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जमानत का मतलब यह नहीं कि पार्थ चटर्जी 'भ्रष्टाचार मुक्त' हो गए : विकास रंजन भट्टाचार्य

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कोलकाता, 18 अगस्‍त . शीर्ष अदालत ने भ्रष्टाचार से जुड़े सीबीआई केस में पार्थ चटर्जी को जमानत दी. यह मामला पश्चिम बंगाल के बहुचर्चित ‘कैश फॉर स्कूल जॉब’ घोटाले से जुड़ा है. इस पर माकपा सांसद विकास रंजन भट्टाचार्य ने प्रतिक्रिया दी.

Supreme court के वरिष्ठ अधिवक्ता और माकपा सांसद विकास रंजन भट्टाचार्य ने से बातचीत में कहा कि जमानत हर किसी का अधिकार है. वह लंबे समय से हिरासत में हैं. इसलिए सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दी गई जमानत कोई असामान्य बात नहीं है. यह सामान्य कार्यवाही है, लेकिन जमानत देने का मतलब यह नहीं कि चटर्जी सभी भ्रष्ट आरोपों से मुक्त हो गए हैं. यह मुकदमे पर निर्भर करेगा और अगर मुकदमा तेजी से आगे बढ़ता है, तो मुझे सौ प्रतिशत यकीन है कि उन्हें और अन्य अधिकारियों को दोषी ठहराया जाएगा.

जमानत के परिणाम के बारे में पूछने पर भट्टाचार्य ने बताया कि वे गवाहों को प्रभावित करने की कोशिश करेंगे, सबूतों को नष्ट करने की कोशिश करेंगे, लेकिन यह बहुत मुश्किल है. सीबीआई ने जांच की है और अगर सीबीआई इस सरकार के साथ मिलकर काम नहीं करती तो डरने की कोई बात नहीं है, लेकिन अगर सीबीआई पश्चिम बंगाल सरकार के साथ मिलीभगत करती है और इसका उद्देश्य राजनीतिक उपलब्धि हासिल करना है. उन्हें क्लीन चिट देना है, तब भी हम उन्हें यह खेल जारी रखने की अनुमति नहीं देंगे.

भट्टाचार्य ने कहा कि यह मामला काफी समय से लंबित है कि राज्य ने अनुमतियां रोक रखी हैं. सीबीआई का कर्तव्य था कि वह एक निश्चित आवेदन के साथ अदालत जाए, जो उन्होंने नहीं किया. शायद जांच अधिकारी यह सोचते हैं कि सब कुछ वही पक्ष करेगा, जिसने इस भ्रष्टाचार को उजागर करने के लिए अदालत का रुख किया था.

बता दें कि यह पहली बार नहीं है कि जब पार्थ चटर्जी को Supreme court से राहत मिली है. इससे पहले उन्हें 13 दिसंबर 2024 को Supreme court ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले (ईडी केस) में जमानत दी थी.

एएसएच/एबीएम

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