भारत सहित पूरी दुनिया में ब्रेस्ट कैंसर (स्तन कैंसर) महिलाओं में सबसे अधिक होने वाले कैंसरों में से एक है। हर साल लाखों महिलाएं इस बीमारी की चपेट में आती हैं, और कई बार समय पर पता न चलने के कारण इलाज में देरी हो जाती है। विशेषज्ञ मानते हैं कि अगर इसके शुरुआती लक्षणों को समय पर पहचान लिया जाए और मुख्य कारणों को समझकर सावधानी बरती जाए, तो इस बीमारी से बचाव और इलाज दोनों ही आसान हो सकते हैं।
ब्रेस्ट कैंसर के दो प्रमुख कारण
1. हॉर्मोनल असंतुलन और जेनेटिक फैक्टर
ब्रेस्ट कैंसर के पीछे सबसे बड़ा कारण शरीर में हॉर्मोन का असंतुलन माना जाता है, विशेष रूप से एस्ट्रोजेन और प्रोजेस्टेरोन हॉर्मोन का अत्यधिक स्तर। लंबे समय तक इन हॉर्मोन के स्तर में असमानता रहने से स्तन ऊतकों में असामान्य कोशिका वृद्धि होने लगती है, जो कैंसर का रूप ले सकती है।
इसके अलावा, यदि किसी महिला की मां, बहन या परिवार में किसी और महिला को ब्रेस्ट कैंसर हो चुका है, तो उसमें इसके होने की संभावना कई गुना बढ़ जाती है। यह अनुवांशिक कारण (genetic mutation), खासकर BRCA1 और BRCA2 जीन में बदलाव के कारण हो सकता है।
2. जीवनशैली और पर्यावरणीय कारक
आज के समय में महिलाओं की जीवनशैली में हुए बदलाव भी ब्रेस्ट कैंसर की बड़ी वजह बनकर उभर रहे हैं। देर से विवाह, बच्चे को स्तनपान न कराना, मोटापा, शारीरिक गतिविधि की कमी, शराब का सेवन और अत्यधिक प्रोसेस्ड फूड का सेवन – ये सभी कारक जोखिम को बढ़ाते हैं।
साथ ही, लगातार रेडिएशन के संपर्क में आना (जैसे एक्स-रे या सीटी स्कैन की अधिकता), प्रदूषण और हार्मोन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन भी कैंसरजन्य बदलावों को बढ़ावा दे सकता है।
ब्रेस्ट कैंसर के शुरुआती लक्षण – जिन्हें न करें नजरअंदाज
समय पर लक्षणों को पहचानना ही ब्रेस्ट कैंसर से लड़ने की पहली और सबसे अहम कड़ी है। निम्नलिखित संकेत अगर किसी महिला को नजर आएं, तो उन्हें तुरंत डॉक्टर से परामर्श लेना चाहिए:
स्तन में गांठ या सूजन: यह गांठ दर्दरहित भी हो सकती है और धीरे-धीरे आकार में बढ़ सकती है।
स्तन या निप्पल की त्वचा में बदलाव: झुर्रियां, खिंचाव या त्वचा का लाल होना।
निप्पल से असामान्य स्राव: विशेष रूप से रक्तमिश्रित तरल।
निप्पल का भीतर की ओर मुड़ना: जो पहले सामान्य था।
बगल या कॉलरबोन के पास सूजन या गांठें।
विशेषज्ञों की राय
डॉ. बताती हैं, “ब्रेस्ट कैंसर का जल्द पता लगाना ही इसके इलाज में सफलता की कुंजी है। महिलाएं खुद हर महीने ब्रेस्ट सेल्फ-एग्जामिनेशन करें और 40 वर्ष की उम्र के बाद नियमित मैमोग्राफी जांच करवाएं। अगर परिवार में किसी को यह बीमारी हो चुकी है, तो जोखिम ज्यादा होता है और सतर्कता और भी जरूरी हो जाती है।”
बचाव के उपाय
नियमित व्यायाम और स्वस्थ आहार अपनाएं।
वजन को नियंत्रित रखें।
धूम्रपान और शराब से दूर रहें।
स्तनपान कराने को प्राथमिकता दें।
अनावश्यक हॉर्मोन थेरेपी से बचें।
साल में एक बार डॉक्टर से जांच जरूर कराएं।
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