बिहार विधानसभा चुनाव का दूसरा चरण अब बेहद नजदीक है। पहले चरण में 121 सीटों पर मतदान संपन्न होने के बाद अब 11 नवंबर को राज्य के 18 जिलों की 122 सीटों पर 1302 उम्मीदवारों की किस्मत का फैसला होगा। चुनावी माहौल पूरे जोश पर है — राजनीतिक दलों के नेता मैदान में डटे हैं और प्रचार अपने चरम पर पहुंच चुका है।
इस चरण में मतदान यूपी सीमा से लगे सीमांचल इलाकों से लेकर मिथिलांचल और चंपारण बेल्ट तक फैला है। जहां पहले चरण में एनडीए के घटक दलों नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी के प्रदर्शन पर नजर थी, वहीं अब असली परीक्षा बीजेपी की है। दूसरी ओर, महागठबंधन के लिए यह मौका है अपनी मजबूती दिखाने का, जबकि AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के लिए सीमांचल में अपना प्रभाव बनाए रखना बड़ी चुनौती होगी — खासकर इसलिए क्योंकि 2020 में इसी इलाके की कुछ सीटों पर AIMIM ने अप्रत्याशित जीत हासिल की थी।
दूसरे चरण में मतदान वाले जिले और सीटें
दूसरे चरण में बिहार के 18 जिलों की 122 विधानसभा सीटों पर वोटिंग होगी। इनमें शामिल हैं —
गया (10), कैमूर (4), रोहतास (7), औरंगाबाद (6), अरवल (2), जहानाबाद (3), नवादा (5), भागलपुर (7), बांका (5), जमुई (4), सीतामढ़ी (8), शिवहर (1), मधुबनी (10), सुपौल (5), पूर्णिया (7), अररिया (6), कटिहार (7), किशनगंज (4), पूर्वी चंपारण (12) और पश्चिमी चंपारण (9)।
प्रमुख विधानसभा सीटें
गया: बेलागंज, बोधगया, गया टाउन, टिकारी, शेरघाटी, इमामगंज (SC), गुरुवा, वजीरगंज
रोहतास: डेहरी, सासाराम, नोखा, काराकाट, करगहर, दिनारा
औरंगाबाद: ओबरा, गोह, रफीगंज, नवीनगर, कुटुम्बा, औरंगाबाद
भागलपुर: बिहपुर, गोपालपुर, कहलगांव, पीरपैंती (SC), सुल्तानगंज, नाथनगर
बांका: अमरपुर, बांका, कटोरिया (ST), धोरैया (SC), बेलहर
मिथिलांचल व सीमांचल: सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, पूर्णिया, अररिया, कटिहार, किशनगंज
चंपारण बेल्ट: पूर्वी और पश्चिमी चंपारण की 21 सीटें भी इस चरण में अहम रहेंगी।
किसके लिए कितना कठिन मुकाबला?
इस चरण में NDA के लिए मुकाबला सबसे कठिन माना जा रहा है। खासकर बीजेपी को अपनी पुरानी सीटें बचाने की चुनौती है। जीतनराम मांझी और चिराग पासवान को भी अपने प्रभाव वाले क्षेत्रों में अपनी पकड़ साबित करनी होगी। महागठबंधन (RJD और कांग्रेस) का लक्ष्य है 2020 की तरह इस बार भी मजबूत प्रदर्शन करना। पिछली बार इन दलों ने 66 में से 50 सीटों पर जीत दर्ज की थी, जबकि बीजेपी को 42, जेडीयू को 20 और मांझी की पार्टी को चार सीटें मिली थीं।
AIMIM और अन्य दलों की रणनीति
असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM सीमांचल की लगभग 19 सीटों पर विशेष ध्यान दे रही है, जहां मुस्लिम मतदाता 30% से अधिक हैं। 2020 में AIMIM ने पांच सीटें जीतकर राजनीतिक समीकरणों में हलचल मचाई थी। इसके अलावा CPI-ML, BSP और कई निर्दलीय उम्मीदवार भी इस चरण में मैदान में हैं, जिससे कई सीटों पर त्रिकोणीय और चतुष्कोणीय मुकाबले की स्थिति बन रही है।
प्रचार अभियान और सुरक्षा तैयारियां
जैसे-जैसे मतदान की तारीख नजदीक आ रही है, राजनीतिक दलों ने प्रचार अभियान को और तेज कर दिया है। महागठबंधन का फोकस सीमांचल और मिथिलांचल की सीटों पर है। NDA ने चंपारण बेल्ट और यूपी सीमा से सटे इलाकों में अपनी ताकत झोंक दी है। प्रशासन ने मतदान के दिन सुरक्षा व्यवस्था को लेकर व्यापक इंतजाम किए हैं। संवेदनशील बूथों पर अतिरिक्त बल तैनात किए जाएंगे, ताकि चुनाव शांतिपूर्ण और निष्पक्ष ढंग से संपन्न हो सके।
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