नई दिल्ली: तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कच्चातिवु द्वीप विवाद में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है। उन्होंने श्रीलंका की जेलों में बंद भारतीय मछुआरों और नावों को भी छुड़ाने की मांग उठाई है। वहीं, स्टालिन की इस मांग पर बीजेपी ने पलटवार किया है। बीजेपी प्रवक्ता नारायण तिरुपति ने कहा कि 1974 में कांग्रेस की सरकार के दौरान और तमिलनाडु में डीएमके शासन में ही कच्चातिवु को श्रीलंका को सौंपा गया था। अब इस मुद्दे को लेकर तमिलनाडु में राजनीतिक माहौल गरमा गया है। 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले यह एक बड़ा मुद्दा बन सकता है।
सीएम स्टालिन का केंद्र पर अटैक
एमके स्टालिन ने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार पिछले 10 सालों में तमिलनाडु के मछुआरों की रक्षा करने में विफल रही है। स्टालिन ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार कच्चातिवु मुद्दे पर सिर्फ राजनीति कर रही है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। उन्होंने कहा कि सिर्फ पीएम मोदी के हस्तक्षेप से ही तमिलनाडु के मछुआरों के लिए स्थायी समाधान निकल सकता है। स्टालिन ने सवाल किया कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने श्रीलंका के हालिया दावों का खंडन क्यों नहीं किया। केंद्रीय मंत्री ने जवाब क्यों नहीं दिया।
श्रीलंकाई मंत्री के बयान पर उठाए सवाल
मुख्यमंत्री स्टालिन ने श्रीलंका के मत्स्य मंत्री डगलस देवानंद के बयान का जिक्र किया। देवानंद ने कहा था कि तमिलनाडु के मछुआरे अक्सर उनकी सीमा में घुस आते हैं और कोलंबो कच्चातिवु द्वीप को वापस नहीं करेगा। स्टालिन ने केंद्र सरकार पर इन दावों पर चुप रहने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि तमिलनाडु विधानसभा ने पहले ही कच्चातिवु को वापस लेने की मांग का प्रस्ताव पारित कर दिया है। स्टालिन ने ये भी दावा किया कि उन्होंने कई बार पीएम मोदी के समक्ष इस मुद्दे को उठाया। तमिलनाडु की डीएमके सरकार कच्चातिवु को वापस लेने के लिए प्रयास जारी रखेगी।
स्टालिन के दावों पर बीजेपी का पलटवार
स्टालिन के दावों पर बीजेपी प्रवक्ता नारायण तिरुपति ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि 1974 में कांग्रेस सरकार के दौरान डीएमके ने कच्चातिवु को श्रीलंका को दे दिया था। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि जब डीएमके 14 साल तक केंद्र में सत्ता में थी, तब उसने कुछ नहीं किया। तिरुपति ने कहा कि उनकी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि श्रीलंका की नौसेना गोलीबारी न करे, वहीं कांग्रेस के शासन में लगभग 1,000 मछुआरे मारे गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने एक मछुआरे को मौत की सजा से बचाया है।
मछुआरों के मुद्दे पर घमासान तेज
श्रीलंका की ओर से जब्त की गई भारतीय मछली पकड़ने वाली नावों की नीलामी और भारतीय मछुआरों की आजीविका को प्रभावित करने के सवाल पर तिरुपति ने कहा कि उनकी सरकार ने प्रभावित श्रीलंकाई तमिल मछुआरों और भारतीय तमिल मछुआरों के बीच कई दौर की बातचीत की है। जब तक आप उनसे बात नहीं करेंगे और कोई समाधान नहीं निकालेंगे, तब तक यह समस्या खत्म नहीं होगी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार सही रास्ते पर है।
कच्चातिवु को लेकर एक्सपर्ट्स ने क्या कहा
इस बीच, समुद्री और कूटनीति विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि केवल कच्चातिवु को वापस लेने से समस्या का समाधान नहीं होगा। उनका कहना है कि असली समस्या भारतीय जल में मछली के भंडार में कमी है। जिसके कारण मछुआरे जानबूझकर श्रीलंकाई क्षेत्र में प्रवेश करते हैं। एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि भारत को कच्चातिवु के क्षेत्रीय नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय श्रीलंका के साथ दीर्घकालिक पट्टे या मछली पकड़ने के अधिकारों के समझौते पर बातचीत करने पर विचार करना चाहिए।
सीएम स्टालिन का केंद्र पर अटैक
एमके स्टालिन ने बीजेपी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि सरकार पिछले 10 सालों में तमिलनाडु के मछुआरों की रक्षा करने में विफल रही है। स्टालिन ने यह भी आरोप लगाया कि बीजेपी सरकार कच्चातिवु मुद्दे पर सिर्फ राजनीति कर रही है, लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठा रही। उन्होंने कहा कि सिर्फ पीएम मोदी के हस्तक्षेप से ही तमिलनाडु के मछुआरों के लिए स्थायी समाधान निकल सकता है। स्टालिन ने सवाल किया कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने श्रीलंका के हालिया दावों का खंडन क्यों नहीं किया। केंद्रीय मंत्री ने जवाब क्यों नहीं दिया।
श्रीलंकाई मंत्री के बयान पर उठाए सवाल
मुख्यमंत्री स्टालिन ने श्रीलंका के मत्स्य मंत्री डगलस देवानंद के बयान का जिक्र किया। देवानंद ने कहा था कि तमिलनाडु के मछुआरे अक्सर उनकी सीमा में घुस आते हैं और कोलंबो कच्चातिवु द्वीप को वापस नहीं करेगा। स्टालिन ने केंद्र सरकार पर इन दावों पर चुप रहने का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी कहा कि तमिलनाडु विधानसभा ने पहले ही कच्चातिवु को वापस लेने की मांग का प्रस्ताव पारित कर दिया है। स्टालिन ने ये भी दावा किया कि उन्होंने कई बार पीएम मोदी के समक्ष इस मुद्दे को उठाया। तमिलनाडु की डीएमके सरकार कच्चातिवु को वापस लेने के लिए प्रयास जारी रखेगी।
स्टालिन के दावों पर बीजेपी का पलटवार
स्टालिन के दावों पर बीजेपी प्रवक्ता नारायण तिरुपति ने पलटवार किया। उन्होंने कहा कि 1974 में कांग्रेस सरकार के दौरान डीएमके ने कच्चातिवु को श्रीलंका को दे दिया था। बीजेपी प्रवक्ता ने कहा कि जब डीएमके 14 साल तक केंद्र में सत्ता में थी, तब उसने कुछ नहीं किया। तिरुपति ने कहा कि उनकी सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि श्रीलंका की नौसेना गोलीबारी न करे, वहीं कांग्रेस के शासन में लगभग 1,000 मछुआरे मारे गए थे। उन्होंने यह भी कहा कि उनकी सरकार ने एक मछुआरे को मौत की सजा से बचाया है।
मछुआरों के मुद्दे पर घमासान तेज
श्रीलंका की ओर से जब्त की गई भारतीय मछली पकड़ने वाली नावों की नीलामी और भारतीय मछुआरों की आजीविका को प्रभावित करने के सवाल पर तिरुपति ने कहा कि उनकी सरकार ने प्रभावित श्रीलंकाई तमिल मछुआरों और भारतीय तमिल मछुआरों के बीच कई दौर की बातचीत की है। जब तक आप उनसे बात नहीं करेंगे और कोई समाधान नहीं निकालेंगे, तब तक यह समस्या खत्म नहीं होगी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार सही रास्ते पर है।
कच्चातिवु को लेकर एक्सपर्ट्स ने क्या कहा
इस बीच, समुद्री और कूटनीति विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि केवल कच्चातिवु को वापस लेने से समस्या का समाधान नहीं होगा। उनका कहना है कि असली समस्या भारतीय जल में मछली के भंडार में कमी है। जिसके कारण मछुआरे जानबूझकर श्रीलंकाई क्षेत्र में प्रवेश करते हैं। एक्सपर्ट्स का सुझाव है कि भारत को कच्चातिवु के क्षेत्रीय नियंत्रण पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय श्रीलंका के साथ दीर्घकालिक पट्टे या मछली पकड़ने के अधिकारों के समझौते पर बातचीत करने पर विचार करना चाहिए।
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