लखनऊ/गोंडा, 4 जुलाई . उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार न केवल आधुनिक विकास की राह पर अग्रसर है, बल्कि प्रदेश की प्राचीन सांस्कृतिक पहचान और प्राकृतिक धरोहरों को पुनर्जीवित करने की दिशा में भी पूरी प्रतिबद्धता के साथ कार्य कर रही है. इसी संकल्प का जीवंत उदाहरण बना है, प्रदेश का गोंडा जनपद, जहां मुख्यमंत्री के स्पष्ट निर्देशों के तहत जिला प्रशासन द्वारा मनोरमा नदी के पुनर्जीवन की एक ऐतिहासिक और जनभागीदारी आधारित पहल शुरू की गई है. यह महज एक नदी की सफाई नहीं, बल्कि उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक चेतना और पर्यावरणीय संतुलन की पुनर्स्थापना का संदेश है, जिसे सरकार ‘जन आंदोलन’ के रूप में आकार दे रही है.
गौरतलब है कि मनोरमा नदी का अस्तित्व बीते वर्षों में लगभग समाप्त हो गया था. गाद, अतिक्रमण और जल स्रोतों के सूख जाने से इसका जल बहाव बाधित हो गया था. मनोरमा नदी का पुनर्जीवन न केवल जल संरक्षण की दिशा में मील का पत्थर होगा, बल्कि यह जनपद की सांस्कृतिक और पारिस्थितिकी पहचान को फिर से स्थापित करने का माध्यम भी बनेगा.
जनपद गोंडा की सांस्कृतिक और भौगोलिक पहचान रही मनोरमा नदी अब एक बार फिर जीवनदायिनी बनने जा रही है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देशों के क्रम में जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने नदी के पुनर्जीवन की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. इसके तहत, नदी की सफाई, गाद हटाने, वृक्षारोपण और जनसहभागिता के माध्यम से नदी को फिर से बहाल करने की दिशा में ठोस कार्यवाही की जा रही है.
जिलाधिकारी ने मनोरमा सरोवर से निकलने वाली मनोरमा नदी के पूरे प्रवाह पथ का स्थल निरीक्षण करते हुए संबंधित विभागों को स्पष्ट दिशा-निर्देश दिए. मनोरमा नदी के निरीक्षण के दौरान जिलाधिकारी नेहा शर्मा ने कहा, “मनोरमा नदी केवल जलस्रोत नहीं, बल्कि हमारी सांस्कृतिक विरासत है. इसका पुनर्जीवन जनपदवासियों के लिए एक गौरव का विषय होगा. यह पहल जनपद में एक समग्र पर्यावरणीय और सामाजिक पुनर्जागरण की शुरुआत है.”
जिलाधिकारी ने निर्देश दिए कि मनोरमा नदी के दोनों तरफ वृक्षारोपण की योजना बनाई जाए, जिससे नदी तट पर हरियाली बढ़े और जैव विविधता को संरक्षण मिले. इसके अंतर्गत पीपल, नीम, पाकड़ जैसे देशी प्रजातियों के पौधों को प्राथमिकता देने की बात कही गई है. वन विभाग को इसकी जिम्मेदारी दी गई है.
जिलाधिकारी ने पोकलैंड और जेसीबी मशीनों से नदी की गाद और कचरे की सफाई का कार्य तत्काल प्रारंभ करने के निर्देश दिए. उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि गोंडा-बलरामपुर रोड से लेकर ताड़ी लाल गांव तक नदी के प्रवाह को पूर्ण रूप से साफ किया जाए और जलधारा को पुनः प्रवाहित किया जाए.
इस पूरी प्रक्रिया में विभिन्न विभागों के समन्वय से कार्य किया जा रहा है. डीसी मनरेगा को श्रमिकों की व्यवस्था और योजनाबद्ध कार्यान्वयन की जिम्मेदारी दी गई है, जबकि वन विभाग को वृक्षारोपण की कार्ययोजना तैयार करने को कहा गया है. सिंचाई विभाग को नदी की दिशा और संरचना का तकनीकी आंकलन करने का कार्य सौंपा गया है. जिलाधिकारी ने इस पहल को केवल सरकारी योजना नहीं, बल्कि जन आंदोलन के रूप में विकसित करने की बात कही. ग्राम पंचायतों और स्थानीय समाजसेवियों को जोड़ने के निर्देश दिए गए हैं ताकि लोग इस पुनर्जीवन कार्य को अपने स्वाभिमान और सांस्कृतिक गौरव से जोड़ें.
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एसके/एएस
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