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Nautapa 2025 : नौतपा की प्रचंड गर्मी से जुड़ीं विष्णु पुराण की 3 बड़ी भविष्यवाणियां, जानें इस साल कितना तड़पाएंगे आग उगलते सूर्यदेव

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'सूर्यदेव जब धरती से पूरी नमी सोख लेंगे, तो पृथ्वी कछुए की पीठ की तरह शुष्क नजर आएगी।' विष्णु पुराण में प्रचंड गर्मी के बारे में ऐसी ही भविष्यवाणियां की गई हैं, जो समय बीतने के साथ सच होती दिख रही है। हाल ही में बढ़ती गर्मी ने जिस तरह से अपना शुरुआती रूप दिखाया है, उसे देखकर अंदाजा लगाया जा सकता है कि आगे आने वाला समय कितना ही घातक हो सकता है। खासतौर पर बढ़ती गर्मी को देखते हुए लोग इस बात का अंदाजा लगा चुके हैं कि इस साल नौतपा कितना खतरनाक हो सकता है। नौतपा का अर्थ संक्षेप में समझें, तो मई के आखिर या जून की शुरुआत में प्रचड़ गर्मी पड़ती है। इस दौरान तेज लू चलती है। इसे ही नौतपा कहते हैं। विष्णु पुराण में ऐसी भविष्यवाणियां लिखी गई हैं, जिसे लोग प्रचंड गर्मी और नौतपा से जोड़कर देख रहे हैं। आइए, जानते हैं नौतपा का धार्मिक और पौराणिक महत्व और नौतपा से जुड़े संकेत।
नौतपा क्या है और कब से होगा शुरू image

आम बोलचाल शब्दों में नौतपा का अर्थ है भयानक और प्रचंड गर्मी के 9 दिन। इन 9 दिनों में धरती ऐसी मालूम पड़ती है जैसे आसमान धरती पर आग उगल रहा हो। हालांकि, नौतपा 9 दिन की जगह 15-20 दिनों तक भी चल सकता है। गर्मियों के महीनों में ये लू भरे दिन आग उगलते हुए लगते हैं। धार्मिक महत्व की बात करें, तो जब सूर्य रोहिणी नक्षत्र में प्रवेश करते हैं, तो नौतपा की शुरुआत होती है। इस साल नौतपा 25 मई से 8 जून तक है। जब सूर्य मृगशिरा नक्षत्र में जाएंगे तो नौतपा की समाप्ति होगी।


नौतपा से केवल भीषण गर्मी नहीं प्रकृति के लिए मिलते हैं ये संकेत image

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में जाते हैं, तो सूर्य की तपिश कुछ ज्यादा ही बढ़ जाती है। धार्मिक मान्यता है कि अगर नौतपा के इन 9 दिनों में बारिश नहीं होती, तो उस साल बारिश भी जोरदार होती है। रोहिणी नक्षत्र को तेज हवाओं से जोड़कर देखा जाता है। इसका अर्थ यह है कि सूर्य के रोहिणी नक्षत्र में होने के प्रभाव से तेज हवाएं, आंधियों और फिर लू में बदल जाती है। वहीं, चंद्रदेव को शीतलता, मानसिक शांति का कारक माना जाता है लेकिन नौतपा लगने के दौरान चंद्रदेव नौ नक्षत्रों में भ्रमण करते हैं इसलिए शीतलता का प्रभाव नौतपा के दौरान हट जाता है।


प्रचंड गर्मी यानी नौतपा अंत की ओर बढ़ने का संकेत image

विष्णु पुराण में इस बात का उल्लेख किया गया है कि हर साल नौतपा यानी सूर्य जब रोहिणी नक्षत्र में जाएंगे, तो इस प्रभाव पिछले साल की तुलना में ज्यादा प्रचंड होगा। हर साल भीषण गर्मी बढ़ती जाएगी। विष्णु पुराण के अनुसार, पृथ्वी पर भीषण गर्मी प्रलय का संकेत है। भगवान विष्णु सूर्य की किरणों से जल सोख लेते हैं। समुद्र, नदियां और पर्वत सूख जाते हैं। सात सूर्यरश्मियां सात सूर्य बन जाती हैं। यह घटना विनाशकारी हो सकती है। इस दौरान पृथ्वी पर जीवन असंभव हो जाएगा।


सूर्य की सातों किरणों से संपूर्ण त्रिलोक हो जाएगा भस्म image

विष्णु पुराण के अनुसार धरती पर बहुत ज्यादा गर्मी होना, जीवन के अंत का बड़ा संकेत है क्योंकि धरती पर सूर्य के कारण ही जल है। विष्णु पुराण के अनुसार, गर्मी और सूखे से परेशान होकर पृथ्वी विनाश की ओर बढ़ रही है। करोड़ों सालों बाद, धरती के अंत का ऐसा ही चक्र फिर से घूमता है। उस समय सात सूर्य की किरणें धरती से पाताल तक तीनों लोकों को जला देंगी। नदियां, पहाड़ और जंगल सब कुछ खत्म हो जाएगा। पृथ्वी कछुए की पीठ की तरह सख्त हो जाएगी। इसका अर्थ यह है कि सूर्य पृथ्वी से संपूर्ण जल का अवशोषण कर लेंगे।


नौतपा में इस साल कितना तड़पाएंगे सूर्यदेव image

हर साल की तरह इस साल भी नौतपा के दिन बहुत गर्म रहेंगे। बीते सालों को देखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि नौतपा में तापमान 47-48 सेल्सियस डिग्री के भी पार पहुंच सकता है। इसका अर्थ यह है कि इस साल भी सूर्यदेव नौतपा में धरती पर आग उगलेंगे, जिसके कारण प्रचंड गर्मी में पृथ्वीलोक के प्राणी तड़प उठेंगे। ज्योतिष शास्त्र में नौतपा के प्रभाव को कम करने के लिए जल, मटका, अन्न, पंखा, दूध आदि शीतल चीजों को दान करना चाहिए। साथ ही नौतपा के दिनों में सूर्यदेव को जल जरूर अर्पित करें।

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