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तेज प्रताप को RJD से निकाले जाने के बाद क्या हसनपुर में मंद पड़ेगी 'लालटेन' या NDA का बढ़ेगा दबदबा?

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समस्तीपुर: बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर हलचल तेज हो गई हैं। नेता भी अपनी पसंद वाली सीटों के लिए फील्डिंग सजाने में लग गए हैं। इस बीच सबकी नजर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव पर लगी हैं। क्योंकि, लालू यादव ने अनुष्का यादव मामले को लेकर तेज प्रताप को राजद और परिवार से बेदखल कर रखा है। ऐसे में हसनपुर सीट से विधायक तेज प्रताप इस बार भी क्या अपनी वर्तमान सीट से चुनाव लड़ेंगे? या फिर पुरानी सीट महुआ से फिर मैदान में होंगे? दरअसल बीते दिनों तेज प्रताप यादव ने महुआ की दौरा किया। इससे तेज प्रताप के महुआ से चुनाव लड़ने की अटकलें तेज हो गई हैं। अगर तेज प्रताप महुआ से चुनाव लड़ते हैं तो हसनपुर में राजद की राह मुश्किल हो सकती है। इसका फायदा एनडीए को मिल सकता है। आइए जानते हैं हसनपुर सीट के बारे में...





समस्तीपुर जिले के रोसड़ा अनुमंडल में स्थित हसनपुर विधानसभा सीट, खगड़िया लोकसभा क्षेत्र का हिस्सा है। यह सीट 1967 में अस्तित्व में आई, लेकिन असली राजनीतिक चर्चा में तब आई जब राजद ने 2020 में तेज प्रताप यादव को यहां से उम्मीदवार बनाया। इससे पहले वे महुआ से विधायक थे। हसनपुर में यादव समुदाय की आबादी 30% से अधिक होने के कारण इसे तेज प्रताप के लिए सुरक्षित माना गया। 2020 के चुनाव में उन्होंने 21,139 वोटों से जीत हासिल की। तेज प्रताप ने जदयू से राज कुमार राय को शिकस्त दी थी।



तेज प्रताप की क्षेत्र में कम सक्रियता बनी नाराजगी की वजह?

तेज प्रताप यादव ने जीत के बाद इक्का-दुक्का ही हसनपुर का दौरा किया। उनकी गैरमौजूदगी और पार्टी विरोधी गतिविधियों की वजह से राजद ने उन्हें मई 2025 में छह साल के लिए निलंबित कर दिया। इससे हसनपुर के मतदाताओं में नाराजगी बढ़ी और राजद की स्थिति कमजोर हुई। अब तो तेज प्रताप ने भी खुलकर बगावत कर दी है। उन्होंने बीते दिनों अपनी गाड़ी पर लगा राजद का झंडा उतार दिया और महुआ का दौरा कर साफ कह दिया कि अगर महुआ की जनता चाहेगी तो वो यहीं से चुनाव लड़ सकते हैं।





हसनपुर में NDA के लिए बन रहा अवसर

हसनपुर पूरी तरह ग्रामीण क्षेत्र है, जहां खेती मुख्य जीवन आधार है। 2020 में यहां 2.92 लाख मतदाता थे, जिनमें 17.55% अनुसूचित जाति और 11.20% मुस्लिम समुदाय के थे। 2024 में मतदाता संख्या बढ़कर 2.99 लाख हो चुकी है। तेज प्रताप की निष्क्रियता और एनडीए की सक्रियता को देखते हुए 2025 का चुनाव निर्णायक बन सकता है। यहां एनडीए के कार्यकर्ता जमीनी स्तर पर एक्टिव हैं और सरकार की योजनाओं के बारे में लोगों को जानकारी देकर उन्हें जोड़ रहे हैं।

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