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अमेरिका में पाकिस्तान की जबरदस्त लॉबिंग, 8 महीनों में 7 हाई-प्रोफाइल फर्म, डोनाल्ड ट्रंप के दोस्तों से लेकर अधिकारियों तक बहाए पैसे

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वॉशिंगटन/इस्लामाबाद: डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के भारत से झगड़ने और पाकिस्तान से करीबी संबंध बनाने को लेकर बहुत बड़ा खुलासा हुआ है। आधिकारिक दस्तावेजों के मुताबिक पाकिस्तान ने साल 2025 के पहले आठ महीनों में ही अमेरिका में कम से कम सात लॉबिंग और कानूनी फर्मों के साथ कॉन्ट्रैक्ट किया है। हालांकि पाकिस्तान की लंबे समय से वाशिंगटन में लॉबिंग के जरिए मौजूदगी रही है, लेकिन पिछले आठ महीनों में पाकिस्तान ने लॉबिंग पर जमकर पैसे बहाए हैं। वॉशिंगटन स्थित लॉबिंग करने वाली कंपनियों को जमकर पैसे दिए गये हैं, जिनमें अमेरिका के पूर्व अधिकारी और डोनाल्ड ट्रंप के करीबी दोस्त शामिल रहे हैं। जिससे इस बारे में नए सवाल उठ रहे हैं कि विदेशी धन अमेरिकी नीति-निर्माताओं की धारणा और पहुंच को कैसे प्रभावित करता है।



द संडे गार्डियन की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने जिन लॉबिंग फर्मों को हायर किया है, उनकी प्रोफाइलिंग काफी सावधानी से की गई है। पाकिस्तान ने एक ऐसा नेटवर्क तैयार करने की कोशिश की है, जिसमें कई हाई प्रोफाइल कंसल्टेंसी कंपनियां शामिल हैं, जिनका सीधा संबंध वाइट हाउस से है। रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि इन कंसल्टेंसी कंपनियों में वाइट हाउस के मौजूदा से लेकर पूर्व अधिकारी, अंतर्राष्ट्रीय मुकदमा लड़ने वाले अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों के वकील और कैपिटल हिल (अमेरिकी संसद) के दिग्गज रणनीतिकार शामिल हैं।



अमेरिका में कैसे लॉबिंग कर रहा पाकिस्तान?

द संडे गार्डियन ने बताया है कि सबसे चर्चित नाम है गनस्टर स्ट्रैटेजीज वर्ल्डवाइड, जिसे पहले गॉडर्ड गनस्टर कहा जाता है और जिसे 2016 ब्रेक्जिट रेफरेंडम (यूरोपीयन यूनियन से ब्रिटेन अलग) में "लीव.ईयू" कैंपेन को सलाह देने के लिए जाना जाता है। इस फर्म के मुखिया रिपब्लिकन पार्टी के नेता और स्ट्रैटजिस्ट गेरी गनस्टर करते हैं, और इस कंपनी को इसी साल जनवरी में पाकिस्तान के गृह मंत्रालय का प्रतिनिधित्व करने के लिए FARA कानून के तहत रजिस्टर्ड किया गया, ताकि पाकिस्तान इस कंपनी को जो पैसा दे रहा है, वो अपने देश में कानूनी तौर पर सही उतर सके। गोडार्ड गनस्टर ने पहले ब्रिटिश राजनेता निगेल फराज के लिए अमेरिकी सांसदों और अमेरिकी मीडिया के लिए लॉबी की थी।



इसके अलावा पता चला है कि पाकिस्तान ने जैवलिन एडवाइजर्स (डोनाल्ड ट्रंप के पूर्व सहयोगी कीथ शिलर और जॉर्ज सोरियल की नेतृत्व वाली कंसल्टेंसी कंपनी), सेडन लॉ एलएलपी (न्यूयॉर्क की एक क्रॉस-बॉर्डर लिटिगेशन और एसेट रिकवरी स्पेशलिस्ट फर्म) और कांशियंस पॉइंट कंसल्टिंग (नीति विशेषज्ञ नैट वियनेक की नेतृत्व वाली कंसल्टेंसी) जैसी कंपनियों को भी जोड़ा है। इन कंपनियों का काम वाइट हाउस में पाकिस्तान की बात रखना, अमेरिकी मीडिया में पाकिस्तान के पक्ष में प्रचार करना और पाकिस्तान के पक्ष में लॉबी करना शामिल है। माना जा रहा है कि पाकिस्तान के पक्ष में डोनाल्ड ट्रंप का अचानक हुआ हृदय परिवर्तन और भारत को लेकर नकारात्मक स्टैंड के पीछे इन लॉबिंग कंपनियों का हाथ हो सकता है।



भारत के खिलाफ काम कर रहा पाकिस्तान का पैसा!

डिप्लोमेटिक ऑब्जर्वर्स का कहना है कि यह साफ है कि अमेरिकी नेताओं की जेब भरने के लिए पाकिस्तान जो पैसा खर्च कर रहा है, वह काम कर रहा है। दक्षिण एशियाई मिशनों के साथ पहले काम कर चुके एक पूर्व अधिकारी ने कहा कि "लॉबिंग हमेशा नाटकीय उलटफेर के बारे में नहीं होती। बल्कि यह चुपचाप पहुंच बनाने, विरोधी बयान गढ़ने, नैरेटिव बनाने, प्रतिबंधों को टालने या बातचीत की मेज पर अपनी जगह पक्की करने के बारे में है और ये कंपनियां बखूबी जानती हैं कि यह कैसे करना है।"



वहीं कैपिटल हिल में किस तरह की गतिविधियां होती हैं, इसकी जानकारी रखने वाले एक आधिकारिक सूत्र के हवाले से द संडे गार्डियन ने कहा है कि "जब कोई पूर्व वाइट हाउस अधिकारी किसी ऐसी एजेंसी को फोन करता है जिसमें वह कभी काम कर चुका है, तो यह सिर्फ एक और लॉबिस्ट का फोन नहीं होता, बल्कि एक तरह का परिचय और एक तरह की विश्वसनीयता का एहसास होता है। हालांकि, जब इसके साथ कोई विदेशी वेतन भी जुड़ा हो, तो यह सार्वजनिक चिंता का विषय होना चाहिए।" आपको बता दें कि पाकिस्तानी नेता ऐसा करने में हमेशा से माहिर रहे हैं। पूर्व पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान भी अपना प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए अमेरिकी लॉबी का इस्तेमाल करते थे, लेकिन उनकी ज्यादातर लॉबी अपने घरेलू राजनीति के लिए होती थी।

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