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फ्लोरिडा समेत पूरे अमेरिका में फैली काली खांसी, बड़े से लेकर बच्चे तक प्रभावित, जानें लक्षण और बचाव के उपाय

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हेल्थ के लिहाज से अमेरिका में ये साल कुछ खास नहीं रहा। एक के बाद एक स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों ने लोगों को परेशान किया है और अपना कहर पूरे देश में बरपाया है। अब खबरें हैं कि फ्लोरिडा समेत अमेरिका के कई हिस्सों में काली खांसी के मामलों में वृद्धि हुई है।

काली खांसी को पर्टुसिस (Pertussis) के नाम से भी जाना जाता है। यह एक संक्रामक श्वसन संक्रमण है जो बोर्डेटेला पर्टुसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बीमारी खांसने और छींकने से फैलती है। यह खासकर शिशुओं के लिए बहुत खतरनाक होता है।

रिपोर्ट्स की मानें तो हाल के महीनों में स्वास्थ्य अधिकारियों ने लोगों को आगाह किया है। क्योंकि फ्लोरिडा और यूएसए के कई हिस्सों में काली खांसी के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। अकेले फ्लोरिडा में 2025 की शुरुआत में 488 मामले दर्ज किए गए। जबकि प्रारंभिक 2025 डेटा को देखा जाए तो केवल अप्रैल तक 8,000 से अधिक मामले दर्ज किए गए हैं। जिसे लेकर अधिकारी चिंतित हैं।
Photos- Freepik

क्या होती है काली खांसी? image

काली खांसी को इंग्लिश में Whooping Cough या Pertussis कहते हैं। यह एक बहुत ही संक्रामक श्वसन बीमारी है, जो लंग्स और ब्रीदिंग ट्यूब को प्रभावित करती है। काली खांसी बोर्डेटेला पर्टुसिस नामक बैक्टीरिया के कारण होती है। सीडीसी के मुताबिक, काली खांसी आम सर्दी की तरह शुरू हो सकती है, लेकिन कई हफ्तों या महीनों तक बनी रह सकती है। इसमें खांसने के बाद सांस लेने पर अक्सर तेज आवाज आती है जो 'हूप' (सीटी जैसी) जैसी लगती है। यह बहुत आसानी से फैलता है और गंभीर हो सकता है खासकर, बच्चों के लिए।


कौन है अधिक जोखिम में? image

आयु और कुछ चिकित्सीय स्थितियां किसी व्यक्ति में गंभीर काली खांसी के जोखिम को बढ़ा सकती हैं। जैसे कि 1 साल से कम उम्र के शिशुओं को काली खांसी होने और इससे गंभीर जटिलताएं होने का सबसे अधिक खतरा होता है। क्योंकि उन्हें अब तक वैक्सीन नहीं लगाई गई होती है या टीके की सभी खुराकें नहीं मिली होती है। इसके अलावा गर्भवती महिलाएं और कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग या गंभीर बीमारियों से ग्रस्त लोग भी गंभीर जटिलताओं के उच्च जोखिम में होते हैं।


क्या होते हैं लक्षण? image

काली खांसी के लक्षण लोगों की उम्र और उनके वैक्सीनेशन स्टेटस के आधार पर अलग-अलग हो सकते हैं।

प्रारंभिक लक्षण- शुरुआती लक्षण 1 से 2 सप्ताह तक रह सकते हैं और आमतौर पर इसमें बहती या भरी हुई नाक, बुखार, खांसी और पानी भरी आंखें शामिल हैं।

बाद के लक्षण- एक या दो सप्ताह के बाद, लक्षण बदतर हो जाते हैं। आपको तेजी से खांसी होने लगती है जिसे नियंत्रित नहीं किया जा सकता। खांसी हफ्तों या महीनों तक रह सकती है और रात में यह बदतर हो सकती है। तीव्र खांसी के दौरे के कारण उल्टी, लाल या नीला चेहरा, अत्यधिक थकान, सांस लेने में तकलीफ और खांसी के बाद सांस लेने पर 'हूप' जैसी आवाज आ सकती है।

बच्चों में लक्षण- बता दें इस बीमारी से पीड़ित कई शिशुओं को बिल्कुल भी खांसी नहीं होती है। उनमें सांस लेने में तकलीफ, त्वचा, होंठ या नाखून नीले या बैंगनी हो जाना और सांस लेने में जानलेवा रुकावट (एप्निया) जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं।




काली खांसी का इलाज image

बीमारी को गंभीर होने से रोकने और जटिलताओं से बचने के लिए समय पर काली खांसी का इलाज किया जाना बेहद जरूरी है। डॉक्टर्स आमतौर पर काली खांसी का इलाज एंटीबायोटिक दवाओं से करते हैं। हालांकि लक्षण गंभीर होने पर आपको हॉस्पिटल में भर्ती होने की जरूरत पड़ सकती है।


बचाव के उपाय image

आप कुछ उपायों की मदद से खुद को और अपने परिवार को काली खांसी से संक्रमित होने से बचा सकते हैं। इसके लिए सीडीसी के बताए इन टिप्स को फॉलो कर सकते हैं।


वैक्सीनेशन image

काली खांसी से बचने का सबसे अच्छा तरीका है खुद को इस बीमारी के खिलाफ वैक्सीन लगवाना। सीडीसी भी सभी के लिए काली खांसी से बचाव के लिए वैक्सीनेशन की सिफारिश करता है। अमेरिका में टीकाकरण दरों में गिरावट हुई है, जिसके बीच अब इस बीमारी ने अपने पैर फिर से पसारना शुरू कर दिया है। ऐसे में खुद का वैक्सीनेशन करवाना न भूलें।


अन्य उपाय image

वैक्सीनेशन के अलावा अच्छी हाइजीन बरकरार रखें जैसे कि बार-बार हाथ धोना, मास्क पहनना और खांसते-छींकते समय मुंह ढकना। इससे बैक्टीरिया और वायरस के प्रसार को रोकने में मदद मिलेगी जो कई श्वसन संबंधी बीमारियों का कारण बन सकते हैं।

काली खांसी से पीड़ित लोगों से दूरी बनाकर रखें। अगर खुद में इस बीमारी के लक्षण नजर आएं तो पब्लिक प्लेस पर जाने से बचें और घर पर ही रहें।



डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।

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