नई दिल्ली, 22 जून . वैदिक ज्योतिष के अनुसार, 9 ग्रहों में से बुध ग्रह को सबसे अहम माना गया है. इस ग्रहों का राजकुमार कहा जाता है. बुध ग्रह सुख, समृद्धि और शांति का प्रतीक है. इनके इष्ट देव भगवान गणेश और श्रीकृष्ण हैं. इस ग्रह को शांत और कोमल बताया गया है. ऐसे में बुध स्वभाव में मधुर वाणी बोलने वाला ग्रह है. बुध देव के पिता चंद्र और देवी तारा इनकी माता का नाम है. बुध ग्रह के इष्ट देव भगवान गणेश हैं.
सूर्य व शुक्र बुध के मित्र ग्रह हैं और मंगल और चंद्रमा शत्रु ग्रह हैं. बुध के शुभ होने पर व्यक्ति का सोया हुआ भाग्य भी जाग जाता है. बुध उत्तर दिशा के स्वामी होते हैं. यह स्थान कुबेर देवता माना जाता है.
बुध ग्रह सौरमंडल में सबसे तेज़ गति से चलने वाला ग्रह है, ऐसे में बुध हमारे विचारों, शब्दों, तर्क और निर्णय लेने की हमारी क्षमता को नियंत्रित करता है. ज्योतिष में बुध को आमतौर पर सीखने, बहुमुखी प्रतिभा और खुद की प्रभावी अभिव्यक्ति से जोड़ा जाता है.
ऐसे में जिस जातक की कुंडली में बुध प्रधान हो या जिसकी कुंडली में बुध उच्च का हो ऐसे जातक हंसमुख स्वभाव के होते हैं और जीवन जीने का भरपूर आनंद उठाते हैं. ऐसे लोग हंसी-मजाक पसंद करते हैं.
बुध को वाणी का कारक माना गया है और इसे कन्या और मिथुन राशियों पर स्वामित्व प्राप्त है. कन्या इसकी उच्च राशि और मीन नीच राशि मानी जाती है.
बुध को शुभ ग्रह माना गया है. यह ग्रह इंसान की बुद्धिमत्ता, विश्लेषण क्षमता, संचार कौशल और शिक्षा का प्रतिनिधित्व करता है. अगर बुध जातक की कुंडली में अनुकूल हो तो जातक चतुर, बोलचाल में दक्ष और व्यापार में सफल होता है. वहीं इसके प्रतिकूल होने पर विपरीत परिणाम मिलते हैं. बुध ग्रह पर शनि, राहु, केतु या मंगल जैसे क्रूर ग्रहों का प्रभाव पड़े या वह नीच का होकर अशुभ भावों में स्थित हो तो कुंडली में बुध दोष उत्पन्न होता है.
बुध ग्रह का शुभ फल पाने के लिए श्री विष्णुसहस्रनाम स्तोत्र का पाठ करना बेहद फलदायी माना गया है.
ऐसे में देश के कुछ प्रमुख बुध देव के मंदिर के बारे में आपको बताते हैं जहां जाकर दर्शन और पूजन करने से जातक को बुध ग्रह के शुभ परिणाम प्राप्त होने लगते हैं.
थिरुवेंकाडु बुध मंदिर, नागपट्टिनम (तमिलनाडु) में स्थित है. यह बुध देव का प्राचीन मंदिर कावेरी और मणिकर्णिका नदी के समीप स्थित है. यह स्थान आदि चिदम्बरम के नाम से भी प्रसिद्ध है. यहां पर नवग्रह भी प्रतिष्ठित है, किंतु इस स्थान पर मुख्य रुप से मुख्य देवता के रुप में चार भुजाधारी बुध देव की पूजा का ही महत्व है. इस स्थान पर भगवान शिव का श्वेत रानेश्वर मंदिर भी स्थित है. थिरुवेनकादु को श्वेतअरण्य नाम से भी जाना जाता है. जिसका अर्थ होता है सफेद जंगल. इसी प्रकार बुद्धि के देवता बुध का स्थान होने से यह ज्ञान अरण्य क्षेत्र के नाम से भी प्रसिद्ध है. इसके पीछे मान्यता है कि देवराज इन्द्र के वाहन ऐरावत हाथी ने यहां पर तप किया था. यह उत्तर के बनारस के समान ही पवित्र स्थान माना जाता है. यहाँ बुध ग्रह की पूजा विशेष रूप से की जाती है. इस मंदिर को लेकर मान्यता है कि यहां आने वाले श्रद्धालु बुध मंदिर की 17 बार परिक्रमा करते हैं. हर परिक्रमा में एक दीप प्रज्जवलित किया जाता है. ऐसा माना जाता है कि ऐसा करने से बुध ग्रह के सभी अशुभ प्रभाव नष्ट हो जाते हैं और बुध देव भक्त को बुद्धि और समृद्धि प्रदान करते हैं.
इसके साथ ही श्री नवग्रह मंदिर, कुंभकोणम (तमिलनाडु) जिसे दक्षिण भारत का प्रसिद्ध नवग्रह स्थल कहा गया है. बुध देव यहां पवित्र स्वरूप में विराजमान हैं. यहां भी इनकी पूजा होती है.
इसके साथ ही श्री नवग्रह मंदिर, नौगांव (मध्य प्रदेश), यह मंदिर बुध ग्रह सहित सभी नवग्रहों को समर्पित है, और विशेषकर बुध दोष निवारण हेतु लोग यहां आते हैं.
लेकिन थिरुवेंकाडु बुध मंदिर, नागपट्टिनम (तमिलनाडु) इसी को भगवान बुध को समर्पित एक मात्र मंदिर माना गया है. ऐसे में बुध ग्रह का शुभ फल पाने के लिए जातक को इस मंदिर में जाकर एक बार भगवान बुध की प्रतिमा का दर्शन और पूजन जरूर करना चाहिए.
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जीकेटी/
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