ऐसे में बतौर माता-पिता यह आपकी जिम्मेदारी है कि आप अपने बच्चे को सिर्फ अच्छी शिक्षा ही नहीं, बल्कि क्रिएटिव बनने के अवसर भी दें। इसी कड़ी में आज हम आपके लिए 5 ऐसे यूनिक और मजेदार तरीके लेकर आए हैं, जो आपके बच्चे की क्रिएटिविटी को बढ़ाने में मददगार साबित हो सकते हैं।
सभी तस्वीरें- सांकेतिक
स्पेशल डेज पर बनवाएं कार्ड
बच्चों के भीतर क्रिएटिविटी बढ़ाने का एक बेहतरीन तरीका यह है कि आप उन्हें परिवार के किसी सदस्य के बर्थडे पर स्पेशल कार्ड बनाने के लिए मोटिवेट करें। इसी तरह मदर्स डे, फादर्स डे या अन्य खास मौकों पर भी बच्चों को अपने हाथों से कार्ड बनाने का मौका दें। इससे न केवल उनका आर्टवर्क और कलर कॉम्बिनेशन बेहतर होगा, बल्कि वे अपनी भावनाओं को ड्रॉइंग और शब्दों के जरिए व्यक्त करना भी सीखेंगे। बच्चों से कहें कि अगर वे चाहें तो कार्ड पर उस रिश्ते से जुड़ा कोई यादगार सीन या प्यारी सी मेमोरी भी ड्रा कर सकते हैं।
ड्राइंग का दें मौका

छोटे बच्चों को कलरफुल चीजें बहुत अट्रैक्ट करती हैं। वे जब रंग-बिरंगे टॉयज, किताबें या ड्रॉइंग से खेलते हैं, तो उनका दिमाग एक्टिव होता है और उनकी इमैजिनेशन भी बढ़ती है। ऐसे में आप उन्हें कुछ बेसिक कलर्स, जैसे- लाल, पीला, हरा और फिर सफेद देकर कोई भी ड्राईंग बनाने को कह सकते हैं। आप उनसे कह सकती हैं कि कोई सन, रेनबो या फिर कोई फ्रूट भी ड्रा कर सकते हैं। कलरफुल एक्टिविटीज न सिर्फ उन्हें एंटरटेन करती हैं बल्कि उनकी क्रिएटिविटी को भी बूस्ट करती हैं।
बच्चों को बनाने दें मिट्टी का घर
बच्चे अक्सर मिट्टी में खेलते हैं या फिर उससे घर या कोई कैरेक्टर बनाने की कोशिश करते हैं। ऐसे में बतौर पैरेंट्स आपको उन्हें ऐसा करने के लिए और प्रेरित करना चाहिए। क्योंकि जब बच्चा नेचर के करीब रहता है और इस तरह की एक्टिविटी करता है, तो उसकी क्रिएटिविटी और इमैजिनेशन तीनों विकसित होती हैं। मिट्टी से खेलते समय बच्चा अलग-अलग शेप्स और डिजाइन बनाने की कोशिश करता है, जिससे उसका दिमाग और भी एक्टिव होता है।
एक्टिंग भी हैं ऑप्शन
अगर आप चाहें तो बच्चे को एक्टिंग करने के लिए भी कह सकते हैं। वह किसी फैमिली मेम्बर की कॉपी कर सकता है या फिर अपने पसंदीदा कार्टून की भी नकल कर कता है। इस तरह जब बच्चा परिवार के बीच एक्टिंग करते हुए बोलना सीखता, तो धीरे-धीरे उसकी झिझक कम होती और वह ज्यादा एक्सप्रेसिव बनेगा। साथ ही, इस एक्टिविटी से उसकी इमैजिनेशन भी बेहतर होती और कॉन्फिडेंस भी मजबूत होता है।
किस्से- कहानियां सुनाएं
आजकल तो मोबाइल फोन की वजह से किस्से-कहानियों का दौर सिमटता जा रहा है। लेकिन अगर आप बच्चों को महान योद्धाओं और अन्य आदर्श व्यक्तित्वों की कहानियां सुनाते हैं, तो इससे न सिर्फ वे मोटिवेट होते हैं बल्कि उनके भीतर अच्छे संस्कार भी विकसित होते हैं। साथ ही, इन कहानियों को और मजेदार बनाने के लिए आप बच्चों को उन सिचुएशंस में खुद को रखने को कह सकते हैं।
जैसे उनसे पूछें- अगर तुम उस योद्धा की जगह होते तो क्या करते?’ या ‘अगर तुम्हें ऐसी चुनौती मिलती तो तुम कैसे हल करते?’ इस तरह बच्चा न केवल कहानी में इंटरेस्ट लेगा बल्कि आउट-ऑफ द बॉक्स सोचने और प्रॉब्लम सॉल्विंग की आदत भी सीखेगा।
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