पटना: महागठबंधन के मंच से राजद के युवराज तेजस्वी यादव को बतौर सीएम और मुकेश सहनी को उप मुख्यमंत्री घोषित करना सोशल इंजीनियरिंग को सेट करने की एक कोशिश से ज्यादा कुछ भी नहीं। इस सोशल इंजीनियरिंग का एकमात्र मकसद है ज्यादा से ज्यादा मतों की गोलबंदी। अभी तो केवल मुख्यमंत्री और उप मुख्यमंत्री की चर्चा हुई है, अभी दो और उप मुख्यमंत्री का नाम आना शेष है। समझिए महागठबंधन की सोशल इंजीनियरिंग वाले दांव को।
एक तीर से साधे कई निशाने
महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को सीएम फेस और मुकेश सहनी को उप मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर एक तीर से कई निशाना साधा है। सीएम चेहरे के नाम की घोषणा नहीं करने से राजद के भीतर कांग्रेस के प्रति अविश्वास बढ़ता जा रहा था। यही हाल वीआईपी का भी था। हालांकि कांग्रेस कभी भी इस मत में नहीं रही कि तेजस्वी यादव सीएम नहीं होंगे। कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु का कहना यह था कि तेजस्वी यादव कई आरोपों से घिरे हैं। ऐसे में तेजस्वी यादव के नाम की घोषणा करते हैं तो नुकसान हो जायेगा। बिहार की जनता नीतीश कुमार के बरक्स तेजस्वी यादव को स्वीकार नहीं करेगी। कृष्णा अल्लावरु की इस सोच से राजद के भीतर अविश्वास का माहौल और भी बढ़ गया। इस खींचतान का असर महागठबंधन पर पड़ रहा था। डैमेज कंट्रोल के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजद के इस तर्क से सहमत हुए कि बिहार का चुनाव जातीय जकड़न के साथ लड़ा जाता है। ऐसे में सीएम चेहरे की घोषणा करने से अविश्वास खत्म होगा और उनके भीतर उत्साह भी जगेगा। सीएम और डिप्टी सीएम के नाम की घोषणा कर महागठबंधन को इन जातियों के बढ़े उत्साह का लाभ तो होगा।
सीएम फेस पर महागठबंधन को मिली बढ़त
महागठबंधन अब एनडीए पर सीएम फेस को ले कर दबाव बनाने में कामयाब होगा। विपक्ष तो पहले से ही यह प्रचारित कर रहा है कि बीजेपी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में रिपीट नहीं करने जा रही है। इसके सपोर्ट में विपक्ष के नेता अमित शाह के उस बयान को भी कोट कर रहे हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि सीएम तो विधायक तय करेंगे।
महागठबंधन की सोशल इंजीनियरिंग
महागठबंधन के मंच से मुख्यमंत्री के रूप में तेजस्वी यादव और वीआईपी के मुकेश सहनी को बतौर उप मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा का मकसद वोटों की गोलबंदी है। राजद बार-बार मुख्यमंत्री के रूप में तेजस्वी यादव को प्रोजेक्ट करने का दबाव इसलिए बना भी रहा था। अब तेजस्वी यादव के नाम पर यादव मतों की गोलबंदी को बल मिलेगा। जातीय जनगणना में यादवों की जनसंख्या 14.26 प्रतिशत बताई गई है। मुकेश सहनी को उप मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट कर मल्लाह वोटो की घेराबंदी की है। जनगणना में मल्लाहों की जनसंख्या 2.60 प्रतिशत बताई गई है। मुकेश सहनी की माने तो मल्लाह के साथ निषाद, सहनी और कुछ और उप जातियों को साथ ले कर जो राजनीतिक ताकत बनती है वो 12 प्रतिशत है। जातीय गोलबंदी अभी महागठबंधन की रुकी नहीं है। अभी दो उप मुख्यमंत्री चेहरों की और घोषणा होनी है। एक दलित और एक मुस्लिम चेहरे को भी उप मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा महागठबंधन जल्द करने की तैयारी में है। दलितों के सहारे 16 प्रतिशत वोटों की गोलबंदी और मुस्लिम उप मुख्यमंत्री बना कर 17.7 प्रतिशत की किलेबंदी का प्लान भी तैयार है। महागठबंधन ने एक तरह से सीएम और डिप्टी सीएम के नाम पर लगभग 58 प्रतिशत वोटों की गोलबंदी का फुल प्रूफ प्लान तैयार किया है।
एनडीए का चौतरफा हमला
महागठबंधन के इस प्लान से एनडीए में भी कम बौखलाहट नहीं है। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के नेता नित्यानंद राय ने कहा कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तो बन सकते हैं, लेकिन बिहार की जनता उन्हें कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी। उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने तो साफ कहा कि चारा चोर के बेटे तेजस्वी यादव को कांग्रेस ने सीएम के रूप में प्रोजेक्ट किया है। लालू यादव ने कांग्रेस और सहयोगी दलों को टॉर्चर करके अपने बेटे तेजस्वी को सीएम कैंडिडेट बनवा दिया। जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है। कांग्रेस बड़ी पार्टी है पर राजद ने उन्हें झुका कर सीएम चेहरा घोषित करा लिया। राजद से छोटी पार्टी वीआईपी है पर बड़ी पार्टी राजद पर दबाव बना कर उप मुख्यमंत्री का नाम घोषित करवा किया। महागठबंधन के भीतर तो आपस में ही जंग है।
एक तीर से साधे कई निशाने
महागठबंधन ने तेजस्वी यादव को सीएम फेस और मुकेश सहनी को उप मुख्यमंत्री का चेहरा घोषित कर एक तीर से कई निशाना साधा है। सीएम चेहरे के नाम की घोषणा नहीं करने से राजद के भीतर कांग्रेस के प्रति अविश्वास बढ़ता जा रहा था। यही हाल वीआईपी का भी था। हालांकि कांग्रेस कभी भी इस मत में नहीं रही कि तेजस्वी यादव सीएम नहीं होंगे। कांग्रेस के बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरु का कहना यह था कि तेजस्वी यादव कई आरोपों से घिरे हैं। ऐसे में तेजस्वी यादव के नाम की घोषणा करते हैं तो नुकसान हो जायेगा। बिहार की जनता नीतीश कुमार के बरक्स तेजस्वी यादव को स्वीकार नहीं करेगी। कृष्णा अल्लावरु की इस सोच से राजद के भीतर अविश्वास का माहौल और भी बढ़ गया। इस खींचतान का असर महागठबंधन पर पड़ रहा था। डैमेज कंट्रोल के लिए पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजद के इस तर्क से सहमत हुए कि बिहार का चुनाव जातीय जकड़न के साथ लड़ा जाता है। ऐसे में सीएम चेहरे की घोषणा करने से अविश्वास खत्म होगा और उनके भीतर उत्साह भी जगेगा। सीएम और डिप्टी सीएम के नाम की घोषणा कर महागठबंधन को इन जातियों के बढ़े उत्साह का लाभ तो होगा।
सीएम फेस पर महागठबंधन को मिली बढ़त
महागठबंधन अब एनडीए पर सीएम फेस को ले कर दबाव बनाने में कामयाब होगा। विपक्ष तो पहले से ही यह प्रचारित कर रहा है कि बीजेपी नीतीश कुमार को मुख्यमंत्री के रूप में रिपीट नहीं करने जा रही है। इसके सपोर्ट में विपक्ष के नेता अमित शाह के उस बयान को भी कोट कर रहे हैं जिसमें उन्होंने कहा था कि सीएम तो विधायक तय करेंगे।
महागठबंधन की सोशल इंजीनियरिंग
महागठबंधन के मंच से मुख्यमंत्री के रूप में तेजस्वी यादव और वीआईपी के मुकेश सहनी को बतौर उप मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा का मकसद वोटों की गोलबंदी है। राजद बार-बार मुख्यमंत्री के रूप में तेजस्वी यादव को प्रोजेक्ट करने का दबाव इसलिए बना भी रहा था। अब तेजस्वी यादव के नाम पर यादव मतों की गोलबंदी को बल मिलेगा। जातीय जनगणना में यादवों की जनसंख्या 14.26 प्रतिशत बताई गई है। मुकेश सहनी को उप मुख्यमंत्री प्रोजेक्ट कर मल्लाह वोटो की घेराबंदी की है। जनगणना में मल्लाहों की जनसंख्या 2.60 प्रतिशत बताई गई है। मुकेश सहनी की माने तो मल्लाह के साथ निषाद, सहनी और कुछ और उप जातियों को साथ ले कर जो राजनीतिक ताकत बनती है वो 12 प्रतिशत है। जातीय गोलबंदी अभी महागठबंधन की रुकी नहीं है। अभी दो उप मुख्यमंत्री चेहरों की और घोषणा होनी है। एक दलित और एक मुस्लिम चेहरे को भी उप मुख्यमंत्री बनाने की घोषणा महागठबंधन जल्द करने की तैयारी में है। दलितों के सहारे 16 प्रतिशत वोटों की गोलबंदी और मुस्लिम उप मुख्यमंत्री बना कर 17.7 प्रतिशत की किलेबंदी का प्लान भी तैयार है। महागठबंधन ने एक तरह से सीएम और डिप्टी सीएम के नाम पर लगभग 58 प्रतिशत वोटों की गोलबंदी का फुल प्रूफ प्लान तैयार किया है।
एनडीए का चौतरफा हमला
महागठबंधन के इस प्लान से एनडीए में भी कम बौखलाहट नहीं है। केंद्रीय मंत्री और बीजेपी के नेता नित्यानंद राय ने कहा कि तेजस्वी यादव महागठबंधन के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार तो बन सकते हैं, लेकिन बिहार की जनता उन्हें कभी भी मुख्यमंत्री नहीं बनाएगी। उप मुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने तो साफ कहा कि चारा चोर के बेटे तेजस्वी यादव को कांग्रेस ने सीएम के रूप में प्रोजेक्ट किया है। लालू यादव ने कांग्रेस और सहयोगी दलों को टॉर्चर करके अपने बेटे तेजस्वी को सीएम कैंडिडेट बनवा दिया। जदयू के प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा कि महागठबंधन में सब कुछ ठीक नहीं है। कांग्रेस बड़ी पार्टी है पर राजद ने उन्हें झुका कर सीएम चेहरा घोषित करा लिया। राजद से छोटी पार्टी वीआईपी है पर बड़ी पार्टी राजद पर दबाव बना कर उप मुख्यमंत्री का नाम घोषित करवा किया। महागठबंधन के भीतर तो आपस में ही जंग है।
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