रेस के आबिदुर रहमान ने जेडीयू की शगुफ्ता अजीम को हराया था। इस हार को जीत में बदलने के लिए शगुफ्ता अजीम को लगभग 48 हजार वोटों की दूरी पाटनी होगी।
पांचवी सीट- सिकटी विधानसभा
2020 की चुनावी जंग में बीजेपी के विजय मंडल ने राजद के शत्रुघ्न सुमन को लगभग 14 हजार वोटों से हराया था। इस बार बीजेपी ने तो विजय मंडल को ही चुनावी जंग में उतारा है पर महागठबंधन ने जीत की जिम्मेदारी वी आई पी के हरिनारायण प्रमाणिक को दी है।
छठी सीट- जोकीहाट विधानसभा
जोकीहाट में एआईएमआईएम के शाहनवाज आलम ने राजद के सरफराज आलम को 2020 चुनाव में हराया था। हालांकि बाद में शाहनवाज ने राजद का दामन थाम लिया। इस बार राजद ने शाहनवाज आलम पर ही भरोसा किया है। जदयू ने मंजर आलम को खड़ा कर जंग जीतने की रणनीति बनाई है।
क्या है टारगेट?
इस बार NDA सिकटी और अररिया विधानसभा की जंग जीतने के लिए रणनीति भी बना रही है। इस जंग को जीतने के लिए NDA ने अपने रणनीतिकार और सिकटी से उम्मीदवार विजय कुमार मंडल को जिम्मेदारी दी है। वहीं अररिया विधानसभा की जंग जीतने की जिम्मेवारी एक बार फिर जदयू ने शगुफ्तता को सौंपी है। देखना यह है कि मोदी मिशन का अररिया जिले की सभी 6 विधानसभा सीटों पर प्रभाव क्या पड़ता है?
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